1 ट्रिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट टारगेट से इतना पीछे रह सकता है भारत, ग्लोबल चुनौतियां और कमजोर डिमांड से शिपमेंट प्रभावित
पिछले साल भारत का सामान और सेवाओं का कुल एक्सपोर्ट लगभग 825 अरब अमेरिकी डॉलर था और इस साल इसमें सिर्फ मामूली बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. हाल के महीनों में अमेरिका को एक्सपोर्ट में तेजी से गिरावट आई है, लेकिन दूसरे बाजारों में शिपमेंट में तेजी आई है.
भारत FY26 के लिए अपने USD 1 ट्रिलियन एक्सपोर्ट टारगेट से काफी पीछे रह सकता है, क्योंकि ग्लोबल चुनौतियां, कमजोर डिमांड और बढ़ता संरक्षणवाद मर्चेंडाइज शिपमेंट पर दबाव डाल रहे हैं. ANI से बात करते हुए, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने कहा कि महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी गति नहीं दिख रही है, खासकर सामान के मामले में. पिछले साल भारत का सामान और सेवाओं का कुल एक्सपोर्ट लगभग 825 अरब अमेरिकी डॉलर था और इस साल इसमें सिर्फ मामूली बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
कितना पीछे रह जाएगा भारत
श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम लगभग वहां पहुंच गए हैं. पिछले साल सामान और सेवाओं का एक्सपोर्ट लगभग 825 अरब अमेरिकी डॉलर था. इस साल, क्योंकि ग्रोथ फ्लैट रहेगी, सामान के एक्सपोर्ट में लगभग कोई ग्रोथ नहीं होगी, सेवाओं के एक्सपोर्ट में ग्रोथ होगी, इसलिए FY26 में हमारा कुल एक्सपोर्ट लगभग 850 अरब अमेरिकी डॉलर होगा. हम 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने में 150 अरब अमेरिकी डॉलर से पीछे रह जाएंगे.’
एक्सपोर्ट ग्रोथ धीमी
उन्होंने कहा कि जब तक भारत अपने मुख्य पार्टनर के साथ बड़े ट्रेड एग्रीमेंट नहीं कर लेता, तब तक एक्सपोर्ट में तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि हम यह तब हासिल कर पाएंगे जब हमारा अमेरिका और EU के साथ ट्रेड डील हो जाएगी. यह शायद अगले साल होगा, इस साल नहीं.’
हालांकि, कुल मिलाकर एक्सपोर्ट ग्रोथ धीमी बनी हुई है, लेकिन श्रीवास्तव ने भारत के ट्रेड डेटा में जियोग्राफिकल डायवर्सिफिकेशन के शुरुआती संकेतों की ओर इशारा किया. हाल के महीनों में अमेरिका को एक्सपोर्ट में तेजी से गिरावट आई है, लेकिन दूसरे बाजारों में शिपमेंट में तेजी आई है.
कितना कम हुआ एक्सपोर्ट?
उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि मई और नवंबर के बीच, अमेरिका को हमारा एक्सपोर्ट 20.7 फीसदी कम हो गया है. लेकिन इस दौरान, बाकी दुनिया को हमारा एक्सपोर्ट 5.5 फीसदी बढ़ गया. इसका मतलब है कि छोटे पैमाने पर डायवर्सिफिकेशन पहले ही शुरू हो गया है.’
बास्केट में डायवर्सिफिकेशन
हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि नए बाजारों में विस्तार करना तब तक काफी नहीं होगा जब तक भारत यह भी नहीं बदलता कि वह विदेश में क्या बेचता है. श्रीवास्तव ने कहा, ‘ज्यादा डायवर्सिफिकेशन के लिए इन देशों में ज्यादा एक्सपोर्ट के लिए हमें अपने एक्सपोर्ट बास्केट में भी डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान देना होगा.’ अभी, हमारे एक्सपोर्ट बास्केट में ज्यादा मीडियम से हाई-टेक प्रोडक्ट्स को शामिल करने की जरूरत है.’
मल्टीलेटरल ग्रुपिंग और ग्लोबल इकोनॉमिक
श्रीवास्तव ने मल्टीलेटरल ग्रुपिंग और ग्लोबल इकोनॉमिक बदलावों पर भी सावधानी भरा नजरिया पेश किया. BRICS के बारे में उन्होंने कहा, ‘BRICS यूरोप या ASEAN जैसी कोई संस्था नहीं है. यह देशों का एक ढीला-ढाला समूह है और इसका एजेंडा ज्यादातर चीन चलाता है.’ उन्होंने आगे कहा कि भारत BRICS के पूरे एजेंडे को नहीं, बल्कि सीमित एजेंडे को मानता है.
कृषि हितों की रक्षा करनी चाहिए
उन्होंने कहा कि भारत को अपने कृषि हितों की भी रक्षा करनी चाहिए और ऐसे देशों के साथ काम करना चाहिए जिनकी प्राथमिकताएं समान हैं. उन्होंने कहा कि भारत को मुख्य व्यापार एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए दक्षिण अफ्रीका या ब्राजील जैसे समान सोच वाले देशों के साथ गठबंधन बनाने की कोशिशें शुरू करनी चाहिए.
ठीक काम कर रही घरेलू अर्थव्यवस्था
एक्सपोर्ट में सुस्ती के बावजूद, श्रीवास्तव ने घरेलू ग्रोथ को लेकर उम्मीद जताई. उन्होंने कहा, ‘घरेलू अर्थव्यवस्था ठीक काम कर रही है. GDP के आंकड़े यह बता रहे हैं. कम महंगाई के आंकड़े भी यही बता रहे हैं. GDP पर एकमात्र दबाव एक्सपोर्ट की तरफ से होगा.’
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