पाकिस्तान में सस्ते नहीं होंगे कंडोम, IMF ने ठुकराई शहबाज शरीफ सरकार की मांग; GST घटाने की अपील खारिज

पाकिस्तान में कंडोम सस्ते करने की शहबाज शरीफ सरकार की मांग को आईएमएफ ने खारिज कर दिया है. जीएसटी में राहत की अपील ठुकराए जाने के बाद गर्भनिरोधक प्रोडक्ट्स की कीमतें कम नहीं होंगी. फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने वॉशिंगटन स्थित आईएमएफ मुख्यालय से संपर्क किया था, लेकिन फिस्कल ईयर के बीच टैक्स कटौती से इनकार कर दिया गया.

शहबाज शरीफ Image Credit: Money9live/Canva

Pakistan IMF GST condom tax: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF के सामने असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है. IMF ने पाकिस्तान सरकार की उस मांग को साफ तौर पर खारिज कर दिया है, जिसमें कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक प्रोडक्ट्स पर लगने वाले GST को कम करने की अपील की गई थी. IMF के इस फैसले के बाद पाकिस्तान में कंडोम जैसे जरूरी प्रोडक्ट्स सस्ते नहीं होंगे और सरकार को घरेलू स्तर पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.

FBR की कोशिशें रहीं नाकाम

पाकिस्तान की समाचार एजेंसी The News के मुताबिक, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यानी FBR ने IMF से संपर्क कर कंडोम पर लगने वाले 18 फीसदी GST में राहत की मांग की थी. बताया गया है कि FBR ने वॉशिंगटन स्थित IMF मुख्यालय को ईमेल भेजकर यह प्रस्ताव रखा था.

सरकार का तर्क था कि टैक्स कम होने से गर्भनिरोधक प्रोडक्ट्स की पहुंच आम लोगों तक बढ़ेगी और पॉपुलेशन कंट्रोल से जुड़े प्रयासों को मजबूती मिलेगी. FBR के आकलन के अनुसार, इस टैक्स राहत से सरकार को करीब 400 से 600 मिलियन पाकिस्तानी रुपये के राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ता.

IMF का सख्त जवाब

रिपोर्ट के अनुसार, इस मुद्दे पर हुई एक वर्चुअल मीटिंग में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की इच्छा भी IMF के सामने रखी गई, लेकिन IMF ने इस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. IMF ने साफ कहा कि फिस्कल ईयर के बीच में किसी भी तरह की टैक्स राहत देना संभव नहीं है, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान पहले ही अपने संशोधित रेवेन्यू टारगेट को पूरा करने में संघर्ष कर रहा है.

सैनिटरी पैड और बेबी डायपर्स पर भी राहत नहीं

IMF ने केवल कंडोम ही नहीं, बल्कि सैनिटरी पैड्स और बेबी डायपर्स पर GST कम करने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है. IMF का कहना है कि इस तरह के टैक्स बदलावों पर चर्चा केवल आगामी बजट के दौरान ही की जानी चाहिए. IMF के इस रुख से साफ है कि फिलहाल पाकिस्तान सरकार को किसी भी जरूरी कंज्यूमर प्रोडक्ट पर टैक्स राहत नहीं मिलने वाली है.

IMF बेलआउट की शर्तों में बंधा पाकिस्तान

दरअसल, पाकिस्तान इस समय IMF के 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम के तहत है. इस प्रोग्राम के साथ टैक्स पॉलिसी, सरकारी खर्च और रेवेन्यू कलेक्शन को लेकर सख्त शर्तें जुड़ी हुई हैं. IMF की मंजूरी के बिना पाकिस्तान सरकार कोई भी बड़ा फाइनेंशियल फैसला लेने की स्थिति में नहीं है.

बढ़ती आबादी और पॉलिसी का विरोधाभास

पाकिस्तान की पॉपुलेशन ग्रोथ रेट करीब 2.55 फीसदी है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा रेट में से एक मानी जाती है. हर साल करीब 6 मिलियन लोग आबादी में जुड़ रहे हैं. एक तरफ सरकार पॉपुलेशन कंट्रोल की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ गर्भनिरोधक प्रोडक्ट्स को सस्ता करने की कोशिश IMF की शर्तों में फंसकर नाकाम हो रही है. इसे पॉलिसी इंटेंट और फिस्कल रियलिटी के बीच बढ़ते अंतर के तौर पर देखा जा रहा है.

IMF की नई शर्तों से बढ़ी मुश्किलें

हाल ही में IMF ने पाकिस्तान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर 11 नई शर्तें भी लगाई हैं. इसके साथ ही पिछले 18 महीनों में पाकिस्तान पर IMF की कुल कंप्लायंस शर्तों की संख्या बढ़कर 64 हो गई है. IMF के इस सख्त रुख से साफ है कि आने वाले समय में भी पाकिस्तान सरकार के लिए टैक्स राहत देना आसान नहीं होगा, चाहे मामला कंडोम जैसे जरूरी प्रोडक्ट्स से ही क्यों न जुड़ा हो.

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