चीन का Deepseek AI तूफान, क्या उड़ा देगा अमेरिका की बादशाहत ! 60 साल पहले भी हुआ था कुछ ऐसा
Deepseek चीन के लिए स्पुतनिक मोमेंट जैसा है. जिस तरह रूस ने अमेरिका की अंतरिक्ष पॉवर को चुनौती देते हुए बेहद कम लागत में स्पूतनिक सेटेलाइट को लांच कर दिया था. वैसा ही AI की दुनिया में Deepseek ने किया है.

Deepseek AI Challenge For America Supremacy: मानव सभ्यता के विकास में कुछ ऐसे पल आते हैं, जब कोई देश कुछ ऐसा कर जाता है ,जिससे पूरी दुनिया का संतुलन ही डांवाडोल होने लगता हैै. इतिहास की ओर देखा जाय तो 18 वीं सदी में हुई औद्योगिक क्रांति और फिर इंटरनेट ऐसे तकनीकी खोज हैं जिसने दुनिया में एक देश का आधिपत्य न केवल खत्म कर दिया बल्कि उसी दौर में दुनिया को नया सरताज दिया. औद्योगिक क्रांति ने जहां ब्रिटेन को दुनिया का बादशाह बनाया वहीं इंटरनेट ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के बढ़ते वर्चस्व को मजबूती से स्थापित कर दिया. अब एक बार फिर वैसा ही एक पल दस्तक दे रहा है.
चीन के लिए स्पुतनिक मोमेंट
चीन के लिए स्पुतनिक मोमेंट जैसा है. जी हां जिस तरह रूस ने अमेरिका की अंतरिक्ष पावर को चुनौती देते हुए बेहद कम लागत में स्पुतनिक सेटेलाइट को लांच कर दिया था. उस वक्त रूस ने करीब 33 मिलियन डॉलर में स्पुतनिक-1 लांच कर दिया था. जबकि नासा आमतौर पर 5 से 10 गुना लागत पर सैटेलाइट लांच कर रहा था. ठीक वैसा ही काम AI की दुनिया में चीन ने कर दिया है. भूचाल ऐसा है कि दुनिया की दिग्गज तकनीकी कंपनियों की लुटिया डूब गई है. अकेले Nvidia के मार्केट कैप में करीब 600 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है. यह अमेरिकी इतिहास में किसी भी कंपनी के लिए एक दिन में होने वाली सबसे बड़ी गिरावट है, और दुनिया भर के टेक दिग्गजों की दौलत एक दिन में 108 अरब डॉलर गई.
OpenAI, Google, Microsoft, Meta कोई भी हो सभी टेक्नोलॉजी कंपनियां भौंचक्की है कि जिस ChatGPT, Gemini को डेवलप करने में उसने 600-800 करोड़ रुपये खर्च कर दिए, उसे चीन के एक हेडमास्टर के लड़के ने 45-46 करोड़ रुपये में कैसे बना दिया. वह भी उनसे बेहतर.. क्योंकि डीपसीक ने जहां अपने मॉडल को ट्रेन करने के लिए केवल 2,000 NVIDIA के स्पेशलाइज्ड कंप्यूटर चिप्स का इस्तेमाल किया, वहीं अमेरिका की दिग्गज कंपनियां अपने AI मॉडल्स को विकसित करने के लिए 16,000 या उससे अधिक चिप्स का इस्तेमाल करती हैं.
कॉपीकैट करने वाला चीन कैसे बना इनोवेटर
चीन ने Deepseek AI को लांच कर पूरी दुनिया में भूचाल मचा रखा है. और वो देश जिसे कॉपी कैट करने वाला कहा जाता था. वह अब इनोवेटर बन गया है. आज दुनिया में सबसे ज्यादा तेज गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन चीन के पास है,सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक कार चीन बेचता है. दुनिया के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर चीन के पास हैं, चाहे पुल हो सड़क हो या रेलवे, एयरपोर्ट नेटवर्क सब कुछ में चीन नई मिसाल पेश कर रहा है.
Deepseek AI छोड़िए अब जरा पिछले कुछ हफ्तों में चीन की कुछ सफलताओं को भी देखिए. चीन ने कुछ दिनों पहले ऐसी ऑयरन मेकिंग टेक्नोलॉजी विकसित की है. जो मौजूदा तकनीकी से 3600 गुना ज्यादा तेज है,इससे चीन के लिए स्टील निर्माण क्षमता बढ़ाएगी. इसके बाद चीन ने छठे जेनरेशन फाइटर जेट डेवलप कर दुनिया को चौंका दिया. इसी तरह चीन ने सैटेलाइट से धरती पर डाटा 100 gps की स्पीड से पहुंचा दिया. जो एलन मस्क के स्टारलिंक से कई गुना ज्यादा तेज है. साफ है कि चीन दुनिया के सामने नई नजीर पेश कर रहा है.
अमेरिका क्यों डरा
असल में जिस तरह से चीन ने बेहद कम लागत में DeepSeek R1 को लांच किया हैं. और वह दूसरे AI मॉडल से इसलिए अलग है क्योंकि वह कॉस्ट-एफिशिएंट यानी कम खर्चीला और ओपन-सोर्स है. जिसकी वजह से DeepSeek पूरी तरह से फ्री है. इसके मुफ्त में मिलने का एक कारण यह है कि इसकी लागत बहुत कम है. ओपनएआई के 01 जैसे मॉडल की लागत प्रति मिलियन इनपुट टोकन लगभग 15 डॉलर है. यही काम डीपसीक के लिए मात्र 0.55 डॉलर की लागत में हो सकते हैं. साथ ही इसकी क्वालिटी इतनी अच्छी है कि वह अमेरिकी टेक दिग्गजों के होश उड़ा रखे हैं. असल में अमेरिकी टेक दिग्गजों को इस बात का डर है कि जिस AI के जरिए वह दुनिया में राज करने की सोच रहे थे, उनके उस सपने को डीपसीक एक झटके में उड़ा सकता है. यानी अमेरिका का वर्चस्व खत्म हो सकता है और चीन AI के जरिए दुनिया में राज कर सकता है यानी अगला सुपरपावर चीन बन सकता है.
क्या फिर छिड़ेगा शीत युद्द
अब एक और घटना को समझिए, DeepSeek R1 को लांच करने के अगले ही दिन इस AI असिस्टेंट पर लगातार साइबर अटैक होने लगे, जिसकी वजह से उसे अपने रजिस्ट्रेशन को सीमित करना पड़ा है. DeepSeek की लोकप्रियता का आलम यह है कि अमेरिका में Apple ऐप स्टोर पर टॉप-रेटेड मुफ्त ऐप के रूप में स्थान दिया गया. जाहिर है जिस तरह स्पेस की दुनिया में सरताज बनने के लिए अमेरिका और रूस में शीत शुद्ध छिड़ा था और उसकी वजह से दुनिया 2 हिस्सों में बंट गई और 40 साल तक वर्चस्व की लड़ाई चलती रही. वैसा ही शीत युद्ध AI की दुनिया में सरताज बनने के लिए अमेरिका और चीन में शुरू हो सकता है. क्योंकि आने वाले समय में AI की दुनिया में जो राज करेगा, वहीं दुनिया का बादशाह होगा.