सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड ने दिया 338% रिटर्न, RBI ने जारी किया 2017-18 Series-III का फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस

RBI ने Sovereign Gold Bond 2017-18 Series-III का फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस तय कर दिया है. अक्टूबर 2017 में जारी इस बॉन्ड ने 8 साल में करीब 338% का शानदार रिटर्न दिया है. रिजर्व बैंक की तरफ से इस सीरीज के बॉन्ड की कीमत 12567 रुपये प्रति यूनिट तय किया है.

गोल्ड बॉन्ड Image Credit: Money9 Live

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने Sovereign Gold Bond (SGB) 2017-18 Series-III के लिए फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस की घोषणा कर दी है. यह बॉन्ड 16 अक्टूबर, 2025 को मैच्योर होगा. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक तरह का डिजिटल गोल्ड इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है.जब आप SGB खरीदते हैं, तो आप असल में सोना नहीं लेते, बल्कि गोल्ड की कीमत से जुड़ा एक सरकारी बॉन्ड लेते हैं. इस पर आपको हर साल 2.5% ब्याज मिलता है. इसके अलावा गोल्ड की कीमत बढ़ने का फायदा भी मिलता है. यही वजह है कि 2017-18 की सीरीज-III के बॉन्ड्स पर 338% का रिटर्न मिला है.

कब हुआ था जारी?

इस सीरीज की सब्सक्रिप्शन डेट 9 से 11 अक्टूबर 2017 थी, जबकि इश्यू डेट 16 अक्टूबर 2017 तय की गई थी. 8 साल की फिक्स्ड मैच्योरिटी वाले इन बॉन्ड्स में निवेशक 5 साल बाद से प्रीमैच्योर एग्जिट का विकल्प भी चुन सकते हैं.

क्या है फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस?

RBI के मुताबिक फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस 12,567 रुपये प्रति यूनिट तय किया गया है. यह प्राइस 13, 14 और 15 अक्टूबर 2025 को 999 प्योरिटी गोल्ड के औसत क्लोजिंग प्राइस के आधार पर तय किया गया है, जिसे इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) ने प्रकाशित किया है.

कितना मिला रिटर्न?

SGB 2017-18 Series-III का इश्यू प्राइस 2,866 रुपये प्रति ग्राम था. यानी निवेशकों को बिना ब्याज के भी करीब 9,701 का लाभ हुआ है, जो करीब 338% का एब्सोल्यूट रिटर्न है. इसके अलावा हर साल 2.5% का ब्याज भी अलग से मिला है.

SGB में निवेश के फायदे और जोखिम

SGB स्कीम निवेशकों को फिजिकल गोल्ड की जगह एक सुरक्षित डिजिटल विकल्प देती है, जिसमें स्टोरेज और प्योरिटी की चिंता नहीं रहती. इन बॉन्ड्स पर हर साल 2.5% की दर से ब्याज भी मिलता है. हालांकि, अगर सोने की कीमतें नीचे जाती हैं, तो नुकसान की संभावना भी हो सकती है.

कौन कर सकता है निवेश?

SGB में निवेश भारतीय निवासी व्यक्ति, HUFs, ट्रस्ट, यूनिवर्सिटी और चैरिटेबल संस्थान कर सकते हैं. अगर निवेशक बाद में NRI बन जाता है तो भी वह मैच्योरिटी या अर्ली रिडेम्प्शन तक बॉन्ड होल्ड कर सकता है.