GST Council Meeting: रोजमर्रा की चीजें होंगी सस्ती, कार-इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी घटेगा टैक्स, EVs पर खींचतान
GST Council की अहम बैठक बुधवार को शुरू होने वाली है. इस बैठक में टैक्स स्लैब घटाने पर बड़ा फैसला संभव है. अगर ऐसा हुआ, तो रोजमर्रा की चीजें जैसे घी, पानी, दवाइयां सस्ती होंगी. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स और कारों पर टैक्स घटेगा. इसके अलावा फिलहाल EVs पर केंद्र और राज्यों में टकराव जारी है.

GST Council की दो दिवसीय बैठक बुधवार से शुरू हो रही है. कई मायनों में यह बैठक ऐतिहासिक होने वाली है. क्योंकि, इस दौरान सिर्फ टैक्स स्लैब की समीक्षा नहीं होगी, बल्कि पूरे टैक्स स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव हो सकता है. काउंसिल की यह मीटिंग मोदी सरकार के ‘नेक्स्ट-जेन GST रिफॉर्म’ को धरातल पर उतारेगी.
2017 में GST लागू होने के समय 5, 12, 18 और 28% के 4 टैक्स स्लैब बनाए गए थे. GST को भारत के टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाने के लिए लाया गया. लेकिन, चार स्लैब की वजह से इसकी लगातार आलोचना होती रही है. अब सरकार इसे सरल बनाने पर जोर दे रही है. उद्देश्य है कि आम उपभोक्ता को राहत मिले, खपत बढ़े और बिजनेस के लिए टैक्स अनुपालन आसान हो. लेकिन राज्यों को राजस्व नुकसान की आशंका है और यही इस मीटिंग की सबसे बड़ी चुनौती है.
रोजमर्रा की चीजें हो सकती हैं सस्ती
कई रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं 12% से घटकर 5% स्लैब में आ सकती हैं. इनमें घी, 20 लीटर पैक पानी, नमकीन, पेंसिल, छाते और दवाइयां शामिल हैं. इससे सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है.
इलेक्ट्रॉनिक्स पर राहत संभव
टीवी, वॉशिंग मशीन और फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स 28% से घटकर 18% टैक्स ब्रैकेट में आने की संभावना है. इससे उनकी कीमतें कम हो सकती हैं और डिमांड बढ़ सकती है.
ऑटो सेक्टर में डिफरेंशियल टैक्स
ऑटोमोबाइल्स पर डिफरेंशियल टैक्स दरें लागू हो सकती हैं. छोटे और एंट्री लेवल कारों पर 18% टैक्स जबकि SUV और लग्जरी गाड़ियों पर 40% की विशेष दर प्रस्तावित है. तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसे डेमेरिट गुड्स पर भी यही 40% दर लागू होगी, साथ ही अतिरिक्त टैक्स लगाने की संभावना भी है.
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर खींचतान
बैठक में सबसे बड़ी बहस इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के टैक्स रेट पर है. Group of Ministers ने 40 लाख रुपये तक के EVs पर 18% GST का सुझाव दिया है. लेकिन केंद्र 5% दर का पक्षधर है, ताकि EV अपनाने को बढ़ावा मिल सके. यह सिर्फ टैक्स का नहीं बल्कि देश की ग्रीन मोबिलिटी रणनीति का सवाल भी है.
राज्यों की नाराजगी और राजनीतिक पेंच
आठ विपक्ष-शासित राज्यों बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पंजाब, झारखंड, तेलंगाना और हिमाचल ने मांग की है कि टैक्स स्लैब घटाने से होने वाली राजस्व कमी की भरपाई केंद्र करे. 2017 में बनी मुआवजा व्यवस्था जून 2022 में खत्म हो चुकी है. राज्यों का कहना है कि बिना मुआवजे के उनकी कमाई घट जाएगी. केंद्र का तर्क है कि कम टैक्स से खपत बढ़ेगी और राजस्व की भरपाई हो जाएगी.
आर्थिक असर बनाम राजनीतिक समीकरण
अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो भारत का GST ढांचा बेहद सरल हो जाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक संदेश देगा. FMCG और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में खपत बढ़ सकती है. लेकिन अगर राज्यों की चिंताओं का समाधान नहीं हुआ तो यह रिफॉर्म ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की राह में सबसे बड़ी रुकावट बन सकता है.
Latest Stories

Rupee vs Dollar: लगातार तीसरे दिन कमजोर हुआ रुपया, 88.15 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद

भारत में बन सकता है Su-57 फाइटर जेट, रूस कर रहा निवेश का एनालिसिस; रिपोर्ट का दावा

Budget 2026-27: 9 अक्टूबर से शुरू होगी बजट की तैयारी, 8 फीसदी ग्रोथ पर होगा फोकस
