देश की दिग्गज कंपनियों का कैश रिजर्व हो रहा कम, आखिर कहां खर्च हो रहा पैसा? जानें- जरूरी फैक्टर्स

31 मार्च से 30 सितंबर के बीच नकदी भंडार में 43,000 करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है, जो 7.8 ट्रिलियन रुपये से घटकर 7.36 ट्रिलियन रुपये रह गया है. मैन्युफैक्चरिंग, हैवी मशीनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर इस कैपिटल एक्सपेंडिंचर सायकिल के केंद्र में बने हुए हैं.

कंपनियों का कैश रिजर्व घटा. Image Credit: freepik

भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियां हाल के वर्षों में सबसे तेज से अपने कैश भंडार का उपयोग कर रही हैं. साथ ही वे नए उधार भी ले रही हैं, जो प्राइवेट सेक्टर के कैपिटल एक्सपेंडिचर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. बीएसई 500 सूचकांक (BFSI और तेल एवं गैस को छोड़कर) में शामिल 339 कंपनियों के ऐस इक्विटी द्वारा किए गए एनालिसिस से पता चला है कि 31 मार्च से 30 सितंबर के बीच नकदी भंडार में 43,000 करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई है, जो 7.8 ट्रिलियन रुपये से घटकर 7.36 ट्रिलियन रुपये रह गया है.

नकदी भंडार में गिरावट

सितंबर 2022 के बाद से तीन वर्षों में यह पहली बार है जब भारतीय कंपनियों के नकदी भंडार में गिरावट देखी गई है. इसी दौरान 30 सितंबर के अंत तक ग्रॉस डेट 2.04 ट्रिलियन रुपये बढ़कर 29.15 ट्रिलियन रुपये हो गया, जो तीन वर्षों में सबसे तेज वृद्धि है, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है.

किस बात के संकेत

कैश में एक साथ आई गिरावट और डेट में वृद्धि इस बात का संकेत हो सकती है कि कंपनियां इंटरनल रिसोर्सेज का उपयोग करने के साथ-साथ विस्तार के लिए उधारी का उपयोग भी कर रही हैं, क्योंकि मांग में सुधार हो रहा है, सप्लाई चेन सामान्य हो रही है और फाइनेंसिंग की स्थिति आसान हो रही है.

केंद्र में मैन्युफैक्चरिंग, हैवी मशीनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर

रिपोर्ट के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग, हैवी मशीनरी और इंफ्रास्ट्रक्चर इस कैपिटल एक्सपेंडिंचर सायकिल के केंद्र में बने हुए हैं. रिन्यूएबल एनर्जी, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और सेमी-इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी अगले कुछ वर्षों में अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

मजबूत हो रही है बैलेंस शीट

विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि हालांकि पूर्ण ऋण और नकदी के आंकड़े कैश रिजर्व में कमी का संकेत दे सकते हैं, लेकिन सेल्स के रिलेटिव डेट और नकदी की तुलना करने से संकेत मिलता है कि भारतीय कंपनियों की बैलेंस शीट लगातार मजबूत हो रही है. इसका अर्थ है कि रेवेन्यू जेनरेशन के संदर्भ में डेट भार मोटे तौर पर स्थिर रहा है, भले ही उधारी के रुपये की वैल्यू बढ़ी हो.

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