भारत-रूस ट्रेड में मेगा जंप! भारत ने तैयार की 300 हाई-डिमांड प्रोडक्ट्स की लिस्ट, $100 बिलियन व्यापार का ब्लूप्रिंट तैयार
रूस से भारत का आयात पिछले चार सालों में दस गुना से अधिक बढ़ गया है. साल 2020 में भारत ने रूस से सिर्फ 5.94 अरब डॉलर का सामान खरीदा था, लेकिन साल 2024 में यह बढ़कर 64.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह कच्चे तेल का आयात है.
Trade Boost with Russia: भारत सरकार ने रूस में भारतीय निर्यात बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने करीब 300 ऐसे प्रोडक्ट की पहचान की है, जिनकी रूस में भारी मांग है और जिनमें भारतीय कंपनियां आसानी से अपनी पकड़ बढ़ा सकती हैं. इनमें इंजीनियरिंग सामान, फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयां), कृषि प्रोडक्ट और केमिकल जैसे प्रमुख सेक्टर शामिल हैं. यह पहल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और रूस ने मिलकर 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
वर्तमान में इन चुने गए प्रोडक्ट में भारत का रूस को कुल निर्यात सिर्फ 1.7 अरब डॉलर है, जबकि रूस इन्हीं categories में दुनिया भर से लगभग 37.4 अरब डॉलर का आयात करता है. यह अंतर बताता है कि भारत के पास रूस के बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की बहुत बड़ी संभावना है. फिलहाल भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा करीब 59 अरब डॉलर है. TOI के मुताबिक Ministry of Commerce ने जिन 300 प्रोडक्ट को चुना है, उन्हें भारत की सप्लाई क्षमता और रूस की जरूरतों को मिलाकर तय किया गया है. भारत अभी रूस की कुल आयात जरूरतों में केवल 2.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है.
रूस से भारत के आयात में जबरदस्त उछाल
इसी दौरान रूस से भारत का आयात पिछले चार सालों में दस गुना से अधिक बढ़ गया है. साल 2020 में भारत ने रूस से सिर्फ 5.94 अरब डॉलर का सामान खरीदा था, लेकिन साल 2024 में यह बढ़कर 64.24 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह कच्चे तेल का आयात है. भारत ने साल 2020 में रूस से 2 अरब डॉलर का तेल खरीदा था, जबकि साल 2024 में यह आंकड़ा 57 अरब डॉलर तक पहुंच गया. अब भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी काफी अधिक हो गई है. इसके अलावा भारत रूस से खाद और वेजिटेबल ऑयल भी बड़ी मात्रा में आयात करता है.
- 2020 में आयात: 5.94 अरब डॉलर
- 2024 में आयात: 64.24 अरब डॉलर
कृषि, इंजीनियरिंग और केमिकल में बड़ा एक्सपोर्ट गैप
निर्यात की बात करें तो कृषि और इससे जुड़े प्रोडक्ट में भारत अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. भारत वर्तमान में रूस को 452 मिलियन डॉलर के कृषि प्रोडक्ट भेजता है, जबकि रूस की वैश्विक मांग 3.9 अरब डॉलर की है. इसी तरह इंजीनियरिंग सामान में भी बहुत अवसर है. भारत अभी सिर्फ 90 मिलियन डॉलर का इंजीनियरिंग सामान रूस भेजता है, जबकि रूस की जरूरत 2.7 अरब डॉलर की है.
एक्सपर्ट का मानना है कि रूस चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है, इसलिए भारत इस मौके का फायदा उठा सकता है. केमिकल और प्लास्टिक प्रोडक्ट में भी बड़ी खाई है. भारत वहां 135 मिलियन डॉलर का माल भेजता है, जबकि रूस की मांग 2.06 अरब डॉलर की है.
टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट और फूड प्रोसेसिंग में भी मौका
इन सब में सबसे बड़ा अवसर दवाइयों के क्षेत्र में है. भारत रूस को फिलहाल 546 मिलियन डॉलर की मेडिसिन भेजता है, जबकि रूस हर साल 9.7 अरब डॉलर की दवाइयां आयात करता है. भारत की जेनेरिक दवाइयों की दुनिया भर में मजबूत पहचान है, इसलिए इस सेक्टर में तेजी से विस्तार संभव है.
इसके अलावा टेक्सटाइल, रेडीमेड कपड़े, लेदर, हैंडीक्राफ्ट, प्रोसेस्ड फूड और हल्के इंजीनियरिंग सामान जैसे क्षेत्रों में भी भारत के पास अच्छा अवसर है. वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल का रूस में भारत का बाजार हिस्सा 1 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन रूस की बड़ी आबादी और बढ़ती मांग को देखते हुए, यदि भारतीय कंपनियां बेहतर वितरण नेटवर्क तैयार करें तो ये सेक्टर भी तेजी से बढ़ सकते हैं.
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