क्या है e-Zero FIR? 10 लाख प्लस के साइबर फ्रॉड पर सीधे पुलिस लेगी एक्शन, बस आपको करना होगा ये काम
अगर आपके साथ 10 लाख रुपये से ज्यादा का साइबर फ्रॉड होता है तो आपकी एक फोन कॉल पर सीधा एक्शन पुलिस लेगी. यानी आपने हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन किया तो वह ऑटोमेटिक रुप से एफआईआर के रुप में रजिस्टर्ड हो जाएगी. यह सुविधा e-Zero FIR के तहत मिलेगी.

e-Zero FIR: साइबर फ्रॉड से अब हर कोई परेशान है. ऐसे में अब अगर आपके साथ 10 लाख रुपये से ज्यादा का साइबर फ्रॉड होता है तो आपकी एक फोन कॉल पर सीधा एक्शन पुलिस लेगी. यानी आपने हेल्पलाइन नंबर 1930 पर फोन किया तो वह ऑटोमेटिक रुप से एफआईआर के रुप में रजिस्टर्ड हो जाएगी. यह सुविधा e-Zero FIR के तहत मिलेगी. जिसे गृह मंत्रालय ने सोमवार (19 मई) को शुरू की है. तो आइए जानते हैं कि आप कैसे e-Zero FIR करा सकते हैं,
कैसे करता है काम
यह प्रक्रिया सबसे पहले दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हो रही है और जल्द ही पूरे देश में लागू होगी. जब कोई व्यक्ति नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर 10 लाख रुपये से ज्यादा के फ्रॉड की शिकायत दर्ज करता है, तो यह शिकायत दिल्ली पुलिस की e-क्राइम पुलिस स्टेशन में अपने आप Zero FIR बन जाएगी. इसके बाद यह FIR संबंधित क्षेत्र के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को भेज दी जाएगी. शिकायतकर्ता को तीन दिन के अंदर नजदीकी साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन जाकर इस Zero FIR को नियमित FIR में बदलवाना होगा.
गृह मंत्रालय ने सोमवार को e-Zero पहल शुरू की. इसके तहत 10 लाख रुपये से अधिक के साइबर अपराधों को अपने आप FIR में बदल देगी. यानी अगर आप 10 लाख रुपये से अधिक के साइबर अपराधों को 1930 हेल्पलाइन या नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर दर्ज कराते हैं तो यह अपने आप FIR में बदल जाएगी. e-Zero FIR को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लांच किया गया है.
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क्या मिलेगा फायदा
साइबर फ्रॉड के शिकार लोगों को अक्सर अपना पैसा वापस पाने में मुश्किल होती है. इस नई सिस्टम से शिकायतों को तेजी से FIR में बदला जाएगा. इससे पुलिस जल्दी कार्रवाई कर सकेगी. यह साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने और पीड़ितों को उनका पैसा वापस दिलाने में मदद करेगा. यह सिस्टम भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के नए नियमों के तहत काम करता है. यह दिल्ली पुलिस भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के सहयोग से बनाया गया है.
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