
वेरिफिकेशन से क्यों डर रही हैं कंपनियां, सरकार के नए टेलीकॉम नियम से कितना सेफ है आपका डेटा?
क्या आपका मोबाइल नंबर सरकारी निगरानी का जरिया बनता जा रहा है? क्या अब व्हाट्सएप, अमेजन, नेटफ्लिक्स या बैंकिंग ऐप्स पर हर लॉगिन सरकारी मान्यता प्राप्त वेरिफिकेशन से होकर गुजरेगा? क्या मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन वाकई साइबर सुरक्षा से जुड़ा है या इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा है? वैश्विक तकनीकी कंपनियां गंभीर चिंताएं क्यों जता रही हैं? और इससे व्यवसायों और उपयोगकर्ताओं को कितना नुकसान होगा? इस वीडियो में, हम भारत के नए मोबाइल नंबर सत्यापन मसौदा नियम के पीछे की सच्चाई को उजागर करते हैं. क्या आपकी डिजिटल आजादी खतरे में है, क्या आपका डेटा सेफ है?
दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा प्रस्तावित साइबर सुरक्षा नियमों के मसौदे का उद्देश्य मोबाइल नंबर सत्यापन के माध्यम से मोबाइल फोन के ज़रिए होने वाली ऑनलाइन धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है. मसौदा नियमों में बैंकों और अन्य संस्थाओं, जिन्हें दूरसंचार पहचानकर्ता उपयोगकर्ता संस्थाएँ (TIUE) कहा जाता है, को दूरसंचार विभाग के नए मोबाइल नंबर सत्यापन (MNV) प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के लिए कहा गया है.
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