रेयर अर्थ के बाद अब सोयाबीन बना ट्रेड वार का नया हथियार, चीन ने रोकी अमेरिकी खरीद; कीमतों में भारी गिरावट

चीन ने इस साल अमेरिकी सोयाबीन की एक भी खरीद नहीं की है, जिससे दाम गिर गए और किसानों में घबराहट है. चीन वैश्विक बाजार में सबसे बड़ा खरीदार है और उसके हटने से अमेरिकी किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. ट्रंप इस मुद्दे को एपीईसी शिखर सम्मेलन में उठाने वाले हैं.

चीन ने इस साल अमेरिकी सोयाबीन की एक भी खरीद नहीं की है. Image Credit: CANVA

Soybean: चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव में चीन ने सोयाबीन को रणनीतिक हथियार बना लिया है. चीन जो पहले अमेरिकी सोयाबीन का सबसे बड़ा खरीदार था, उसने अब तक इस साल की अमेरिकी फसल से एक भी खरीद नहीं की है. इस साल की शुरुआत में चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स के एक्सपोर्ट रोककर अमेरिका पर दबाव बनाया था. अब वह उसी रणनीति को दोहराते हुए अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर बिंदु पर सीधा वार कर रहा है. इससे अमेरिका में किसान परेशान हैं और वह राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दे रहे हैं, जबकि ट्रंप ने कहा है कि एपीईसी शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के सामने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे.

रेयर अर्थ के बाद अब सोयाबीन

कुछ महीने पहले चीन ने रेयर अर्थ मिनरल्स के एक्सपोर्ट बैन के जरिए अमेरिकी प्रशासन पर दबाव बनाया था. ये मिनरल्स इलेक्ट्रिक वाहनों सेमीकंडक्टर्स और सैन्य उपकरणों में अहम भूमिका निभाते हैं. उस समय ट्रंप प्रशासन को एक्सपोर्ट कंट्रोल पर नरमी दिखानी पड़ी थी. चीन की इस रणनीति से ट्रंप को चीन के साथ ट्रेड डील करनी पड़ी थी और उनकी दबाव की रणनीति चीन के मामले में फेल हो गई थी.

अब सोयाबीन पर चीन की नई चाल

अब चीन ने सोयाबीन को वार्ता के नए हथियार के रूप में अपनाया है. चीन वैश्विक सोयाबीन बाजार का 61 फीसदी हिस्सा खरीदता है. इस साल उसने अमेरिका से शून्य खरीद की है जबकि पिछले साल उसने 12.6 अरब डॉलर की सोयाबीन खरीदी थी. जानकारों का मानना है कि यह कदम ट्रंप के नए टैरिफ के जवाब में आर्थिक दबाव बनाने का हिस्सा है. चीन ने साथ ही ब्राजील और अर्जेंटीना से भारी मात्रा में सोयाबीन खरीदकर अमेरिकी किसानों को बाजार से बाहर कर दिया है.

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अमेरिकी किसान परेशान

इस रणनीति का सबसे बड़ा असर अमेरिकी किसानों पर पड़ा है. ट्रंप प्रशासन के टैरिफ से पहले ही लागत बढ़ चुकी है अब खरीदारों की कमी ने संकट और गहरा कर दिया है. कई जानकार मानते हैं कि यह कदम चीन इसलिए उठा रहा है क्योंकि वह जानता है कि किसान ट्रंप का राजनीतिक आधार हैं और उन पर दबाव डालकर वह ट्रंप प्रशासन को वार्ता में झुकने पर मजबूर कर सकता है. अगर दिसंबर तक कोई समझौता नहीं हुआ तो अमेरिकी सोयाबीन वैश्विक खरीदी के अहम समय से चूक जाएगा.

सोयाबीन बना नया हथियार

रेयर अर्थ के बाद सोयाबीन चीन के लिए एक और प्रभावी भू राजनीतिक औजार बन गया है. जहां पहले उसने तकनीकी और रक्षा उद्योग पर दबाव बनाया था वहीं अब उसने अमेरिका की ग्रामीण इकोनॉमी को निशाना बनाया है.