संचार साथी यूजर के लिए होगा ऑप्शनल, जासूसी के आरोपों के बीच सरकार की सफाई, जानें ऐप कैसे करता है काम

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने संचार साथी ऐप को जासूसी ऐप कहा और आरोप लगाया कि सरकार लोगों की प्राइवेसी छीन रही है. सरकार चाहती है कि यह ऐप हर नए फोन में हो. सरकार कहती है कि ऐप फ्रॉड रोकने के लिए है, लेकिन विपक्ष इसे तानाशाही जैसा कदम बता रहा है.

Sanchar Saathi ऐप होगा ऑप्शनल Image Credit: Internet

Sanchar Saathi App: संचार साथी ऐप को लेकर सरकार के नए आदेश ने विवाद गरमा दिया है. एक तरफ सरकार ने साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए मोबाइल कंपनियों से कहा है कि वे नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप प्री-इंस्टॉल करके दें . और जैसे ही फोन पहली बार ऑन हो तो ऐप यूजर को स्क्रीन पर आसानी से दिखाई दे. इस फैसले के बाद विपक्ष ने प्राइवेसी का हवाला देते हुए कई सवाल उठाए हैं. उसका कहना है कि सरकार संचार साथी ऐप के जरिए देश के नागरिकों का डाटा इस्तेमाल करना चाहती है. बढ़ते विवाद को देखते हुए मंगलवार को टेलीकाम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि ऐप केवल सुरक्षा के लिए है, यह यूजर के लिए ऑप्शनल है और इसे डिलीट किया जा सकता है. इसके लिए कोई मॉनिटरिंग या डेटा कलेक्शन नहीं किया जाएगा. ऐसे में आइए पूरे मामले को विस्तार से जानते है.

संचार साथी क्या है?

यह ऐप टेलीकॉम विभाग (DoT) का प्लेटफॉर्म है. इसे मई 2023 में लॉन्च किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को साइबर फ्रॉड, फर्जी कॉल्स, और खोए हुए मोबाइल से जुड़ी समस्याओं से बचाना है. इस ऐप से आप अपना खोया या चोरी हुआ मोबाइल ब्लॉक/ट्रेस कर सकते हैं. आफके नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं, यह पता लगा सकते हैं. फर्जी कॉल, स्पैम, गलत लिंक, मैसेज या किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट कर सकते हैं. मोबाइल का IMEI नंबर असली है या नहीं, यह जांच सकते हैं. सरकार का कहना है कि प्लेटफॉर्म की मदद से अब तक लाखों चोरी हुए फोन ट्रेस किए गए हैं और कई साइबर फ्रॉड रोके गए हैं.

  • अपना खोया या चोरी हुआ मोबाइल ब्लॉक/ट्रेस कर सकते हैं.
  • अपने नाम पर कितने मोबाइल नंबर चल रहे हैं, यह पता लगा सकते हैं.
  • फर्जी कॉल, स्पैम, गलत लिंक, मैसेज या किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट कर सकते हैं.
  • मोबाइल का IMEI नंबर असली है या नहीं, यह जांच सकते हैं.

विपक्ष क्यों विरोध कर रहा है?

विपक्ष ने कहा कि इससे लोगों की प्राइवेसी पर असर पड़ सकता है. सरकार लोगों के फोन में अपनी स्थायी मौजूदगी बनाना चाहती है. आदेश बिना सार्वजनिक बहस या इंडस्ट्री से सलाह किए जारी किया गया. हालांकि सरकार का दावा है कि विपक्ष का यह डर बेबुनियाद है क्योंकि ऐप कोई डेटा नहीं लेता, ऐप को यूजर खुद कंट्रोल करता है. इसका उद्देश्य केवल सुरक्षा बढ़ाना है.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने संचार साथी ऐप को स्नूपिंग ऐप बताया और आरोप लगाया कि सरकार देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है. सरकार ने फोन कंपनियों से कहा है कि वे सभी नए मोबाइल में यह ऐप 90 दिनों के भीतर प्री-इंस्टॉल करें. प्रियंका गांधी का कहना है कि नागरिकों का प्राइवेसी का अधिकार है और किसी ऐप के बहाने सरकार को हर फोन में झांकने का हक नहीं मिल सकता.

सरकार ने इसे प्री-इंस्टॉल क्यों करने को कहा?

सरकार का कहना है कि देश में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिसमें फर्जी कॉल्स, ऑनलाइन ठगी और फेक KYC वाले मैसेज शामिल हैं. संचार साथी ऐप लोगों को तुरंत रिपोर्ट करने में मदद करेगा. तकनीकी नज़रिए से कई अपराधियों द्वारा IMEI नंबर बदलकर फोन का इस्तेमाल किया जाता है. कई लोग अनजाने में चोरी या ब्लैकलिस्टेड फोन खरीद लेते हैं.

देश में सेकंड-हैंड मोबाइल मार्केट बड़ा है, जहां फर्जी डिवाइस आसानी से बेचे जाते हैं. सरकार का मानना है कि यदि ऐप हर फोन में उपलब्ध होगा, तो मोबाइल की असलियत चेक करना आसान होगा. गलत IMEI वाले फोन पकड़े जाएंगे. साइबर अपराध की रिपोर्टिंग तेज होगी और आम लोगों को सुरक्षा मिलेगी.

क्या इसे हटाया जा सकेगा?

सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐप ऑप्शनल होगा. मतलब यह फोन में प्री-इंस्टॉल मिलेगा, लेकिन यूजर चाहे तो इसे डिलीट कर सकता है. ऐप किसी भी तरह की मॉनिटरिंग नहीं करेगा. ऐप किसी भी तरह का पर्सनल डेटा नहीं लेता, न कॉल रिकॉर्ड देखता है, न मैसेज पढ़ता है. सरकार का कहना है कि ऐप केवल सिक्योरिटी टूल है, कोई निगरानी सिस्टम नहीं है.

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