अमेरिका में नौकरियां घटीं, महंगाई बढ़ी;’गोल्डन एज’ के वादे पर उठे सवाल, फिर भी मानने को तैयार नहीं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के आर्थिक नीतियों के रिजल्ट सामने आने लगे हैं. नौकरियों में गिरावट, महंगाई में तेजी और GDP ग्रोथ में मंदी जैसे आंकड़े चिंता पैदा कर रहे हैं. ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और टैक्स बदलावों का असर अब आम अमेरिकी कंज्यूमर की जेब पर पड़ रहा है.

Trump Economy: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल की दूसरी शुरुआत के साथ ही कई बड़े आर्थिक फैसले लिए. उन्होंने टैक्स कटौती, ट्रेड पर टैरिफ, सरकारी खर्चों में बदलाव और फेडरल रिजर्व की नीतियों पर खुला दबाव बनाकर एक नई आर्थिक दिशा पेश की. ट्रंप ने अपने भाषणों और सोशल मीडिया पोस्ट्स में अमेरिकी जनता से यह वादा किया था कि वे देश को आर्थिक “गोल्डन एज” की ओर ले जाएंगे. हालांकि हाल ही में आए आर्थिक आंकड़े उनकी नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
जुलाई में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट आई है, महंगाई तेजी से बढ़ी है और नौकरियों के अवसर लगातार घटते जा रहे हैं. यह ट्रंप की उस आर्थिक रणनीति पर सीधा सवाल है जो उन्होंने ग्लोबल ट्रेड और डोमेस्टिक प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के नाम पर बनाई थी.
नौकरियों के मोर्चे पर बड़ा झटका
ट्रंप प्रशासन की सबसे बड़ी घोषणाओं में से एक थी “मैन्युफैक्चरिंग में वापसी”. उन्होंने यह दावा किया था कि उनकी नीतियों से अमेरिकी कंपनियां दोबारा अमेरिका में प्रोडक्शन शुरू करेंगी और लाखों रोजगार पैदा होंगे. लेकिन अप्रैल से जुलाई 2025 तक के आंकड़े इस दावे को गलत साबित कर रहे हैं. अप्रैल के बाद से अब तक अमेरिका में 37,000 मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. मई में केवल 19,000, जून में 14,000 और जुलाई में मात्र 73,000 नई नौकरियां जुड़ीं. पिछले वर्ष औसतन हर महीने 1.68 लाख नौकरियां जुड़ती थीं.
ट्रंप का दावा | हकीकत – आंकड़े क्या कहते हैं |
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अमेरिका में रोजगार की बहार आएगी | मई, जून और जुलाई में केवल 73,000, 14,000 और 19,000 नौकरियां ही जुड़ीं, जो औसत से काफी कम हैं. |
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वापसी होगी | अप्रैल 2025 से अब तक 37,000 मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां कम हो चुकी हैं. |
महंगाई नियंत्रण में रहेगी | महंगाई दर जून में 2.6% पहुंची, जो अप्रैल में 2.2% थी; आयातित वस्तुएं महंगी हुईं. |
GDP तेजी से बढ़ेगा | 2025 की पहली छमाही में GDP वृद्धि दर 1.3% से भी कम रही, जबकि पिछले वर्ष 2.8% थी. |
टैरिफ्स से अमेरिका को फायदा होगा | टैरिफ्स के कारण आयातित सामान महंगे हो गए और उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा. |
फेड ब्याज दर घटाए तो अर्थव्यवस्था मजबूत होगी | दरें घटाने का दबाव महंगाई को और बढ़ा सकता है; फेड के गवर्नर खुद रोजगार बाजार की चिंता कर रहे हैं. |
जनता ट्रंप की नीतियों से संतुष्ट है | जुलाई 2025 में केवल 38% वयस्कों ने ट्रंप की आर्थिक नीति को समर्थन दिया, जो पहले 50% था. |
आम अमेरिकी की जेब पर असर
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका में महंगाई आसमान छूती नजर आ रही है. पिछले तीन महीनों में महंगाई दर में तेजी देखी गई है. जून 2025 में पर्सनल कंजंप्शन एक्सपेंडिचर (PCE) इंडेक्स 2.6 फीसदी दर्ज किया गया, जो अप्रैल में 2.2 फीसदी था. इलेक्ट्रॉनिक सामान, फर्नीचर, खिलौने और गेम्स जैसी बाहर से मंगाए गए सामानों की कीमतों में जून के महीने में अचानक तेजी आई.
आर्थिक सुस्ती के संकेत
GDP किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का सबसे बड़ा संकेतक होता है. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के शुरुआती 6 महीने इस मोर्चे पर भी निराशाजनक रहे हैं. 2025 की पहली छमाही में अमेरिका की GDP वृद्धि दर 1.3 फीसदी रही, जो पिछले साल 2.8 फीसदी थी. मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सेक्टर में गिरावट दर्ज की गई है.
टैरिफ का असर
डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार यह कहा कि उनकी टैरिफ नीति विदेशी कंपनियों को झुकने पर मजबूर कर देगी और अमेरिकी प्रोडक्शन को बढ़ावा मिलेगा. लेकिन वास्तविकता इससे उलट है. ट्रंप ने जिन देशों के साथ व्यापार समझौते नहीं किए, उनके प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगा दिए गए. ये टैरिफ असल में अमेरिकी कंपनियों और कंज्यूमर्स पर टैक्स की तरह काम कर रहे हैं क्योंकि वे महंगे दाम पर वस्तुएं खरीदने को मजबूर हैं.
ब्याज दरों को लेकर टकराव
ट्रंप का मानना है कि अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को घटाए तो इससे कर्ज लेना सस्ता होगा और मांग में तेजी आएगी. लेकिन जानकार मानते हैं कि ऐसा करने से महंगाई और भी तेज हो सकती है. ट्रंप ने फेडरल रिजर्व चेयर जेरोम पॉवेल को सार्वजनिक रूप से आलोचना किया. ट्रंप ने यह मांग की कि फेड रेट को कम करे ताकि होम लोन सस्ते हो सकें और हाउसिंग मार्केट में तेजी आ सके.
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क्या वाकई “बेस्ट इज येट टू कम” है?
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि अभी जो आर्थिक मुश्किलें दिख रही हैं, वे ‘ट्रांजिशन पीरियड’ यानी बदलाव के दौर की वजह से हैं और जल्द ही अमेरिका तेजी से आगे बढ़ेगा. हालांकि जुलाई 2025 के AP-NORC पोल के अनुसार, केवल 38 फीसदी अमेरिकी ही ट्रंप की आर्थिक नीतियों से संतुष्ट हैं. 2020 में यह संख्या 50 फीसदी थी.
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