रिटेल के बाद थोक महंगाई दर में भी गिरावट, सितंबर में 0.13% पर WPI, जानें- पॉजिटिव रेट के पीछे के कारण
September WPI: अगस्त में मामूली वृद्धि के बाद सितंबर में हेडलाइन महंगाई दर में गिरावट आई, जो 10 महीनों में मुद्रास्फीति में पहली मंथली वृद्धि थी. WPI आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खाद्य पदार्थों में डिफ्लेशन 5.22 फीसदी रही. रिटेल महंगाई दर में भी गिरावट आई है.
September WPI: रिटेल महंगाई के बाद थोक महंगाई दर में भी गिरावट आई है. मंगलवार को कॉमर्स मंत्रालय के जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) बेस्ड महंगाई दर सितंबर में वार्षिक आधार पर 0.13 फीसदी रही, जबकि अगस्त में यह 0.52 फीसदी पर थी. मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों, ईंधन और मैन्युफैक्चरिंग वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण सितंबर में थोक होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) घटकर 0.13 फीसदी रह गई.
सरकार ने एक प्रेस रिलीज में कहा, ‘सितंबर 2025 में महंगाई की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, अन्य मैन्युफैक्चरिंग, गैर-खाद्य वस्तुओं, अन्य परिवहन उपकरणों और टेक्सटाइल आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है.’
क्या-क्या हुआ सस्ता?
WPI आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में खाद्य पदार्थों में डिफ्लेशन 5.22 फीसदी रही, जबकि अगस्त में यह 3.06 फीसदी थी और सब्जियों की कीमतों में गिरावट देखी गई. सितंबर में सब्जियों में डिफ्लेशन 24.41 प्रतिशत रही, जबकि अगस्त में यह 14.18 फीसदी थी.
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स के मामले में महंगाई दर अगस्त के 2.55 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.33 फीसदी रह गई. फ्यूल और पावर सेक्टर में सितंबर में नेगेटिव महंगाई दर या डिफ्लेशन दर 2.58 फीसदी रही, जबकि पिछले महीने यह 3.17 फीसदी थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), जो खुदरा महंगाई दर पर नजर रखता है, ने इस महीने की शुरुआत में बेंचमार्क नीतिगत दरों को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा था.
रिटेल महंगाई दर
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) द्वारा मापी गई भारत की खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 1.54 फीसदी रह गई, जो अगस्त में 2.07 फीसदी थी, जिससे यह जून 2017 के बाद साल-दर-साल सबसे कम मुद्रास्फीति बन गई. सरकार ने कहा कि रिटेल महंगाई दर जून 2017 के बाद सबसे कम है.
सितंबर 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 5.7 फीसदी से बढ़कर 9.2 फीसदी हो गई, जिससे इस वर्ष अनुकूल बेस तैयार हुआ.