क्रिसमस 2024 के बाद सोने ने लगाई जबरदस्त छलांग, 1 साल में 80% उछाल; 2025 में तोड़े 50 से ज्यादा ऑल-टाइम हाई के रिकॉर्ड
क्रिसमस 2024 के बाद सोने की कीमतों में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिली है. 2025 में गोल्ड सुरक्षित निवेश के तौर पर निवेशकों की पहली पसंद बनकर उभरा है. वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध, मिडिल ईस्ट में अस्थिरता और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने गोल्ड की मांग को मजबूती दी है. सेंट्रल बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी और फेड की रेट कटौती ने रैली को और मजबूती दी है.
Gold Price Rally: क्रिसमस 2024 के बाद से सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. 2025 में सोना अब तक के अपने सबसे मजबूत दौर में है और इसने निवेशकों को हैरान कर दिया है. सुरक्षित निवेश के तौर पर बढ़ती मांग, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी ने मिलकर सोने को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है. घरेलू बाजार में एमसीएक्स गोल्ड की कीमत 1 साल में करीब 80 फीसदी उछलकर 1,38,097 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गई है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 4,479 डॉलर प्रति ट्रॉय औंस पर ट्रेड कर रहा है.
घरेलू बाजार में रिकॉर्ड रैली
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल इसी समय यानी क्रिसमस 2024 के आसपास गोल्ड करीब 76,748 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था. इसके बाद से सोने ने लगातार रिकॉर्ड बनाते हुए 50 से ज्यादा ऑल-टाइम हाई छुए. इतनी तेज बढ़त के चलते विश्लेषकों को अपने प्राइस टारगेट बार-बार बढ़ाने पड़े, क्योंकि पुराने अनुमान समय से पहले ही पूरे हो गए. बाजार एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2026 में भी सोने की मजबूती बनी रह सकती है, खासकर अगर वैश्विक अनिश्चितता बनी रहती है.
सुरक्षित निवेश की बढ़ती अहमियत
सोना सदियों से सुरक्षित निवेश माना जाता रहा है. जब भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ती है, निवेशक जोखिम वाले एसेट्स से पैसा निकालकर सोने की ओर रुख करते हैं. 2025 में दुनिया ने कई बड़े भू-राजनीतिक तनाव देखे हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी जारी है, मिडिल ईस्ट में हालात पूरी तरह शांत नहीं हुए हैं और अमेरिका-वेनिजुएला तनाव ने भी बाजारों की चिंता बढ़ाई है. इन सभी वजहों से सोने की मांग को मजबूत सपोर्ट मिला है.
अमेरिका की नीतियों और फेड की भूमिका
अमेरिका में दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक व्यापार को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है. कई देशों पर टैरिफ लगाने और ट्रेड पॉलिसी में सख्ती से ग्लोबल अनिश्चितता बढ़ी है, जिसका सीधा फायदा सोने को मिला. वहीं यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में कई बार ब्याज दरों में कटौती किए जाने से बॉन्ड यील्ड कमजोर हुई और डॉलर पर दबाव बढ़ा. कमजोर डॉलर के माहौल में सोना निवेशकों के लिए और ज्यादा आकर्षक बन गया.
सेंट्रल बैंकों की भारी खरीदारी
सोने की कीमतों को सपोर्ट देने वाला एक और बड़ा कारण सेंट्रल बैंकों की रिकॉर्ड खरीदारी है. कई देश अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व को डॉलर से हटाकर सोने में डायवर्सिफाई कर रहे हैं. इसी कड़ी में ब्रिक्स देशों द्वारा साझा मुद्रा को लेकर चल रही चर्चाओं ने भी डॉलर की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं, जिससे सोने को अतिरिक्त मजबूती मिली है.
1979 के बाद सबसे बड़ा उछाल
2025 में सोने की यह रैली 1979 के बाद सबसे बड़ी मानी जा रही है. इस साल अब तक स्पॉट गोल्ड करीब 71 फीसदी और एमसीएक्स गोल्ड लगभग 80 फीसदी चढ़ चुका है. बीते 12 में से 11 महीनों में सोना पॉजिटिव क्लोजिंग के साथ बंद हुआ है, जो मजबूत अपट्रेंड का संकेत देता है. सितंबर में सबसे ज्यादा 13 फीसदी की मासिक तेजी दर्ज की गई, जबकि दिसंबर में अब तक करीब 9 फीसदी की बढ़त देखी जा चुकी है.
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