स्पार्क प्लग का गैप: छोटी सी गलती इंजन को पहुंचा सकती है बड़ा नुकसान, परफॉर्मेंस पर पड़ता है ऐसा असर
स्पार्क प्लग को इंजन का दिल कहा जाता है, क्योंकि यही वो हिस्सा है जो हवा और ईंधन के मिश्रण को इग्नाइट करता है, जिससे इंजन पावर जनरेट करता है. लेकिन अगर इस प्लग का गैप यानी इलेक्ट्रोड के बीच की दूरी गलत हो जाए, तो पूरा कंबशन सायकिल प्रभावित हो जाता है.
आपकी कार का इंजन चाहे कितना भी पावरफुल क्यों न हो, अगर स्पार्क प्लग में सही गैप नहीं है तो परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ सकता है. आमतौर पर हम कार सर्विस के दौरान इंजन ऑयल, एयर फिल्टर या बैटरी जैसी चीजों पर ध्यान देते हैं, लेकिन एक छोटी-सी तकनीकी डिटेल स्पार्क प्लग गैप को नजरअंदाज कर देते हैं. यही लापरवाही आगे चलकर इंजन की मुश्किलें बढ़ा सकती है.
स्पार्क प्लग को इंजन का दिल कहा जाता है, क्योंकि यही वो हिस्सा है जो हवा और ईंधन के मिश्रण को इग्नाइट करता है, जिससे इंजन पावर जनरेट करता है. लेकिन अगर इस प्लग का गैप यानी इलेक्ट्रोड के बीच की दूरी गलत हो जाए, तो पूरा कंबशन सायकिल प्रभावित हो जाता है.
ऑटो एक्सपर्ट्स बताते हैं कि गैप कम या ज्यादा होने से कई तरह की समस्याएं सामने आती हैं
- इंजन मिसफायर होना
- गाड़ी का पिकअप कमजोर पड़ना
- माइलेज में गिरावट
- स्पार्क प्लग टूट जाना
- इंजन हेड डैमेज का खतरा
- ECU (इंजन कंट्रोल यूनिट) में एरर कोड आना
गैप का क्या मतलब होता है?
हर वाहन निर्माता कंपनी अपने इंजनों के हिसाब से एक फिक्स स्पार्क प्लग गैप निर्धारित करती है. यह गैप इस बात को सुनिश्चित करता है कि स्पार्क सही समय पर और सही तीव्रता से उत्पन्न हो. अगर गैप बहुत कम है, तो स्पार्क कमजोर हो जाएगा और दहन पूरा नहीं होगा. वहीं, अगर गैप बहुत ज्यादा है, तो स्पार्क बन ही नहीं पाएगा, जिससे इंजन स्टार्ट होने में दिक्कत या पावर लॉस जैसी समस्याएं आ सकती हैं.
स्पार्क प्लग गैप की जांच
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि स्पार्क प्लग गैप को हर 10,000 से 15,000 किलोमीटर के बाद जांच लेना चाहिए या जब भी सर्विस सेंटर पर प्लग बदले जाएं. सही गैप न सिर्फ इंजन की लाइफ बढ़ाता है, बल्कि बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी और स्मूद परफॉर्मेंस भी सुनिश्चित करता है.
इसलिए अगली बार जब आप अपनी कार की सर्विस करवाने जाएं, तो स्पार्क प्लग गैप जरूर चेक करवाएं, क्योंकि इंजन का दिल अगर सही धड़क रहा है तो सफर भी बेफिक्र होगा.