इंडियन सिम कार्ड का इस्तेमाल कर भारतीयों से ठगी, गुजरात पुलिस ने भंडा फोड़ा, ₹1200 में बिकते थे 1 सिम
गुजरात में सामने आया SIM कार्ड साइबर फ्रॉड मामला हैरान कर देने वाला है, जहां लोगों के निजी दस्तावेज चुपचाप इस्तेमाल कर नई SIM निकाली गईं और विदेश भेजकर ठगी के बड़े खेल में लगाई गईं. पुलिस द्वारा पकड़े गए नेटवर्क ने हजारों लोगों को निशाना बनाया और बड़े स्तर पर डिजिटल ठगी को अंजाम दिया.
SIM Card Cyber Fraud: साइबर ठगों की सूझ-बूझ देखकर हैरानी होती है. वे ठगी के लिए हर दिन कोई नया जाल रचते हैं, जिसमें कभी आपकी एक छोटी सी लापरवाही आपकी जमा-पूंजी डुबो देती है, तो कभी आपके आस-पास के विश्वासपात्र लोग ही धोखे की जड़ बन जाते हैं. हाल ही में गुजरात से सामने आया एक मामला इसका चौंकाने वाला उदाहरण है, जहां लोगों के निजी डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल उनकी जानकारी के बिना नई सिम कार्ड बनाने के लिए किया गया.
इन सिम कार्ड्स को देश से बाहर भेजकर एक ऐसा षड्यंत्र रचा गया, जहां से भारतीयों को ही ठगने का सिलसिला चलाया जाता था. Wion की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात पुलिस ने इस मामले में तीन संदिग्धों विजय रावल, शुभम पराडिया और किरण ठक्कर को गिरफ्तार करके इस बड़े साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है.
ठगी का पता कैसे चला
गुजरात के चांदलोदिया के रहने वाले एक शख्स से ठगी होने के बाद इस गैंग का भंडाफोर हुआ. उसका सिम उसके नाम से बना था लेकिन उसे कुछ पता ही नहीं था. जब पुलिस ने जांच की तो पता चला कि आरोपी विजय रावल ने उसके डॉक्यूमेंट लिए थे. रावल ने कहा था कि पुराना नंबर नए सिम में ट्रांसफर करना है. बाद में कहा कि सर्वर डाउन है, सिम खुद एक्टिव हो जाएगा. असल में उसने नया एयरटेल सिम निकलवाया और ठगों को बेच दिया.
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इस सिम से डिजिटल अरेस्ट ठगी हुई. यानी लोगों को फोन करके पुलिस बनकर डराया गया और पैसे लिए गए. इसी तरह के सिम का इस्तेमाल करके युवाओं को Brunei, Cambodia, Indonesia, Laos, Malaysia, Myanmar जैसे देश में बुलाकर गुलाम बना लिया जाता है.
1200 में बिकते थे 1 सिम कार्ड
रावल सिम 700 रुपये में शुभम पराडिया को बेचता था. पराडिया इन्हें किरण ठक्कर को 1200 रुपये में देता था. ठक्कर इन्हें बड़े गैंग को बेचता था. अब पुलिस पता लगा रही है कि सिम भारत से बाहर कैसे जाती थी. गुजरात में इस साल साइबर ठगी की शिकायतें 200 फीसदी बढ़ गई हैं. जनवरी से सितंबर 2025 तक 1.42 लाख से ज्यादा शिकायतें आईं. यानी हर दिन औसतन 521 शिकायतें. लोगों के कुल 1011 करोड़ रुपये से ज्यादा ठग लिए गए.