Padma Award 2025: हिमाचल और नागालैंड के इन दो किसानों को मिलेगा पद्मश्री, अपने हुनर से कर दिया कमाल
केंद्र सरकार ने शनिवार को पद्मश्री पुरस्कार के लिए नामों की सूची जारी कर दी. इस सूची में दो किसानों का भी नाम शामिल है. हरिमन शर्मा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले हैं. ये एक प्रगतिशील सेब किसान हैं. इन्होंने सेब की उन्नत किस्म ईजाद की है.

केंद्र सरकार ने शनिवार को पद्म पुरस्कार 2025 के लिए के लिए गुमनाम नायकों के नामों की सूजी जारी कर दी है. इन नायकों की सूचनी में दो किसान भी शामिल हैं. पहले 68 वर्षीय हरिमन शर्मा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर रहने वाले हैं, जबिक दूसरे किसान का नाम एल हैंगथिंग है. ये नागालैंड के रहने वाले हैं. इन दोनों किसानों को बागवानी क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. तो आइए जानते हैं, दोनों गुमनाम किसानों के बारे में
हरिमन शर्मा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले हैं. ये एक प्रगतिशील सेब किसान हैं. इन्होंने कम ठंडक वाली सेब की किस्म ‘HRMN 99’ विकसित की है. इस किस्म को समुद्र तल से 1,800 फीट की ऊंचाई पर उगाई जाती है. HRMN 99 किस्म पर रोगों का असर भी कम होता है. ऐसे यह किस्म स्कैब रोग प्रतिरोधी है. बिजनेस के उदेश्य से इस किस्म को खेती करने पर किसानों को अच्छा मुनाफा होगा. खास बात यह है कि HRMN 99 किस्म की खेती भारत सहित कई देशों में भी हो रही है. करीब 1 लाख से अधिक किसानों ने HRMN 99 किस्म के 14 लाख से अधिक पौधें लगाए हैं.
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कई देशों में हो रही खेती
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन फाउंडेशन इस किस्म के ऊपर स्टडी कर रहा है. इसने 29 राज्यों में 33,000 HRMN-99 पौधे लगाए हैं. इसके अलावा भारत सहित नेपाल, बांग्लादेश, जाम्बिया और जर्मनी में 1 लाख से अधिक किसानों ने अपने बाग में इस किस्म के पौधे लगाए हैं. हरिमन शर्मा सेब के अलावा अपने बगीचे में आम, कीवी और अनार भी उगाते हैं.
खेती में 30 साल का अनुभव
वहीं, नागालैंड के नोक्लाक के रहने वाले एल हैंगथिंग भी एक प्रगतिशील फल किसान हैं. ये फिछले 30 साल से ऐसे फलदार फसलों की खेती करते हैं, जो नागालैंड के जलवायु के अनुकूल नहीं है. उनकी इस कामयाबी से दूसर किसान भी इनके बताए रास्ते पर चल रहे हैं. इन्होंने अपने इलाके में ऐसी कई फल और सब्जियों की किस्मों की ईजाद की है, जो नागालैंड के जलवायु के अनुकूल नहीं है. एल हैंगथिंग ने 40 गांवों में 200 से अधिक किसानों को आधुनिक विधि से खेती करने की ट्रेनिंग दी है. अब कई किसान इनके बताए तरीके से खेती कर रहे हैं.
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हजारों किसानों को बनाया सशक्त
ऐसे एल हैंगथिंग की बचपन से ही बागवानी में रूचि रही है. उन्होंने दुकानदारों और आम लोगों द्वारा फेंके गए फलों के बीच को इकट्ठा किया और फिर खेती शुरू कर दी. वहीं, 400 से अधिक किसान परिवारों ने एल हैंगथिंग द्वारा बताए गए खेती करने की तकनीक को अपनाया है. उन्होंने 40 गांवों में हजारों किसानों को सशक्त बनाया है. अभी वे लीची और संतरे की खेती कर रहे हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ गई है.
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