अब अनिल अंबानी का क्या होगा, उनके 22 ‘राजदार’ आएं ईडी के घेरे में; कहां लटकी है तलवार?

एक लंबे समय से वित्तीय संकट से घिरी एक बड़ी कॉर्पोरेट हस्ती और उनकी टीम अब एक नई मुसीबत में फंसती नजर आ रही है. जांच एजेंसियों की सक्रियता ने कई पुराने सवाल फिर से जिंदा कर दिए हैं. मामला सिर्फ कागजों का नहीं, बल्कि बहुत भीतर तक जुड़ा हुआ दिख रहा है.

अनिल अंबानी की करीबी टीम अब ED के रडार पर! Image Credit: Kapil Patil/HT via Getty Images

कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनियों पर ईडी की जांच अब और तेज हो गई है. एजेंसी की नजर सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि सीधे उन 22 लोगों पर है जो अनिल अंबानी के बिजनेस से करीब से जुड़े हैं. इनमें उनके ग्रुप के टॉप मैनेजमेंट के लोग और पुराने सहयोगी शामिल हैं. ईडी इन सभी को गंभीरता से खंगाल रही है. ये सभी लोग रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से जुड़े 12,000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच में घिरे हैं, जिसमें बड़ी मात्रा में लोन ग्रुप से जुड़ी कंपनियों को ट्रांसफर किए जाने की बात सामने आई है.

72 घंटे की छापेमारी, 60 कंपनियों की जांच

ईडी की छापेमारी 24 जुलाई से शुरू हुई और रविवार को जाकर खत्म हुई. इस दौरान 60 कंपनियों के दस्तावेज खंगाले गए. जांच में सामने आया है कि RHFL ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें से कई अब दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं. इसका मतलब है कि बैंकों को इनसे मोटा घाटा (haircut) उठाना पड़ सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सोर्स के हवाले से रिपोर्ट किया है की सेबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RHFL ने जिन कंपनियों को लोन दिए थे, वे अनिल अंबानी ग्रुप से जुड़ी थीं. इनमें से 7,000 करोड़ रुपये के लोन को बाद में बट्टे खाते (write-off) में डाल दिया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई कंपनियां एक ही ईमेल, पते और डायरेक्टर्स के जरिए आपस में जुड़ी थीं.

यस बैंक कनेक्शन और फर्जीवाड़े का दावा

इस केस में अनिल अंबानी पर पहले से ही यस बैंक से 2,965 करोड़ रुपये की फंडिंग लेने का आरोप है, जिसमें कथित तौर पर घूस देकर ये रकम मंजूर करवाई गई थी. इसमें पूर्व CEO राणा कपूर और उनकी पत्नी बिंदु कपूर के नाम भी शामिल हैं. इसमें से 1353 करोड़ रुपये अब NPA (डूबा कर्ज) बन चुका है.

सेबी ने 22 अगस्त 2024 को अपने ऑर्डर में कहा था कि RHFL ने जानबूझकर एक धोखाधड़ी योजना के तहत फंड्स डायवर्ट किए ताकि अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों को फायदा हो. फॉरेंसिक ऑडिट ने भी इन आरोपों की पुष्टि की है.

ग्रुप का पक्ष और कोर्ट की राह

रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने NSE को दी गई फाइलिंग में कहा है कि, “ED की कार्रवाई सभी लोकेशनों पर पूरी हो चुकी है. कंपनी और उसके सभी अधिकारी जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.”

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वहीं RHFL मामले पर कंपनी ने कहा, “RHFL के खाते को सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के अनुसार प्रबंधन परिवर्तन के साथ पूरी तरह सुलझा लिया गया है. अन्य अनियमितताओं से जुड़े आरोप अभी न्यायालय में विचाराधीन हैं. सेबी के आदेश को 2024 से SAT (सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल) में चुनौती दी गई है.” दोनों लिस्टेड कंपनियों ने स्पष्ट किया कि इस पूरे घटनाक्रम का उनके कारोबार या प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.