भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट फिर हो सकती है शुरू, खुद सिविल एविएशन मंत्री ने दिए संकेत

कोविड महामारी के दौर से ही भारत और मेनलैंड चीन के बीच सीधे फ्लाइट नहीं चल रही हैं. इसकी वजह से खासतौर पर सह कारोबारियों को दिक्कत होती है, जिन्हें व्यापार के लिए अक्सर चीन आना-जाना पड़ता है. दोनों देश फिर से परस्पर उड़ान शुरू करने पर विचार कर रहे हैं.

दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा Image Credit: DIAL

सिविल एविएशन मंत्री राममोहन नायडू ने मंगलवार को बताया कि भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों फिर से शुरू करने के लिए बातचीत की जा रही है. कोविड महामारी के दौरान 2020 की शुरुआत में ही दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं. इसी दौरान पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद राजनयिक रिश्तों में तल्खी आ गई.

इस साल 27 जनवरी को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थिर बहाली को लेकर सीधी हवाई सेवा फिर से शुरू करने के लिए सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की है. नायडू ने मंगलवार को बताया कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता हो रही है, जब बातचीत पूरी हो जाएगी तो इसकी विस्तार से जानकारी दी जाएगी.

कोविड महामारी से पहले भारत और चीन के बीच हवाई यात्राएं लगातार बढ़ रही थीं. एविएशन वीक की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में करीब 12.5 लाख लोगों ने परस्पर एक-दूसरे दशे की सीधे हवाई यात्रा की थी. उस समय सबसे व्यस्त मार्ग नई दिल्ली से शंघाई था, जहां से करीब 149,000 यात्रियों ने भारत-चीन की यात्रा की थी. इसके बाद नई दिल्ली से ग्वांगझू और मुंबई से शंघाई के बीच सबसे ज्यादा उड़ानें होती रहीं.

ये एयरलाइन कर रहीं थीं ऑपरेट

अकेले दिसंबर 2019 में भारत और चीन के विभिन्न शहरों के बीच 539 सीधी यात्री उड़ानें हुई थीं. उस दौरान एयर इंडिया, इंडिगो, एयर चाइना, चाइना सदर्न एयरलाइंस और चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस जैसी एयरलाइंस बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझू, नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ने के लिए सीधे फ्लाइट ऑपरेट कर रही थीं.

अब भी हो रहीं यात्राएं

कोविड महामारी और सीमा पर तनाव के बीच सीधे उडानें बंद होने के बाद दोनों देशों के बीच यात्री यातायात में भारी कमी आई है. लेकिन, इसके बाद भी यात्राएं जारी हैं. 2024 में भारत और चीन के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या करीब 6,00,000 रही. इनमें से ज्यादातर लोगों ने चीन और भारत के बीच का सफर हांग कांग, सिंगापुर या बैंकॉक जैसे शहरों के जरिये पूरा किया.