एक नहर से पाकिस्तान का पंजाब होगा तबाह, भारत ने ‘रणबीर’ के लिए बना लिया 120KM वाला प्लान
भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. इसी के तहत जम्मू की रणबीर नहर की लंबाई 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने की योजना पर काम शुरू हो गया है. जानें भारत के लिए इसके मायने क्या हैं और पाकिस्तान को इससे क्या होगा.

Ranbir Canal In Jammu: भारत सरकार अब रणबीर नहर की लंबाई बढ़ाने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है. यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए रणबीर नहर की लंबाई को 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर करने की प्लानिंग की जा रही है. यह नहर चिनाब नदी से पानी लेकर जम्मू क्षेत्र में कृषि से जुड़े कार्यों के लिए इस्तेमाल होती है. यह फैसला उस समय लिया गया है जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है.
क्यों खास है रणबीर नहर?
रणबीर नहर की शुरुआत 20वीं सदी की शुरुआत में हुई थी और यह जम्मू के किसानों के लिए सिंचाई के लिए काफी अहम मानी जाती है. इसका सोर्स चिनाब नदी का बायां किनारा है जो अखनूर ब्रिज के पास पड़ता है. फिलहाल इसकी लंबाई लगभग 60 किलोमीटर है और इसका डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क करीब 400 किलोमीटर तक फैला हुआ है.
नहर विस्तार से क्या होगा?
सरकार इस नहर की लंबाई दोगुनी करके इसकी जल वहन क्षमता यानी पानी को रोकने की कैपेसिटी को 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड से बढ़ाकर 150 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड करना चाहती है. इससे जम्मू क्षेत्र में सिंचाई को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जाने वाले पानी की मात्रा में कमी आएगी. पाकिस्तान का पंजाब क्षेत्र देश की कुल खाद्यान्न उपज में लगभग 68 फीसदी योगदान देता है. इससे इतर, पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इससे जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सरकार दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रही है. उन्होंने कहा, रणबीर के अलावा कठुआ, रावी और परगवाल नहरों की सिल्ट (गाद) हटाने का काम भी शुरू कर दिया गया ताकि जल प्रवाह में किसी तरह की रुकावट न आए.
भारत के लिए होगा फायदेमंद
अब तक भारत चिनाब नदी से सीमित मात्रा में ही पानी का इस्तेमाल करता रहा है उसमें भी खासकर कृषि के लिए. लेकिन अब जब जल संधि को रोक दिया गया है. ऐसे में सरकार वाटर रिसोर्सेज के अधिकतम उपयोग की दिशा में कदम बढ़ा रही है. इसमें हाइड्रोपावर के प्रोडक्शन को बढ़ाना एक अहम उद्देश्य है.
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का जल विभाजन तय किया गया था. इसमें रावी, व्यास और सतलुज को पूर्वी नदियां माना गया था जिनका इस्तेमाल भारत कर सकता था जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम पश्चिमी नदियां थीं जिनका अधिकतर पानी पाकिस्तान को दिया गया. लेकिन हाल में जम्मू के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने यह संधि निलंबित कर दी है. सरकार ने साफ किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह से नहीं छोड़ता तब तक संधि लागू नहीं की जाएगी.
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