नई कार की डिलिवरी में भी धोखा, ये 7 जांच जरूरी; डीलर जल्दीबाजी का उठाते हैं फायदा

बहुत से लोग इस दिवाली नई कार खरीदने की सोच रहे हैं. लेकिन सावधान रहिए, क्योंकि कई बार डीलर पुरानी, रिपेयर या ट्रांसपोर्ट में डैमेज हुई गाड़ी को नई बताकर डेंट-पेंट कर बेच देते हैं. इसलिए डिलीवरी लेने से पहले PDI यानी प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करना बेहद जरूरी है.

कार खरीदने से पहले किन बातों का रखें ध्यान

GST रिफॉर्म ने कई सेक्टर में राहत दी है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा ऑटो सेक्टर में है. कारों की कीमतों में 40 से 50 हजार रुपये तक की गिरावट देखने को मिल रही है. ऐसे में बहुत से लोग इस दिवाली नई कार खरीदने की सोच रहे हैं. लेकिन सावधान रहिए, क्योंकि कई बार डीलर पुरानी, रिपेयर या ट्रांसपोर्ट में डैमेज हुई गाड़ी को नई बताकर डेंट-पेंट कर बेच देते हैं. इसलिए डिलीवरी लेने से पहले PDI यानी प्री डिलीवरी इंस्पेक्शन करना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कैसे करें PDI और किन बातों का खास ध्यान रखें.

क्या है PDI और क्यों है जरूरी?

PDI का मतलब है Pre-Delivery Inspection. यानी गाड़ी की डिलीवरी से पहले की जांच. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कार पूरी तरह से सही हालत में है या नहीं. इसमें इंजन, टायर, फीचर्स, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, एक्सटीरियर और इंटीरियर की गहराई से जांच की जाती है. आमतौर पर दो तरह से PDI किया जाता है. पहला तो डीलर खुद करता है और दूसरा आप खुद कर सकते हैं.

बता दें PDI करने से यह पता चल जाता है कि कार में कोई डैमेज, री-पेंट, जंग या तकनीकी खराबी तो नहीं है. इसलिए हमेशा रजिस्ट्रेशन से पहले ही PDI करें.

PDI कब और कहां करें?

कार का PDI दिन के समय, खुली और रोशनी वाली जगह में करें ताकि हर हिस्सा साफ दिखे. किसी एक्सपर्ट, मैकेनिक या कारों की जानकारी रखने वाले व्यक्ति को साथ ले जाना बेहतर रहेगा. अगर एक्सपर्ट न हो, तो खुद भी आसानी से ये जांच कर सकते हैं. इसके तहत सबसे पहले आप,

चेकलिस्ट बनाएं: शुरुआत में एक लिस्ट बना लें जिसमें हर जरूरी पॉइंट शामिल हो- इंजन, एक्सटीरियर, इंटीरियर, टायर, फीचर्स, पेंट, डाक्यूमेंट्स आदि. इससे कुछ भी छूटेगा नहीं.

एक्सटीरियर जांचें: पूरी कार के चारों ओर घूमें और बंपर व किनारों पर स्क्रेच या डेंट देखें. अगर कार को पॉलिश किया गया है, तो हो सकता है छोटे स्क्रेच छिपाए गए हों. कुछ दिन बाद ये दिखने लगते हैं. बॉडी पर हाथ फेरकर देखें, री-पेंट या अनइवन पेंटिंग पकड़ में आ जाएगी. डोर किनारे, विंडो फ्रेम और पैनल गैप्स को पास से देखें. टायर फ्लैट या क्रैक्ड न हों, यह भी चेक करें. स्टेपनी, जैक और टूल्स भी जरूर जांचें.

इंटीरियर देखें: सीट, डैशबोर्ड और ग्लोव बॉक्स की फिनिश देखें. फ्लोर मैट हटाकर देखें कि अंदर नमी या गंदगी तो नहीं है.
मिरर में क्रैक या स्क्रैच न हो. सभी बटन और स्विच काम कर रहे हों. AC चलाकर देखें कि कूलिंग ठीक है या नहीं.

इंजन, ओडोमीटर और फ्यूल: इंजन ऑयल, ब्रेक फ्लूइड, कूलेंट और वॉशर फ्लूइड का लेवल देखें. इंजन स्टार्ट कर 2-3 मिनट चलाएं और असामान्य आवाज या कंपन महसूस करें. ओडोमीटर रीडिंग 30-50 किमी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. फ्यूल इतना हो कि कार नजदीकी पेट्रोल पंप तक जा सके.

डॉक्युमेंट्स जांचें: RC, इंश्योरेंस, वारंटी कार्ड, सर्विस बुक, रोडसाइड असिस्टेंस और मैनुअल चेक करें. फॉर्म 22 देखकर इंजन नंबर, चेसिस नंबर और मैन्युफैक्चरिंग डेट मिलान करें. VIN, इंजन और चेसिस नंबर डॉक्युमेंट्स से मैच करते हों.

टेस्ट ड्राइव लें: स्टीयरिंग, गियर, ब्रेक और सस्पेंशन की फीलिंग चेक करें. कोई अनचाही आवाज या वाइब्रेशन हो तो तुरंत बताएं. इंजन की नॉइस और रिस्पॉन्स नोटिस करें.

इंस्पेक्शन का वीडियो बनाएं: अगर पूरी जांच खुद कर रहे हैं, तो उसका वीडियो बना लें ताकि बाद में कोई विवाद हो तो आपके पास सबूत रहे.

डिलीवरी के बाद क्या जांचें?

  • इनवॉइस ध्यान से पढ़ें. कई बार डीलर फाइल चार्ज, सर्विस चार्ज, हैंडलिंग चार्ज जैसे हिडन कॉस्ट जोड़ देते हैं.
  • सर्विस चार्ज लेना गैरकानूनी है, इसलिए बिल में ऐसा कुछ दिखे तो तुरंत ऑब्जेक्शन उठाएं.
  • बुकिंग के समय ही साफ कह दें कि किसी भी हिडन चार्ज का भुगतान नहीं करेंगे.

इन बातों को भी कभी न भूलें

  • अगर डीलर PDI से रोकता है, तो समझ लीजिए कुछ गड़बड़ है. ऐसी कार से इनकार कर दें.
  • PDI में कोई बड़ी खराबी मिले तो गाड़ी न लें.
  • थोड़ा वक्त निकालकर सही चेकिंग करने से आप खराब या डैमेज कार से बच सकते हैं.
  • छोटी सी लापरवाही बाद में बड़ा नुकसान कर सकती है.

इसे भी पढ़ें- क्या आपकी कार का सस्पेंशन खराब है? पूरी असेंबली बदलवाने से पहले जान लें यह जरूरी बात; हजारों की होगी बचत