कितनी पावरफुल है मेड इन इंडिया विक्रम चिप, जो भारत के लिए बना आत्मनिर्भर मोमेंट; देगा सुपर पावर का रसूख

भारत ने आज अपना पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विक्रम-3201 पेश किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे 21वीं सदी का डिजिटल गोल्ड बताया और 1.5 लाख करोड़ रुपये सेमीकंडक्टर यूनिट्स में निवेश की घोषणा की. यह चिप -55 से 125 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकती है और रक्षा, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव तथा ऊर्जा सेक्टर में उपयोगी होगी.

भारत ने आज अपना पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर विक्रम-3201 लॉन्च किया. Image Credit: CANVA

Vikram Chip: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 2 सितंबर को देश का पहला स्वदेशी 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर विक्रम पेश किया. इस चिप को इसरो ने बनाया है. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का यह छोटा चिप एक दिन पूरी दुनिया में बड़ा बदलाव लाएगा. इसकी तुलना 21वीं सदी में डिजिटल गोल्ड से करते हुए उन्होंने कहा कि 20वीं सदी में जो तेल का महत्व था 21वीं सदी में वही सेमीकंडक्टर का है. इसके साथ ही पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स को बनाने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश की घोषणा की. तो आइए जानते हैं कि भारत के इस कदम को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जा रहा है और इसका देश को क्या फायदा होगा.

21वीं सदी के डिजिटल डायमंड

अभी सेमीकंडक्टर चिप के मैन्युफैक्चरिंग में चीन पूरी दुनिया पर राज करता है. इसके अलावा ताइवान, अमेरिका और पश्चिमी देश इसकी मैन्युफैक्चरिंग करते हैं. लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में सेमीकंडक्टर का उपयोग होता है. जिसके कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. हाल ही में चीन ने इससे जुड़ी कुछ मैगनेट पर बैन लगाकर पूरी ग्लोबल सप्लाई को प्रभावित किया है. ऐसे में अगर भारत इसका उत्पादन शुरू करता है तो चीन या किसी दूसरे देश पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.

भारत का सेमीकॉन इंडिया मिशन

2021 में सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम लॉन्च हुआ था. अब तक 10 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल चुकी है और 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है. राष्ट्रीय सिंगल विंडो सिस्टम से निवेशकों को सभी मंजूरी एक ही प्लेटफॉर्म पर मिल रही है. सरकार का प्रयास है कि जल्द से जल्द बड़े स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग की जाए जिससे देश की जरूरतें पूरी की जा सकें.

ग्लोबल चिप रेस में भारत की एंट्री

वर्तमान में वैश्विक सेमीकंडक्टर मार्केट 600 बिलियन डॉलर का है, जो 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का हो जाएगा. इसीलिए सरकार का प्रयास है कि मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने से न सिर्फ देश की जरूरत पूरी होगी बल्कि निर्यात भी किया जाएगा. जिससे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी.

टैलेंट और स्टार्टअप इकोसिस्टम

करीब 20 फीसदी चिप डिजाइन इंजीनियर भारत में हैं. देश के 278 विश्वविद्यालयों में EDA टूल्स से 60 हजार इंजीनियरों को ट्रेन किया जा रहा है. सरकार की PLI और DLI स्कीम से कई स्टार्टअप रक्षा, ऑटो, ऊर्जा और एयरोस्पेस सेक्टर के लिए चिप डिजाइन कर रहे हैं.

मजबूत डिजाइन और एडवांस टेक्निकल फीचर्स

भारत का पहला स्वदेशी चिप विक्रम 3201 एक 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर है जो जटिल कैलकुलेशन और बड़ी मेमोरी को आसानी से संभाल सकता है. इसमें कस्टम इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर ISA दिया गया है, जिससे यह मल्टी टास्क आदेशों को समझने और हल करने में सक्षम है. माइनस 55 से 125 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहने की क्षमता और Ada प्रोग्रामिंग भाषा का सपोर्ट इसे अंतरिक्ष, रक्षा, एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए बेहद उपयोगी बनाता है.

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अर्थव्यवस्था और रोजगार पर असर

सरकार का अनुमान है कि भारत में सेमीकंडक्टर की मांग 2030 तक 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. इससे लाखों नौकरियां पैदा होंगी और भारत वैश्विक सप्लाई चेन में एक भरोसेमंद साझेदार बनेगा. लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा.