किसने बनाया S-400 जैसा अचूक सिस्टम, जिससे पाकिस्तान के सभी ड्रोन और मिसाइल हो गए फेल

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी ड्रोन-मिसाइल हमले को रूसी S-400 डिफेंस सिस्टम से नाकाम किया. यह सिस्टम 400 किमी तक लक्ष्य भेदने और 600 किमी दूर तक ट्रैकिंग में सक्षम है. भारत ने 2018 में रूस से इसकी 5.43 अरब डॉलर की डील की थी. यह दुनिया के सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है, जिसे भारत में “सुदर्शन चक्र” कहा जाता है. भारत ने जवाबी कार्रवाई में पाक के एयर डिफेंस को तबाह कर दिया.

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी ड्रोन-मिसाइल हमले को रूसी S-400 डिफेंस सिस्टम से नाकाम किया. Image Credit: Russian Ministry of Defense

S-400 Defence System: भारत के ऑपरेशन सिंदूर का बदला लेने के लिए पाकिस्तान ने 7 मई की आधी रात को भारत के 15 से ज्यादा शहरों पर मिसाइल हमला किया. हालांकि उसे यहां भी मुंह की खानी पड़ी. भारतीय सेना ने रूस के बने S-400 का उपयोग करते हुए सारे टारगेट को रास्ते में ही मार गिराया है. इसके बाद भारत ने फिर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कई शहरों में ड्रोन अटैक करते हुए पाकिस्तान एयर डिफेंस को तबाह कर दिया. पाकिस्तानी हमले को नाकाम करने वाली S-400 दुनिया के सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम में से एक है.

क्या है S-400 डिफेंस सिस्टम?

S-400 ट्रायम्फ एक लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है. यह सतह से हवा में मार करती है. इसे रूस की अलमाज-आंतेई (Almaz-Antey) कंपनी ने बनाया है. यह पूरी दुनिया में सबसे एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम है और कई तरह के हवाई खतरों को सटीकता के साथ मार गिराती है.

क्या है इसकी खासियत

S-400 अपने टारगेट को 400 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है और यह 600 किलोमीटर दूर तक टारगेट को ट्रैक कर सकती है. यह 5 मीटर से लेकर 30 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर मौजूद लक्ष्य को भेद सकती है. यह सिस्टम इतना एडवांस है कि इससे फाइटर जेट्स, ड्रोन, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल और स्टील्थ जेट को भी निशाना बनाया जा सकता है. इसमें चार तरह की मिसाइलों का उपयोग किया जाता है, जिनमें 40N6, 48N6, 9M96E2, 9M96E शामिल हैं.

कहीं भी तैनात किया जा सकता है

इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी मोबिलिटी यानी कहीं भी तैनात करने की क्षमता है. इसे ट्रक, रेल पर भी तैनात किया जा सकता है और मात्र 5 से 10 मिनट में यह पूरी तरह तैयार हो जाता है. इसकी रडार प्रणाली भी बहुत ताकतवर है जिसकी वजह से यह एक साथ 300 टारगेट को ट्रैक कर सकता है.

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भारत में कहां है तैनात

भारत ने इस सिस्टम के लिए रूस से 2018 में 5.43 अरब डॉलर में डील की थी, जिसके तहत भारत को पांच स्क्वाड्रन मिलने थे. अब तक 4 स्क्वाड्रन मिल चुके हैं, जिन्हें राजस्थान, गुजरात, पंजाब में तैनात किया गया है. भारत में इसे सुदर्शन चक्र नाम से जाना जाता है.

कौन से देश करते हैं इसका इस्तेमाल

इस सिस्टम को रूस ने बनाया है और वहीं सबसे ज्यादा इसका उपयोग करता है. इसके अलावा इसे चीन, तुर्किए और भारत इस्तेमाल करते हैं. अमेरिका ने इस सिस्टम को खरीदने पर बैन लगा रखा है, जिसकी वजह से इसे खरीदने के लिए अमेरिका की सहमति लेनी होती है, नहीं तो अमेरिका इस सिस्टम को खरीदने वाले देश पर प्रतिबंध लगा देता है.