त्योहारी सीजन में गाड़ियों की रिकॉर्ड बिक्री! हर 2 सेकंड में 1 कार और हर सेकंड बिके 3 बाइक

इस साल नवरात्रि से दीवाली तक का 42 दिन का त्योहारी सीजन ऑटो इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक रहा. रिकॉर्ड तोड़ बिक्री में 7.67 लाख पैसेंजर व्हीकल और 40.5 लाख दोपहिया वाहन बिके. जीएसटी कटौती, त्योहारी ऑफर, अच्छी फसल और आसान लोन ने बाजार को रफ्तार दी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से जबरदस्त मांग रही.

Auto Sales In Festiva Image Credit: @chatGpt

Auto Sales In Festival: इस साल नवरात्रि से दीवाली तक के 42 दिनों का त्योहारी सीजन ऑटो इंडस्ट्री के लिए सुनहरा रहा. कार और बाइक की बिक्री ने सारे पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए. कुल 7 लाख 67 हजार पैसेंजर व्हीकल और 40 लाख 50 हजार दोपहिया वाहन बिके. हर दिन औसतन 18 हजार 261 कार और 96 हजार 500 बाइक की डिलीवरी हुई. यानी हर 2 सेकंड में एक कार और हर सेकंड में करीब 3 बाइक शोरूम से निकलीं. जीएसटी कटौती, त्योहारी ऑफर और अच्छी फसल ने ग्राहकों को लुभाया. गांवों में बिक्री शहर से कहीं आगे निकली.

कुल बिक्री के आंकड़े

इन 42 दिनों में कुल 7 लाख 67 हजार पैसेंजर व्हीकल बिके. इसमें कार, एसयूवी और वैन शामिल हैं. दोपहिया वाहनों की बिक्री 40 लाख 50 हजार रही. इसमें मोटरसाइकिल, स्कूटर और मोपेड हैं. हर दिन औसतन 18 हजार 261 कार और 96 हजार 500 बाइक बिकीं. फाडा के डाटा के मुताबिक पैसेंजर व्हीकल की बिक्री 23 फीसदी बढ़ी. दोपहिया वाहनों की बिक्री 22 फीसदी ज्यादा हुई. पिछले साल के त्योहारी सीजन से तुलना करें तो यह बहुत बड़ा उछाल है.

बिक्री के पीछे की क्या है वजह?

ये बिक्री कई आसान वजहों से हुई. पहली वजह जीएसटी की दरें कम होना था. गाड़ियां सस्ती लगीं तो लोग जल्दी खरीदने दौड़े. दूसरी वजह त्योहारी सीजन था. नवरात्रि से दीवाली तक लोग नई गाड़ी लेने का शुभ मानते हैं. डीलरों ने खास छूट, गिफ्ट और स्कीम चलाई. तीसरी वजह अच्छा मानसून था. बारिश भरपूर हुई, फसल शानदार रही. गांवों में पैसा आया, लोग कार-बाइक लेने लगे. चौथी वजह आसान लोन था. बैंक और कंपनी ने कम ब्याज, छोटी किश्त और फटाफट मंजूरी दी. पांचवीं वजह ग्राहकों का पुराना प्लान था. कई लोग पुरानी गाड़ी बदलना चाहते थे, त्योहार ने मौका दे दिया.

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कमाई का नया रिकॉर्ड

बिक्री बढ़ने से कमाई भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची. मंनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, कारों से 76 हजार 700 करोड़ से 84 हजार 400 करोड़ रुपए की कमाई हुई. बाइक से 36 हजार 500 करोड़ से 40 हजार 500 करोड़ रुपए आए. फाडा ने कार की औसत कीमत 10 से 11 लाख और बाइक की 90 हजार से 1 लाख रुपए मानी है.

रूरल क्षेत्र में मांग में तेजी

रूरल (ग्रामीण) क्षेत्र में कार की बिक्री शहर से 3 गुना तेज बढ़ी. बाइक की बिक्री 2 गुना ज्यादा हुई. अच्छी बारिश से फसल अच्छी हुई. लोन आसानी से मिला. इस साल पहली बार गांवों से कार और एसयूवी की 42 फीसदी बिक्री हुई. पिछले दो सालों में यह 38 फीसदी थी.

मारुति सुजुकी की बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर में 41 फीसदी से बढ़कर 43 फीसदी हो गई. छोटी कारों की मांग ज्यादा थी. हर 5 में से 3 बाइक गांवों में बिकीं. गांवों की हिस्सेदारी 61 फीसदी रही जो कई महीनों में सबसे ज्यादा है.