अगली दिवाली तक बरकरार रहेगी मेटल्स की चमक, MOPWM ने बताया- चांदी, कॉपर और जिंक में कितनी आएगी तेजी
Commodities: मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने चांदी, तांबा और जिंक पर अपना आउटलुक दिया है, जो इस दिवाली से अगली दिवाली तक के लिए है. वेल्थ मैनेजमेंट फर्म का अनुमान है कि चांदी, तांबा और जिंक की कीमतों में जोरदार तेजी आएगी.

Commodities: दुनियाभर के कमोडिटी बाजारों में साल 2025 एनर्जी ट्रांजिशन, जियो-पॉलिटिकल तनाव और औद्योगिक मांग के चलते मेटल्स के लिए ‘सुपर-साइकिल’ जैसा साबित हो रहा है. चांदी, तांबा और जिंक, तीनों बेस और प्रेशियस मेटल्स में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है. मोतीलाल ओसवाल वेल्थ मैनेजमेंट ने चांदी, तांबा और जिंक पर अपना आउटलुक दिया है, जो इस दिवाली से अगली दिवाली तक के लिए है. वेल्थ मैनेजमेंट फर्म का अनुमान है कि चांदी, तांबा और जिंक की कीमतों में जोरदार तेजी आएगी. साथ ही इसके पीछे के सभी फैक्टर्स भी समझाए हैं.
चांदी
जियो-पॉलिटिकल तनाव, अमेरिकी वित्तीय अनिश्चितता, ट्रंप प्रशासन के नए टैरिफ और प्रतिबंधों ने मुद्रास्फीति की आशंका को बढ़ाया, जिससे सोने और चांदी दोनों में सुरक्षित निवेश की मांग तेज हुई. साल 2025 में चांदी ने सोने को पीछे छोड़ते हुए 70 फीसदी से अधिक YTD (Year-To-Date) बढ़त दर्ज की है. COMEX और भारतीय बाजार, दोनों में ही चांदी ऑल-टाइम हाई स्तर पर पहुंच गई है.
दूसरी तरफ मेक्सिको और पेरू, जो दुनिया के सबसे बड़े चांदी उत्पादक देश हैं, वहां मजदूर हड़तालों और पर्यावरणीय प्रतिबंधों के चलते माइनिंग प्रोडक्शन में गिरावट आई है. इससे वैश्विक स्तर पर चांदी की कमी (Acute Shortage) देखी जा रही है. सप्लाई टाइट रहने से फ्यूचर मार्केट में बैकवर्डेशन (जहां स्पॉट प्राइस फ्यूचर से ज्यादा हो जाती है) और रिकॉर्ड प्रीमियम देखने को मिले हैं.
गोल्ड-सिल्वर रेश्यो में बदलाव
गोल्ड-सिल्वर रेश्यो 110 से गिरकर 82 पर आ गया है, जो एक संरचनात्मक बदलाव (Structural Re-Rating) को दर्शाता है. औद्योगिक मांग 1.2 अरब औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जिसमें सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) और सेमीकंडक्टर सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई है. सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2025 में 100 मिलियन औंस से अधिक का वैश्विक घाटा देखने को मिलेगा, जो लगातार पांचवां साल है जब बाजार में कमी बनी रहेगी.
भारत का सिल्वर इंपोर्ट
भारत के सिल्वर इंपोर्ट्स लगभग 3,000 टन तक पहुंच गए हैं, जो त्योहारी सीजन और औद्योगिक मांग दोनों के चलते बढ़े हैं. सऊदी अरब और रूस जैसे सेंट्रल बैंक भी अब अपनी रिजर्व संपत्ति (Reserves) में पहली बार चांदी जोड़ रहे हैं, जो ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. चीन की रिन्यूएबल एनर्जी विस्तार योजनाओं और सोलर इंस्टॉलेशंस ने सिल्वर डिमांड को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है.
ETF होल्डिंग्स 2025 के मध्य तक 1.13 अरब औंस (लगभग $40 बिलियन) तक पहुंच गईं, जो पिछले वर्ष के पूरे निवेश से भी अधिक हैं. निवेशकों के बीच बुलियन और ETF खरीदारी में उछाल ने चांदी की मॉनिटरी स्थिति (monetary edge) को और मजबूत किया है.
कब करें खरीदारी?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह रैली मूलभूत फैक्टर्स (जैसे वास्तविक मांग, स्ट्रक्चरल डेफिसिट और गोल्ड से सुरक्षित निवेश का ट्रांसफर) पर आधारित है. हालांकि, थोड़ी प्रॉफिट बुकिंग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. फिर भी मिड से लॉन्ग टर्म के लिए डिप पर खरीदारी (Buy on Dips) की रणनीति फायदेमंद मानी जा रही है.
कमोडिटी (Commodity Pick) | खरीदारी जोन (Accumulation Zone) | अनुमानित लक्ष्य स्तर (Expected Level) | अपसाइड पोटेंशियल (Upside Potential) |
Silver (चांदी) | ₹1,47,000 प्रति किलो | ₹2,30,000 प्रति किलो | 56% |
Copper (तांबा) | ₹950 – ₹960 प्रति किलो | ₹1,150 प्रति किलो | 20% |
Zinc (जस्ता) | ₹300 – ₹302 प्रति किलो | ₹400 प्रति किलो | 33% |
कॉपर
अमेरिकी सरकार द्वारा कॉपर इंपोर्ट्स पर टैरिफ लगाने के ऐलान से वैश्विक बाजारों में झटके लगे, जबकि EV (इलेक्ट्रिक व्हीकल), AI इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन से मांग में तेजी आई है. साल 2025 में घरेलू बाजार में कॉपर की कीमतें 27% से ज्यादा YTD (Year-To-Date) बढ़ी हैं. कॉपर के दाम हाल ही में लगभग दो साल के उच्च स्तर, यानी $10,300 प्रति टन के ऊपर पहुंच गए हैं. यह तेजी कमजोर डॉलर, कम स्टॉक्स, सप्लाई में रुकावटें और ICSG (International Copper Study Group) द्वारा जारी घटे हुए सरप्लस आंकड़ों से समर्थित रही.
चीन ने 2025 के पहले आठ महीनों में 4,60,000 टन रिफाइंड कॉपर एक्सपोर्ट किया, जो 15% सालाना बढ़ोतरी दर्शाता है. अधिकतर निर्यात अमेरिका को हुआ, जहां कीमतों में अंतर से ‘मध्यस्थता अवसर’ बना रहा. अगस्त में चीन के रिफाइंड कॉपर इंपोर्ट्स 8% YoY बढ़कर 335,000 टन तक पहुंच गए. विशेषज्ञों के मुताबिक, कॉपर का लॉन्ग टर्म आउटलुक बेहद बुलिश (Bullish) है.
जिंक
सितंबर 2025 में लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर जिंक की कीमतें 3000 डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गईं. इस साल अब तक जिंक ने करीब 9% की Year-To-Date (YTD) बढ़त दर्ज की है. कीमतों को समर्थन घटते इन्वेंट्री लेवल्स, कमजोर अमेरिकी डॉलर, और चीन में संभावित प्रोडक्शन कट्स की उम्मीदों से मिला है.
वैश्विक सप्लाई
LME में जिंक स्टॉक्स 50,000 टन से नीचे आ गए हैं, जो पिछले कई वर्षों का सबसे निचला स्तर है. ट्रैफिगुरा जैसे प्रमुख ट्रेडर्स ने बड़ी मात्रा में स्टॉक निकासी की है और कुछ सप्लाई अमेरिका की ओर शिफ्ट कर दी है. LME पर कैश-3M स्प्रेड $60 प्रति टन तक पहुंच गया है, जो 2022 के बाद पहली बार देखा गया और यह गंभीर सप्लाई डेफिसिट का संकेत देता है.
डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल स्टॉक्स की जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.
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