पैसों की जरूरत पड़ने पर क्या FD पर लोन लेना सही है या म्यूचुअल फंड पर, जानिए दोनों विकल्पों का पूरा सच
अचानक पैसों की जरूरत पड़ने पर बैंक आपको FD और म्यूचुअल फंड पर लोन लेने का विकल्प देते हैं. FD पर लोन सस्ता और सुरक्षित है, जबकि म्यूचुअल फंड पर बड़ी रकम और लचीलापन मिलता है, लेकिन बाजार जोखिम भी जुड़ा रहता है. समझिए दोनों के फायदे-नुकसान.

अचानक पैसों की तंगी पड़ जाए तो ज्यादातर लोग तुरंत लोन लेने के बारे में सोचते हैं. लेकिन सवाल यह है कि जल्दी और सस्ते में लोन कहां से मिले? आपके पास अगर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या म्यूचुअल फंड में निवेश है तो बिना इन्हें तोड़े भी पैसे मिल सकते हैं. दोनों विकल्पों के फायदे-नुकसान अलग-अलग हैं. आइए समझते हैं किस हालात में कौन सा बेहतर साबित हो सकता है.
FD पर लोन, आसान और सस्ता
फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन लेना सबसे आसान विकल्प माना जाता है. बैंक में पहले से जमा FD को गिरवी रखकर कुछ ही घंटों में लोन मिल सकता है. ब्याज दर भी FD की ब्याज दर से सिर्फ 1-2% ज्यादा होती है. यानी यह बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ते लोन विकल्पों में गिना जाता है. खास बात यह है कि लोन चलने के दौरान भी आपकी FD पर ब्याज मिलता रहता है, बस बैंक उसे आपके पूरे पैसे चुकाने तक रोक कर रखता है.
म्यूचुअल फंड पर लोन, बड़ी रकम का फायदा
अगर आपके पास म्यूचुअल फंड यूनिट्स हैं, तो उन्हें गिरवी रखकर भी बैंक या NBFC से लोन लिया जा सकता है. इसमें आपका निवेश बिकता नहीं और कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगता. लेकिन जोखिम ज्यादा है, क्योंकि बाजार गिरने पर आपके यूनिट्स की वैल्यू घट सकती है. ऐसे में बैंक आपसे और सिक्योरिटी मांग सकता है या यूनिट्स बेच भी सकता है. ब्याज दर FD लोन से ज्यादा होती है, जो आमतौर पर 9% से 12% तक होती है.
किसे चुनें?
अगर आपको तुरंत और छोटे अमाउंट की जरूरत है तो FD पर लोन सबसे सही है. यह तेज, सस्ता और जोखिम रहित विकल्प है. लेकिन अगर आपको ज्यादा रकम चाहिए और आप अपने लंबे निवेश को तोड़ना नहीं चाहते, तो म्यूचुअल फंड पर लोन लेना बेहतर हो सकता है. हालांकि इसमें बाजार जोखिम हमेशा बना रहता है.
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FD पर लोन सुरक्षित और आसान विकल्प है, वहीं म्यूचुअल फंड लोन ज्यादा लचीलापन देता है. फैसला इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी जरूरत कितनी बड़ी है और आप कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं.
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