क्या आपकी कार भी छोड़ रही है ज्यादा धुआं? ये हो सकती है वजह, ऐसे करें समाधान

अगर आपकी कार भी सामान्य से अधिक धुआं छोड़ रही है, तो यह इंजन की खराबी, सर्विसिंग में लापरवाही या डीजल इंजन से संबंधित समस्या हो सकती है. ऐसी स्थिति में कार से निकलने वाला धुआं पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है और यह कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें उत्सर्जित करता है.

व्हीकल प्रदूषण Image Credit: Freepik.com

Vehicle pollution: जब आप सड़क पर सफर करते हैं, तो अक्सर देखा होगा कि कुछ गाड़ियां बाकी वाहनों की तुलना में अधिक धुआं छोड़ती हैं. कई बार यही समस्या आपकी अपनी कार में भी हो सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये समस्या आखिर क्यों होती है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि यह समस्या क्यों होती है और इसका समाधान क्या है.

कार क्यों करती है ज्यादा प्रदूषण

गाड़ियों से अधिक प्रदूषण निकलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. अक्सर इंजन में खराबी आने पर गाड़ियां अधिक धुआं देने लगती हैं. यदि इंजन पुराना हो चुका हो, या यदि समय-समय पर सर्विसिंग नहीं करवाई जाती हो, तो भी यह समस्या उत्पन्न होती है.

इसके अलावा, तेज गति से गाड़ी चलाने और बार-बार ब्रेक लगाने की आदत भी धुआं निकलने का कारण बन सकती है. साथ ही, पुराने या डीजल इंजन वाली गाड़ियां, नए वाहनों की तुलना में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं.

कार से किस तरह का प्रदूषण होता है

वाहन से उत्सर्जित होने वाली गैसें पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं. कारों से कई प्रकार की हानिकारक गैसें निकलती हैं जो पर्यावरण को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं. इनमें प्रमुख हैं:

  • Carbon Dioxide (CO₂): एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस जो ग्लोबल वॉर्मिंग का मूल कारण है.
  • Carbon Monoxide (CO): अत्यंत विषैली गैस जो ऑक्सीजन लेने की शारीरिक क्षमता को बाधित करती है.
  • Nitrogen Oxides (NOₓ): वायु प्रदूषण और अम्लीय वर्षा के मुख्य कारक.
  • Particulate Matter (PM2.5/PM10): सूक्ष्म कण जो फेफड़ों तक जाकर श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं.

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क्या करें उपाय

यदि आपकी कार भी ज्यादा धुआं छोड़ रही है, तो निम्नलिखित उपायों को अपनाना आवश्यक है:

  • नियमित अंतराल पर वाहन की सर्विसिंग कराएं.
  • उच्च गुणवत्ता का इंजन ऑयल समय पर बदलें.
  • एयर फिल्टर और फ्यूल फिल्टर की नियमित जांच करवाएं.
  • इंजन की ट्यूनिंग और इग्निशन सिस्टम की जांच कराते रहें.
  • अगर संभव हो तो डीजल वाहन की बजाय BS-VI कंप्लायंट पेट्रोल या हाइब्रिड वाहन का चयन करें.