बेंगलुरु में साइबर अपराधियों ने बैंक को लगाया बड़ा चूना, फर्जी ईमेल से ठगे 38 लाख रुपये; जानें डिटेल
बेंगलुरु में एक बैंक को 38.2 लाख रुपये की साइबर ठगी का शिकार बनाया गया. ठग ने खुद को रियल एस्टेट कंपनी का प्रतिनिधि बताकर अधिकृत ईमेल जैसी दिखने वाली नकली आईडी से भुगतान का अनुरोध भेजा और फोन पर जल्द ट्रांसफर का दबाव बनाया. बैंक ने नियमों के अनुसार RTGS ट्रांजैक्शन कर दिया. अगले दिन असली प्रतिनिधि ने इस ट्रांजैक्शन से इनकार किया.

Cyber Fraud: एक बैंक के स्टाफ को रियल एस्टेट कंपनी का प्रतिनिधि बनकर एक साइबर ठग ने 38.2 लाख रुपये का चूना लगा दिया. आरोपी ने बैंक को ईमेल और फोन कॉल के जरिए गुमराह किया और रकम अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा ली. घटना के बाद बैंक ने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर पुलिस में एफआईआर कराई है. पुलिस अब फंड ट्रांजैक्शन के जरिए आरोपी का पता लगाने में जुटी है.
ईमेल और कॉल के जरिए रची ठगी की साजिश
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, घटना पिछले बुधवार की है जब सुबह 11 बजे के करीब बैंक शाखा को एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को रियल एस्टेट डेवलपर का अधिकृत प्रतिनिधि बताया. साथ ही एक ईमेल का हवाला देते हुए तुरंत पेमेंट करने का दबाव बनाया गया. ईमेल डेवलपर के रजिस्टर्ड अकाउंट से आता हुआ दिख रहा था जिससे बैंक स्टाफ ने बिना शक किए 38.2 लाख रुपये का आरटीजीएस ट्रांसफर कर दिया.
असली प्रतिनिधि के फोन से खुली पोल
अगले दिन जब डेवलपर के असली प्रतिनिधि ने बैंक से संपर्क किया तो ठगी का पता चला. उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने कोई ट्रांजैक्शन न तो शुरू किया और न ही मंजूरी दी थी. इसके बाद बैंक ने ईमेल हेडर की जांच की तो पता चला कि ईमेल एक स्पूफ्ड यानी नकली आईडी से भेजा गया था जिसे असली आईडी जैसा दिखने के लिए बनाया गया था.
शिकायत के बाद साइबर पुलिस की जांच शुरू
बैंक स्टाफ ने तुरंत राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई और फिर पूर्वी डिवीजन साइबर क्राइम पुलिस के पास मामला पहुंचाया. पुलिस ने आईटी एक्ट और बीएनएस की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है.
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मनी ट्रांजैक्शन के जरिए पकड़ने की कोशिश
पुलिस अब आरोपी तक पहुंचने के लिए ट्रांजैक्शन की डिटेल खंगाल रही है. जांच में यह भी देखा जा रहा है कि फर्जी ईमेल कैसे बनाया गया और क्या इसमें कोई अंदरूनी मदद तो नहीं थी. बैंक ने बताया कि संबंधित खाता आरईआरए नियमों के तहत विशेष निगरानी में था लेकिन ठगों ने पूरी तैयारी से सिस्टम को धोखा दिया.
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