गन्ना किसानों के हित में बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, लाखों अन्नदाता को होगा सीधा फायदा

हाईकोर्ट के फैसले के लागू होने के बाद चीनी मिलों को अब नए भुगतान सिस्टम का पालन करना होगा, जबकि वे पहले से ही वित्तीय चुनौतियों से भी जूझ रही हैं. यह फैसला देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों में से एक, महाराष्ट्र के चीनी उद्योग पर बड़ा असर डाल सकता है. हालांकि, इस फैसले से किसानों को सीधा फायदा होगा.

उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन. Image Credit: @tv9

Bombay High Court: महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है. अब उन्हें गन्ने का भुगतान किस्तों में नहीं बल्कि एकमुश्त किया जाएगा. क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने किसानों के हित में ऐतिहासिक फैसला दिया है. इस फैसले से महाराष्ट्र के गन्ना किसानों के लिए एकमुश्त FRP (उचित एवं लाभकारी मूल्य) भुगतान का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट ने 21 फरवरी 2022 को जारी महाराष्ट्र सरकार के GR (सरकारी प्रस्ताव) को अवैध और अमान्य करार देते हुए रद्द कर दिया.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस GR में FRP का भुगतान दो किस्तों में करने का प्रावधान था. इस फैसले से किसानों के एकमुश्त भुगतान के अधिकार को मजबूती मिली है और यह सुनिश्चित हुआ है कि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य समय पर मिल सके. वहीं, कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व सांसद और शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं पर निशाना साधा, जो चीनी मिलों के मालिक और संचालक हैं.

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मिल मालिकों की बढ़ी चिंता

उन्होंने आरोप लगाया कि इन नेताओं ने मिल मालिकों को फायदा पहुंचाने के लिए यह सरकारी प्रस्ताव (GR) तैयार करवाया, जिससे किसानों को नुकसान हुआ. एकमुश्त FRP किसानों का बुनियादी अधिकार है और मिल मालिकों को इस नियम का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. हालांकि, इस फैसले से चीनी मिल मालिकों में चिंता बढ़ गई है. उनका कहना है कि एकमुश्त FRP भुगतान करने से उद्योग पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा. पहले से ही आर्थिक परेशानियों से जूझ रही कई चीनी मिलें इस फैसले से और गहरे संकट में जा सकती हैं. मिल मालिकों को डर है कि यह नया नियम उद्योग की वित्तीय स्थिरता पर बुरा असर डाल सकता है.

चीनी मिलों को बंद करना पड़ सकता है

महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पीआर पाटिल ने चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति अगले सीजन तक बनी रही, तो कई चीनी मिलों को बंद करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि चीनी उद्योग गंभीर संकट में है. 2015 और 2019 में केंद्र सरकार ने मिलों की मदद के लिए सॉफ्ट लोन दिए थे. हम फिर से सरकार से अपील कर रहे हैं कि वह आगे आए और वित्तीय सहायता प्रदान करे.

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