Adani Group पर चौतरफा हमलों के बीच GQG का भरोसा बरकरार, भविष्य को लेकर जताया भरोसा
Adani Group पर अमेरिकी कोर्ट के आरोपों के बाद एक के बाद एक हमले हो रहे हैं. केन्या, श्रीलंका और बांग्लादेश में अडानी समूह के सौंदे और समझौतों को स्क्रूटनाइज किया जा रहा है. लेकिन, इस सबके बीच अमेरिकी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनी GQC ने Adani Group पर भरोसा बरकरार रखा है. इस रिपोर्ट में पढ़ें क्या हैं इसके मायने?

इन्वेस्टमेंट फर्म GQG Partners ने अमेरिकी कोर्ट के आरोपों के बाद हो रहे चौतरफा हमलों के बीच अडानी समूह पर भरोसा कायम रखा है. जीक्यूसी ने इस संबंध में एक मेमोरेंडम जारी किया है. अमेरिकी आरोपों के बाद अडानी समूह के पूंजी जुटाने की क्षमता पर पड़ने वाले असर को लेकर फर्म का कहना है, ‘अडानी ग्रीन एनर्जी को छोड़कर, हम समझते हैं कि अडानी समूह की कंपनियों को इस समय और ज्यादा पूंजी जुटाने की जरूरत नहीं है.
‘अमेरिकी न्याय विभाग और एसईसी की गौतम अडानी पर कार्रवाई’ शीर्षक के साथ 21 नवंबर को जारी किए गए इस मेमो में बताया गया है कि अमेरिकी अदालत के आरोपों का समूह के कारोबार पर कोई खास असर होता नहीं दिखता है. ऑस्ट्रेलिया में सूचीबद्ध जीक्यूजी का कहना है, ‘बुनियादी व्यावसायिक मामले में हमारा मानना है कि समूह की सभी कंपनियां भविष्य के लिए अच्छी स्थिति में है. हम समझते हैं कि अडानी ग्रीन एनर्जी को छोड़कर समूह की कंपनियों को और पूंजी जुटाने की जरूरत नहीं है.
ऐसा पहले तमाम कंपनियों के साथ हुआ
जीक्यूजी का कहना है कि अमेरिका में जो मामला अदालत में है वह कंपनी पर नहीं बल्कि कर्मचारियों पर है. मेमो में जीक्यूजी ने कहा, ‘आरोप केवल AGEL से संबंधित हैं. इनका समूह की दूसरी कंपनियों से संबंध नहीं है. कई वैश्विक कंपनियों और उनके कई अधिकारियों के उदाहरण हैं, जिन्होंने अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) के उल्लंघन पर कार्रवाई का सामना किया है. इनमें वॉलमार्ट, ओरेकल, थेल्स, सीमेंस, ग्लेनकोर, पेट्रोब्रास, फाइजर, टोयोटा, हनीवेल, एयरबस और SAP शामिल हैं.
अडानी समूह में जीक्यूजी का कितना निवेश
जीक्यूजी ने बताया कि 21 नवंबर तक अदानी समूह की कंपनियों में उसका कुल निवेश 8.1 बिलियन डॉलर था, जबकि कुल संपत्ति 156.7 बिलियन डॉलर थी. इस तरह उसकी कुल संपत्ति का 5.2% हिस्सा अडानी समूह का है. इसके साथ ही कहा, ‘हमारा मानना है कि अडानी समूह के शेयरों में उतार-चढ़ाव का स्तर मैनेजेबल है.”
मामले के निपटारे में लगेगा समय
जीक्यूजी ने कहा, ‘इस तरह के मामलों में के हल होने में आम तौर पर सालों लग जाते हैं. इस दौरान कंपनियों अपना काम करना जारी रखती हैं. यह मामला आगे चलकर ट्रंप प्रशासन की तरफ से नियुक्त किए जाने वाले न्याय विभाग के तहत जारी रहेगा. जबकि, हमें उम्मीद है इस दौरान भारत सरकार से अडानी समूह को समर्थन जारी रहेगा. ‘
फ्रांस की कंपनी पीछे खींचे कदम
फ्रांसीसी तेल कंपनी टोटल एनर्जीज ने 25 नवंबर को अडानी समूह में निवेश रोकने का ऐलान किया. कंपनी ने एक वक्तव्य में कहा, ‘जब तक अडानी समूह से जुड़े लोगों के खिलाफ आरोप और उनके नतीजे साफ नहीं हो जाते, तब तक टोटल एनर्जीज अडानी समूह की कंपनियों में अपने निवेश के हिस्से के रूप में कोई नया वित्तीय योगदान नहीं करेगी.’
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