दबाव बढ़ा, लेकिन भारत अड़ा! वित्त मंत्री ने कहा- देश खरीदता रहेगा रूसी तेल
भारत सरकार ने ऊर्जा नीति को लेकर एक बार फिर बड़ा संकेत दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हालिया बातचीत में साफ किया कि देश अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर ही फैसला लेगा. इस बीच, अमेरिका और अन्य देशों की आपत्तियों पर भारत का रुख खास ध्यान खींच रहा है.

भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए किसी बाहरी दबाव में नहीं आएगा. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार यानी 5 सितंबर को कहा कि देश रूसी तेल की खरीद जारी रखेगा क्योंकि यह भारत के हितों के मुताबिक है. उन्होंने दो टूक कहा कि तेल कहां से लेना है, इसका फैसला भारत खुद करेगा.
सीतारमण ने न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारत रूसी तेल खरीदता रहेगा. यह हमारा निर्णय है कि हमें कहां से तेल लेना है. हमें वही चुनना होगा जो हमारी जरूरत के हिसाब से सही हो.” उनका यह बयान मोदी सरकार के उस रुख को दोहराता है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि राष्ट्रीय हित किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव से ऊपर है.
अमेरिका को भी साफ संदेश
इससे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी कह चुके हैं कि अगर अमेरिका को भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने पर आपत्ति है, तो वह न खरीदे. उन्होंने कहा था कि भारत पर किसी तरह का दबाव स्वीकार्य नहीं होगा और देश किसानों व छोटे उद्योगों के हितों पर किसी कीमत पर समझौता नहीं करेगा.
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कर सुधार और वित्तीय अनुशासन
तेल आयात पर सरकार का रुख स्पष्ट करने के साथ ही वित्त मंत्री ने आर्थिक नीतियों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि मुनाफा कमाने का कोई शॉर्टकट नहीं है, जनता का भरोसा जीतना जरूरी है. जीएसटी सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अब 99 फीसदी वस्तुएं 5% और 18% की टैक्स कैटेगरी में आ चुकी हैं, जबकि सिर्फ लग्जरी और ‘सिन गुड्स’ इससे बाहर हैं.
सीतारमण ने यह भी स्वीकार किया कि केंद्र का राजकोषीय घाटा अभी भी एक बड़ी चुनौती है और इसे नियंत्रित करना सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है.
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