इंपोर्ट चेक आसान बनाने के लिए सुधारों का ऐलान, अमेरिका के साथ ट्रेड डील से पहले भारत ने उठाया बड़ा कदम
India-US Trade Deal: यह कदम अमेरिका की उस चिंता को दूर करने के लिए उठाया गया है. नई दिल्ली और वॉशिंगटन एक ट्रेड एग्रीमेंट पर काम कर रहे हैं, जिससे भारत को उम्मीद है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूसी तेल खरीद के लिए दंड के तौर पर कुछ मुख्य एक्सपोर्ट पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ से राहत मिलेगी.
India-US Trade Deal: भारत ने बुधवार को लालफीताशाही कम करने और अपने इंपोर्ट क्वालिटी चेक को आसान बनाने के लिए सुधारों की घोषणा की. यह कदम अमेरिका की उस चिंता को दूर करने के लिए उठाया गया है, जिसमें उसने दक्षिण एशियाई देश की ‘बोझिलट इंपोर्ट-क्वालिटी जरूरतों के बारे में बात की थी. नई दिल्ली और वॉशिंगटन एक ट्रेड एग्रीमेंट पर काम कर रहे हैं, जिससे भारत को उम्मीद है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूसी तेल खरीद के लिए दंड के तौर पर कुछ मुख्य एक्सपोर्ट पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ से राहत मिलेगी.
इंपोर्ट चेक में सुधार
व्यापार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इंपोर्ट चेक में सुधारों में कम कागजी कार्रवाई, कम समय और क्वालिटी अप्रूवल के लिए कम इंस्पेक्शन शामिल हैं.
सुधारों का मकसद
क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन जक्से शाह ने कहा, ‘इन सुधारों का मकसद प्रक्रिया को तेज करना, टर्नअराउंड टाइम को कम करना और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन सिस्टम का इस्तेमाल करके क्वालिटी एश्योरेंस को एंटरप्राइज़, संस्थानों और नागरिकों के लिए तेज, अधिक पारदर्शी और ज्यादा सुलभ बनाना है. भारत के ट्रेड सेक्रेटरी ने 28 नवंबर को कहा था कि भारत को उम्मीद है कि इस साल के आखिर तक अमेरिका के साथ ट्रेड डील हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर मुद्दे सुलझ गए हैं.
पीएम मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत
इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत अच्छी चल रही है. ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूस से तेल खरीदना कम करने और कृषि जैसे संवेदनशील सेक्टरों सहित कई सेक्टरों में टैरिफ कम करने का दबाव डाला है.
सूत्रों के अनुसार, समझौते की व्यापक रूपरेखा तैयार हो चुकी है, लेकिन कृषि और ऊर्जा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में समझौते की घोषणा से पहले राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता है.
सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
अमेरिका लगातार चौथे वर्ष 2024-25 में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहेगा, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब अमेरिकी डॉलर (86.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात) रहा. भारत के कुल वस्तु निर्यात में इसका लगभग 18 फीसदी, आयात में 6.22 फीसदी और देश के कुल व्यापारिक व्यापार में 10.73 फीसदी का योगदान है.
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