रुके हुए प्रोजेक्ट्स में 1 लाख घरों को पूरा करने के लिए SWAMIH-2 फंड लॉन्च करेगी सरकार, खरीदारों को मिलेगी राहत

15,000 करोड़ रुपये के इस फंड के लॉन्च से लगभग एक लाख मध्यम वर्ग के घर खरीदारों को राहत मिलेगी, जिनका निवेश अपार्टमेंट के लिए लिए गए लोन पर EMI चुकाने के बावजूद फंसा हुआ है. नए फंड के लिए नियम तय किए जा रहे हैं और जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी.

SWAMIH-2 फंड लॉन्च करेगी सरकार. Image Credit: Satvik Shahapur/Moment/Getty Images

सरकार SWAMIH-2 फंड के ढांचे को अंतिम रूप दे रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस फंड को चालू कर दिया जाएगा, ताकि रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए लास्ट-माइल फाइनेंसिंग दी जा सके. 15,000 करोड़ रुपये के इस फंड के लॉन्च से लगभग एक लाख मध्यम वर्ग के घर खरीदारों को राहत मिलेगी, जिनका निवेश अपार्टमेंट के लिए लिए गए लोन पर EMI चुकाने के बावजूद फंसा हुआ है. इस मकसद के लिए, सरकार ने बजट 2025-26 में स्पेशल विंडो फॉर अफोर्डेबल एंड मिड-इनकम हाउसिंग (SWAMIH) फंड के लिए सीड कैपिटल के तौर पर पहले ही 1,500 करोड़ रुपये तय कर दिए हैं.

तय किए जा रहे हैं नियम

सूत्रों ने बताया कि नए फंड के लिए नियम तय किए जा रहे हैं और जल्द ही मंजूरी दे दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह कमर्शियली फायदेमंद प्रोजेक्ट्स के लिए लास्ट-माइल फंडिंग देगा और रुके हुए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में निवेश को अनलॉक करेगा.

क्या SWAMIH फंड

नवंबर 2019 में केंद्र सरकार ने पूरे भारत में रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए SWAMIH नाम के एक स्ट्रेस फंड की घोषणा की थी. रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए प्रायोरिटी डेट फाइनेंसिंग देने के लिए एक अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) के रूप में एक ‘स्पेशल विंडो’ बनाई गई थी. इस स्पेशल विंडो के लिए SBI वेंचर्स को इन्वेस्टमेंट मैनेजर की भूमिका सौंपी गई थी. इस फंड का स्पॉन्सर वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव हैं.

पूरी हुई हैं 55000 से अधिक यूनिट्स

SWAMIH फंड-1 के तहत, स्ट्रेस वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में 55,000 से ज्यादा रहने की यूनिट्स पूरी हो चुकी हैं और इसका लक्ष्य अगले 3-4 साल में 30,000 और घर देना है. फिलहाल, इस फंड में लगभग 30 इन्वेस्टमेंट प्रोफेशनल हैं, जिनके पास इंडस्ट्री का औसतन 15 साल का अनुभव है.

SWAMIH फंड-1 के तहत, अब तक 15,530 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जिसका मकसद स्ट्रेस वाले, ब्राउनफील्ड और रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) में रजिस्टर्ड रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स को प्रायोरिटी डेट फाइनेंसिंग देना है, जो अफोर्डेबल, मिड-इनकम हाउसिंग कैटेगरी में आते हैं.

कैसे काम करता है यह फंड?

चूंकि यह फंड पहली बार डेवलपर्स, मुश्किल प्रोजेक्ट्स वाले स्थापित डेवलपर्स, रुके हुए प्रोजेक्ट्स, कस्टमर शिकायतों और NPA खातों वाले खराब ट्रैक रिकॉर्ड वाले डेवलपर्स और यहां तक ​​कि उन प्रोजेक्ट्स पर भी विचार करता है, जहां मुकदमेबाजी के मुद्दे हैं, इसलिए इसे मुश्किल प्रोजेक्ट्स के लिए आखिरी सहारा माना जाता है.

2019 में SBI वेंचर्स लिमिटेड द्वारा डेटा एनालिटिक्स फर्म PropEquity से करवाई गई एक स्टडी में अनुमान लगाया गया था कि लगभग 1,500 प्रोजेक्ट जिनमें 4.58 लाख हाउसिंग यूनिट्स थीं, रुके हुए/तनाव में थे और रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए कुल 55,000 करोड़ रुपये की फंडिंग की जरूरत थी.

यह भी पढ़ें: सैमसंग का IPO नहीं आएगा, AI, लोकल मैन्युफैक्चरिंग और आसान फाइनेंस पर दांव लगा रही कंपनी