नेपाल जैसे छोटे देश से कितना कमाती हैं फेसबुक, X और इंस्टाग्राम, जिस पर मचा हुआ बवाल, जानें बैन से किसे फायदा

नेपाल की सड़कों पर इन दिनों बगावत की आग भड़की हुई है. हर तरफ नारेबाजी है और बहस. एक फैसले ने देश का माहौल बदल दिया है. राजधानी काठमांडू में हालात तनावपूर्ण हैं और इस घटनाक्रम का असर सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि कारोबार और रोजमर्रा की जिंदगी पर भी गहराई से दिख रहा है.

नेपाल में बैन हुए कई सोशल मीडिया ऐप्स Image Credit: Money9 Live

Nepal social media ban: नेपाल की राजधानी काठमांडू को इन दिनों युवाओं के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को 26 प्रमुख सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स पर पाबंदी लगा दी. इनमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, X, स्नैपचैट, लिंक्डइन, सिग्नल आदि शामिल हैं. लेकिन इस फैसले से युवा खासा नाराज हैं और देश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं. 8 सितंबर को भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लगाते प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया ऐप्स पर लगाए गए बैन को लेकर संसद भवन के बाहर जमकर विरोध किया. संसद को घेरे खड़े 10-15 हजार प्रदर्शनकारियों में 14 लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.

देश में हालात इतने बदत्तर हो गए हैं कि प्रशासन को कई इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा है. ऐसे में सवाल उठता है कि नेपाल में इन ऐप्स का कितना बड़ा साम्राज्य था और इन बैन से किन लोगों पर प्रभाव पड़ा है. नेपाल सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने सात दिन के भीतर नेपाल में पंजीकरण नहीं कराया, इसलिए उनका संचालन अवैध माना गया. दरअसल, संचार मंत्रालय ने कंपनियों को स्थानीय संपर्क और शिकायत अधिकारी नियुक्त करने के लिए एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सभी मिलकर इस समय सीमा को चूक गए.

सोशल मीडिया कंपनियों का कारोबार और राजस्व

डिजिटल उपभोक्ता रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2025 में नेपाल में 1.43 करोड़ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे, जो देश की आबादी का लगभग 48.1% है. Kathmandu Post की रिपोर्ट में फेसबुक के करीब 1.35 करोड़ यूजर्स और इंस्टाग्राम के लगभग 39 लाख यूजर्स का जिक्र है.

एक Sharecast सर्वे के मुताबिक स्मार्टफोन यूजर्स में 94 फीसदी लोग यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं. जिससे इन प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता का अंदाजा होता है.

इन कंपनियों का नेपाल के राजस्व में योगदान भी खासा है. वित्त वर्ष 2023-24 में META, Google, TikTok जैसी 18 प्रमुख सोशल मीडिया एवं आईटी कंपनियों ने नेपाल में इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं के माध्यम से कुल 2.76 अरब नेपाली रुपये की आय अर्जित की और सरकार को कुल 415 मिलियन नेपाली रुपया राजस्व (कर) के रूप में दिया. इनमें से 358.5 मिलियन नेपाली रुपया VAT और 58.1 मिलियन रुपया इलेक्ट्रॉनिक सर्विस टैक्स था.

इस आंकड़े में सबसे बड़ी टर्नओवर वाली कंपनी ने अकेले 171 मिलियन VAT और ₹2.93 मिलियन सर्विस चार्ज भरा. चालू वित्त वर्ष 2024-25 में एक अतिरिक्त कंपनी के जुड़ने से अब 19 कंपनियों ने जुलाई-दिसंबर तक करीब 493.41 मिलियन रुपये का कारोबार किया है, जिसमें से ₹64.95 मिलियन VAT के रूप में सरकार को मिला है.

किसे हुआ नुकसान और किसे होगा फायदा?

छोटे और मध्यम व्यवसायों पर इन प्लेटफॉर्म्स का बड़ा असर है. नेपाली टाइम्स के अनुसार कई छोटे व्यापारियों और हैंडमेड प्रोडक्ट विक्रेताओं की बिक्री फेसबुक-इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर निर्भर करती है. साथ ही विदेशों में बसे नेपाली समुदाय भी इन ऐप्स के जरिए अपने परिवार से जुड़ते हैं. सोशल मीडिया बंद होने से इन व्यापारियों और प्रवासियों की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि उनकी पहुंच अब सीमित हो रही गई है.

हालांकि अधिकांश प्रमुख ऐप बंद कर दिए गए हैं, लेकिन कुछ प्लेटफॉर्म ने नियमों का पालन कर रखा है. नेपाली टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक टिक-टॉक, वीबर, Nimbuzz, Popo Live, WeTalk, Global Diary और स्थानीय ‘हम्रो पात्रो’ ऐप्स ने सरकार के शर्तों को माना है जिस वजह से इन्हें अपना ऑपरेशन चालू रखने की इजाजत है. ऐसे में अगर बैन ऐप्स को सरकार वापस से नहीं लाती है तो उसके कस्टमर चालू ऐप्स पर शिफ्ट हो सकते हैं जिससे इन कंपनियों को बड़ा फायदा होगा.

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कैसी दिख रही है आगे की राह?

इन विकल्पों के बावजूद बंद किए गए प्लेटफॉर्म्स में पहले भारी ट्रैफिक और कारोबार था, इसलिए देश की डिजिटल इकॉनमी पर इसका असर अनुभव करने को मिलेगा. सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेगी और पंजीकरण पूरी करने वाले प्लेटफॉर्म को सेवाएं बहाल कर देगी. अब यह देखना बाकी है कि सरकार और विरोध-प्रदर्शियों के बीच संवाद से स्थिति कैसे सुलझती है.