भारत और चीन के बीच कितना बड़ा है व्यापार, सबसे अधिक क्या आयात करता है इंडिया? जानें- ट्रेड डेफिसिट
India-China Trade: 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपनी जापान यात्रा समाप्त करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचेंगे.

India-China Trade: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को अपनी जापान यात्रा समाप्त करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन पहुंचेंगे. यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के लागू होने के बाद हो रहा है. पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलेंगे और कई अहम व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. इसलिए आइए एक नजर भारत और चीन के बीच के कारोबारी आंकड़ों पर डाल लेते हैं.
भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंध
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार अच्छी दर से बढ़ रहा है, लेकिन व्यापार घाटा अभी भी बीजिंग के पक्ष में झुका हुआ है. भारत ने बार-बार बढ़ते व्यापार घाटे और चीनी बाजार में भारतीय वस्तुओं के सामने आने वाली गैर-व्यापारिक बाधाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की है.
29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विश्व आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए भारत और चीन के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर रणनीतिक और लॉन्ग टर्म विजन से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है.
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार क्या है?
अप्रैल-जुलाई 2025-26 के दौरान, भारत का निर्यात 19.97 फीसदी बढ़कर 5.75 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि आयात 13.06 फीसदी बढ़कर 40.65 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. 2024-25 में, भारत का निर्यात 14.25 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 113.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा.
व्यापार घाटा (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) 2003-04 के 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. पिछले वित्त वर्ष में भारत के कुल व्यापार असंतुलन (283 अरब अमेरिकी डॉलर) में चीन का व्यापार घाटा लगभग 35 फीसदी था. 2023-24 में यह अंतर 85.1 अरब अमेरिकी डॉलर था.
चीन के साथ घाटा चिंता का विषय क्यों है?
व्यापार घाटे आंकड़ा न सिर्फ बड़ा है, बल्कि स्ट्रक्चरल भी है. थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार, इसे और भी गंभीर बनाने वाली बात यह है कि चीन अब लगभग हर औद्योगिक कैटेगरी में भारत के आयात पर हावी है- फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर कंस्ट्रक्शन मैटेरियल्स, रिन्यूएबल एनर्जी और कंज्यूमर गुड्स तक.
किन प्रमुख उत्पादों में चीन की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है?
जीटीआरआई के एनालिसिस के अनुसार, एरिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स के मामले में चीन भारत की 97.7 फीसदी जरूरतों की पूर्ति करता है. इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में चीन 96.8 फीसदी सिलिकॉन वेफर्स और 86 फीसदी फ्लैट पैनल डिस्प्ले पर कंट्रोल रखता है. रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में 82.7 फीसदी, सोलर सेल और 75.2 फीसदी लिथियम-आयन बैटरियां चीन से आती हैं.
यहां तक कि रोजमर्रा के प्रोडक्ट्स जैसे लैपटॉप (80.5 फीसदी हिस्सा), कढ़ाई की मशीनरी (91.4 फीसदी) और विस्कोस यार्न (98.9 फीसदी) भी मुख्यतः चीन से ही आते हैं.
चीन पर बढ़ती निर्भरता का जोखिम क्या है?
जीटीआरआई के फाउंडर अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अधिक प्रभुत्व चीन को भारत के विरुद्ध संभावित लाभ प्रदान करता है, जिससे राजनीतिक तनाव के समय सप्लाई चेन दबाव का एक साधन बन जाती हैं. यह असंतुलन गहराता जा रहा है क्योंकि चीन को भारत का निर्यात लगातार घट रहा है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में भारत की हिस्सेदारी दो दशक पहले के 42.3 फीसदी से घटकर आज केवल 11.2 फीसदी रह गई है.
हालांकि, वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, चीन से आयातित अधिकांश वस्तुएं कच्चे माल, इंटरमिडिएट प्रोडक्ट्स और कैपिटल गुड्स जैसे ऑटो कंपोनेंट, इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, मोबाइल फोन पार्ट्स, मशीनरी और एक्टिव फार्मा सामग्री हैं. इनका उपयोग तैयार उत्पाद बनाने में किया जाता है, जिनका निर्यात भी किया जाता है.
मंत्रालय ने कहा कि इन कैटेगरीज में आयात पर भारत की निर्भरता मुख्यतः घरेलू सप्लई और मांग के अंतर के कारण है.
भारत ने अपनी आयात निर्भरता कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 14 से अधिक सेक्टर्स के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम शुरू करना, बाजार में खराब क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स की जांच और कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा के लिए क्वालिटी स्टैंडर्ड और क्वालिटी कंट्रोल, टेस्टिंग कंट्रोल और अनिवार्य प्रमाणन के उपाय. सरकार भारतीय व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को अपनी सप्लाई चेन में डायर्विसिफिकेशन लाने और सप्लाई के सिंगल सोर्स पर निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करती है.
नियमित आधार पर आयात में वृद्धि की निगरानी भी की जाती है और उचित एक्शन भी लिया जाता है.
इसके अलावा, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमिडिज (DGTR) को अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध ट्रेड रेमेडियल कार्रवाई की सिफारिश करने का अधिकार है.
भारत ने घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से बचाने के लिए केमिकल से लेकर इंजीनियरिंग वस्तुओं जैसे कई चीनी वस्तुओं और क्षेत्रों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है.
बढ़ते व्यापार घाटे का क्या प्रभाव होगा?
विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव, बाहरी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता, सस्ता आयात स्थानीय मैन्युफैक्चरर को नुकसान पहुंचा सकता है. मुद्रा अवमूल्यन के कारण आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ सकती है, जिससे महंगाई दर बढ़ सकती है और आयात पर अधिक निर्भरता प्रमुख क्षेत्रों में घरेलू क्षमता निर्माण के प्रोत्साहन को कम करती है, जिससे लॉन्ग टर्म औद्योगिक ग्रोथ धीमा हो जाता है.
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