नई कारों में अब क्यों गायब हो रहा स्टेपनी? क्या है इस नए ट्रेंड का राज; जानिए इस बड़े बदलाव की वजह
कई नई कारें स्पेयर टायर के बिना आ रही हैं. स्पेयर टायर एक एक्सट्रा पहिया होता है, जिसमें टायर लगा होता है और इसे कार में आपात स्थिति के लिए रखा जाता है. अगर कार का टायर पंक्चर हो जाए या खराब हो जाए, तो स्पेयर टायर को लगाकर ड्राइवर अपनी यात्रा जारी रख सकता है, जब तक कि टायर की पूरी मरम्मत न हो जाए.

Spare Tyre: भारतीय कार बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अब कई नई कारें स्पेयर टायर के बिना आ रही हैं. पहले स्पेयर टायर को कार की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी माना जाता था, लेकिन अब सरकार के नए नियम, आधुनिक तकनीक और ग्राहकों की बदलती जरूरतों ने इसे ऑप्शनल बना दिया है. आइए, इस बदलाव की पूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं.
क्या होता है स्पेयर टायर?
स्पेयर टायर एक एक्सट्रा पहिया होता है, जिसमें टायर लगा होता है. इसे स्टेपनी भी कहा जाता है. यह कार में इमरजेंसी के लिए रखा जाता है. अगर कार का टायर पंक्चर हो जाए या खराब हो जाए, तो स्पेयर टायर को लगाकर ड्राइवर अपनी यात्रा जारी रख सकता है, जब तक कि टायर की पूरी मरम्मत न हो जाए. इसका मुख्य उद्देश्य पंक्चर या खराब टायर को बदलकर कार को रिपेयर शॉप तक ले जाना है. यह सिर्फ रबर का टायर नहीं, बल्कि टायर के साथ पूरा पहिया होता है.
क्या है नया नियम?
साल 2020 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स (CMVR) में बदलाव किया. इस नए नियम के तहत, आठ से कम सीटों वाली कारों (M1 कैटेगरी) और 2.5 टन तक के हल्के सामान ढोने वाले वाहनों (N1 कैटेगरी) को स्पेयर टायर रखने की जरूरत नहीं है. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं:
- कार में ट्यूबलेस टायर होने चाहिए.
- टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम (TPMS) होना चाहिए.
- टायर रिपेयर किट होनी चाहिए.
यह नियम 1 अक्टूबर 2020 के बाद बनी सभी कारों पर लागू है. इस बदलाव से भारत का नियम यूरोप जैसे देशों की तरह हो गया, जहां पहले से ही कई कारें बिना स्पेयर टायर के बिकती हैं.

स्पेयर टायर हटाने की वजह क्या है?
स्पेयर टायर को हटाने के पीछे कई कारण हैं. सबसे पहले, भारत में सड़कों की हालत खासकर हाईवे की पहले से बेहतर हो गई है. इससे टायर फटने या पंक्चर होने की संभावना कम हो गई है. दूसरा, आजकल की ट्यूबलेस टायर पुराने ट्यूब वाले टायरों से ज्यादा मजबूत हैं और छोटे-मोटे पंक्चर को आसानी से झेल लेती हैं. साथ ही, TPMS ड्राइवर को टायर के हवा के दबाव में कमी होने पर तुरंत अलर्ट करता है, जिससे अचानक ब्रेकडाउन का खतरा कम हो जाता है.
इसके अलावा, टायर रिपेयर किट ने स्पेयर टायर की जरूरत को और कम कर दिया है. ये किट छोटे पंक्चर को मिनटों में ठीक कर देती हैं, बिना टायर उतारे. आजकल ज्यादातर शहरों और हाईवे पर टायर रिपेयर की दुकानें आसानी से मिल जाती हैं. स्पेयर टायर हटाने से कार का वजन कम होता है, जिससे ईंधन की बचत होती है. साथ ही, कार के बूट में ज्यादा जगह मिलती है. इलेक्ट्रिक कारों में यह और भी जरूरी है, क्योंकि बैटरी के लिए ज्यादा जगह चाहिए.
कौन-सी कंपनियां अपना रही हैं यह बदलाव?
पहले यह ट्रेंड सिर्फ महंगी कारों में दिखता था, लेकिन अब आम कारों में भी यह बदलाव आ रहा है. टाटा मोटर्स ने अपनी पंच ईवी, टियागो ईवी, हैरियर और सफारी जैसी कारों में स्पेयर टायर हटाना शुरू किया है. मारुति सुजुकी ने भी फ्रॉन्क्स और ग्रैंड विटारा के कुछ मॉडल्स में यह बदलाव किया है. हाल ही में मारुति की विक्टोरिस के सभी मॉडल्स में स्पेयर टायर हटा दिया गया है. जैसे-जैसे TPMS और टायर रिपेयर किट आम हो रहे हैं, वैसे-वैसे और कंपनियां इस दिशा में बढ़ रही हैं.
स्पेयर टायर के फायदे और नुकसान
स्पेयर टायर के फायदे | स्पेयर टायर के नुकसान |
अगर टायर पंक्चर हो जाए, तो इसे आसानी से बदला जा सकता है. | यह बूट में जगह घेरता है, खासकर छोटी कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों में. |
लंबी यात्रा या दूरदराज के इलाकों में यह बहुत काम आता है, जहां रिपेयर शॉप नहीं होती. | कार का वजन बढ़ाता है, जिससे ईंधन की खपत बढ़ती है. |
फुल-साइज स्पेयर टायर से सभी टायरों को बारी-बारी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे टायर ज्यादा समय चलते हैं. | स्पेयर टायर और उसका रिम बनाने में लागत बढ़ती है. |
क्या यह बदलाव सही है?
हालांकि टायर रिपेयर किट और TPMS ने छोटे-मोटे पंक्चर की समस्या को आसान कर दिया है, लेकिन कई भारतीय ड्राइवरों को अभी भी स्पेयर टायर की जरूरत महसूस होती है. खासकर लंबी यात्राओं या गांव-देहात की सड़कों पर, जहां रिपेयर शॉप दूर हो सकती हैं, स्पेयर टायर मन की शांति देता है. फिर भी, जैसे-जैसे तकनीक और सड़कें बेहतर हो रही हैं, खासकर इलेक्ट्रिक और छोटी कारों में, स्पेयर टायर धीरे-धीरे अतीत की बात बनता जा रहा है.
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