TCS से 12000 की छंटनी IT सेक्टर में बढ़ाएगी संकट! दिग्गज को शोले मूवी आ रही है याद, क्या यही है नया ट्रेंड?
एक दौर था जब कर्मचारी TCS में नौकरी पाकर खुद को सुरक्षित मानते थे. पर अब जो हुआ है, उसने उस भरोसे को हिला दिया है. उम्र का ऐसा पड़ाव जहां जिंदगी थोड़ी स्थिर लगने लगती है, वहां अचानक आया यह फैसला कई परिवारों के लिए एक गहरी चोट बन गया है.

TCS Layoff 2025: “शोले वाला ‘कितने आदमी थे’ वाला युग अब खत्म होने वाला है.” Tech Mahindra के पूर्व CEO और IT इंडस्ट्री के दिग्गज सीपी गुरनानी का यह बयान केवल एक फिल्मी संवाद भर नहीं, बल्कि मौजूदा तकनीकी दौर के बदलाव की बारीक और कड़वी सच्चाई है. उनका इशारा है कि TCS जैसी कंपनियों में अब ‘हेडकाउंट’ नहीं, ‘आउटकम’ और ‘वैल्यू’ पर फोकस्ड होकर अपने फैसले लेंगी.
इंटरनेशनल IT सेक्टर में मंदी के संकेतों के बीच भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 2025-26 में करीब 2 फीसदी ग्लोबल वर्कफोर्स कम करने का फैसला किया है. कंपनी के इस फैसले का असर करीब 12,000 कर्मचारियों पर पड़ सकता है.
कंपनी का क्या है तर्क?
27 जुलाई 2025 को कंपनी ने अपने आधिकारिक बयान में इस छंटनी की पुष्टि की. Money9Live से बात करते हुए कंपनी ने कहा, वह “Future-Ready Organization” बनने के अपने मिशन पर है. इसके तहत वह नई टेक्नोलॉजी में निवेश, नए बाजारों में प्रवेश, AI को बड़े पैमाने पर अपनाने और वर्कफोर्स मॉडल को रीअलाइन करने जैसे कई बड़े बदलाव कर रही है.
कंपनी ने अपने स्टेटमेंट में कहा, “हमारे यहां कई रीस्किलिंग और रीडिप्लॉयमेंट प्रोग्राम पहले से चल रहे हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं जिनकी वर्तमान डिप्लॉयमेंट अब बिजनेस की जरूरतों के अनुसार नहीं हो पा रही है. ऐसे साथियों को हम साल भर के दौरान रिलीज करेंगे.”
TCS ने यह भी जोड़ा कि यह पूरी प्रक्रिया सावधानीपूर्वक की जा रही है ताकि क्लाइंट्स को दी जा रही सेवाओं पर कोई असर न पड़े.
किस उम्र और स्तर के लोग होंगे प्रभावित?
इस छंटनी का सबसे बड़ा असर मिड और सीनियर लेवल के कर्मचारियों पर पड़ने वाला है, यानि 40 से 50 साल की उम्र वाले वे कर्मचारी जो अब तक इस भरोसे में थे कि उनकी नौकरियां स्थायी हैं.
यह उम्र ऐसा मोड़ होती है जहां व्यक्ति करियर को स्थिर मानने लगता है. घर की जिम्मेदारियां बढ़ चुकी होती हैं- बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य की चिंता और रिटायरमेंट की तैयारी. ऐसे समय में अगर नौकरी चली जाए, तो यह केवल आर्थिक नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरा आघात होता है.
TCS की सिक्योर नौकरी की छवि टूटी?
TCS का नाम अब तक एक ऐसी कंपनी के तौर पर लिया जाता रहा है जहां लोग रिटायरमेंट तक नौकरी करने की उम्मीद लेकर आते थे. कंपनी की “जॉब सिक्योरिटी” इंडस्ट्री स्टैंडर्ड मानी जाती रही है.
जून 2025 तक कंपनी में 6,13,069 कर्मचारी थे और उसने ताजा अप्रैल-जून तिमाही में ही 5000 नई भर्तियां भी की थीं. ऐसे में एक झटके में 12,000 लोगों को रिलीज करने की योजना कई सवाल खड़े करती है- क्या यह ट्रेंड और कंपनियों तक भी जाएगा? क्या एआई का आना अब “जॉब सिक्योरिटी” के युग का अंत है?
AI की दस्तक और बढ़ता डर
Microsoft के Work Trend Index 2023 के मुताबिक, 74 फीसदी भारतीय कर्मचारियों को डर है कि AI उनकी नौकरियां छीन सकता है. Bain & Company की रिपोर्ट कहती है कि AI से जुड़ी जॉब पोस्टिंग हर साल 21 फीसदी की दर से बढ़ रही हैं, जबकि सैलरी में 11 फीसदी सालाना की बढ़ोतरी देखी गई है.
हालांकि AI सेक्टर में 2027 तक 2.3 मिलियन नई नौकरियों की संभावना जताई जा रही है, लेकिन इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि AI टैलेंट की भारी कमी है. ऐसे में कंपनियों के लिए इन तकनीकों को अपनाना आसान नहीं होगा.
मंत्रालय भी रख रहा नजर
सरकारी स्तर पर भी इस मसले की संवेदनशीलता को समझा जा रहा है. IT मंत्रालय इस पर नजर बनाए हुए है. इस छंटनी के पैमाने और इसकी संभावित सामाजिक-आर्थिक असर को देखते हुए इसे सामान्य घटना नहीं माना जा रहा.
यह भी पढ़ें: इस मल्टीबैगर कंपनी को विदेश से धड़ाधड़ मिल रहे ऑर्डर, नतीजे भी दमदार, MOFS दे चुका है Buy रेटिंग
क्या यही है आगे की तस्वीर?
CNBC-TV18 से बातचीत में CP गुरनानी का दिया शोले वाला बयान इस पूरी स्थिति को गहराई से समझाता है. अब कंपनियां हेडकाउंट की बजाय आउटपुट पर ध्यान देंगी. एआई, ऑटोमेशन और ग्लोबल कॉम्पिटिशन के दौर में केवल काम के घंटे नहीं, परिणाम मायने रखेंगे.
और अगर TCS जैसी स्थिर और प्रतिष्ठित कंपनी इतने बड़े स्तर पर छंटनी कर सकती है, तो यह स्पष्ट संकेत है कि आने वाले समय में दूसरी टेक कंपनियां भी इसी रास्ते पर चल सकती हैं.
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