भारतीय कंपनियों ने यूरोप को पेट्रोलियम एक्सपोर्ट का नया रास्ता निकाला, स्पेन को निर्यात में 46000% का उछाल : रिपोर्ट
भारत के पेट्रोलियम निर्यात में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. सितंबर में भारतीय कंपनियों की तरफ से स्पेन को किए जाने वाले एक्सपोर्ट में 46,000% की बढ़ोतरी हुई है. रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों के बीच भारतीय रिफाइनर्स दक्षिणी यूरोप के बाजारों में तेजी से पैठ बना रहे हैं. यह बदलाव यूरोप में भारत की ऊर्जा रणनीति का संकेत देता है.
भारत से स्पेन को पेट्रोलियम प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट सितंबर में 46,000% बढ़ा है. इस तरह स्पेन यूरोप में भारतीय पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का नया बाजार बन गया है. पारंपरिक हब नीदरलैंड्स को पीछे छोड़ते हुए यह बदलाव भारत के यूरोपीय ईंधन व्यापार में बड़ा स्ट्रैटेजिक शिफ्ट दिखा रहा है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत से स्पेन को पेट्रोलियम एक्सपोर्ट सितंबर 2024 के 11 लाख डॉलर से बढ़कर सितंबर 2025 में 51.37 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है. यानी सालाना आधार पर करीब 46,000% की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. वहीं, मंथ ऑन मंथ उछाल और भी चौंकाने वाला है, यह 61,000% से अधिक है. इसके उलट, पारंपरिक यूरोपीय खरीदार नीदरलैंड्स को निर्यात में 36% की गिरावट आई है.
स्पेन को कुल निर्यात 151% बढ़ा
स्पेन को पेट्रोलियम प्रोडक्ट के ये शिपमेंट भारत के कुल निर्यात में 151% की वार्षिक बढ़ोतरी का मुख्य कारण हैं. रिपोर्ट में ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अजय श्रीवास्तव के हवाले से बताया गया है कि भारतीय रिफाइनर्स दक्षिणी यूरोप और लाइबेरियाई क्षेत्र में मिड-डिस्टिलेट्स और एविएशन फ्यूल की बढ़ती मांग का फायदा उठा रहे हैं. सितंबर में स्पेन के लिए भारत से सबसे बड़ा निर्यात पेट्रोलियम का रहा, इसके बाद आयरन-स्टील और मोटर व्हीकल्स रहे. पिछले साल इसी महीने पेट्रोलियम उत्पाद शीर्ष 50 आयातों में भी शामिल नहीं थे.
रूस पर प्रतिबंधों से भारत को फायदा
यह उछाल ऐसे समय आया है जब यूरोपीय संघ (EU) जनवरी 2026 से उन पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है, जो रूसी कच्चे तेल से रिफाइन किए गए हैं, भले ही उन्हें किसी तीसरे देश में प्रोसेस किया गया हो. अमेरिका ने हाल ही में Rosneft और Lukoil पर ग्लोबल ट्रांजैक्शन बैन लगाया है, जबकि यूरोपीय संघ ने रूसी LNG पर 2027 से पूर्ण प्रतिबंध की घोषणा की है.
रूस अब भी सबसे बड़ा स्रोत
भारत की लगभग 34% तेल जरूरतें अब भी रूसी कच्चे तेल से पूरी हो रही हैं. युद्ध से पहले यह केवल 0.2% थी. ऐसे में भारतीय रिफाइनर्स अब अपने निर्यात मार्गों को तेजी से बदल रहे हैं.
क्यों चुना गया स्पेन?
रिपोर्ट के मुताबिक नीदरलैंड्स मुख्य रूप से यूरोप में डिस्ट्रीब्यूशन हब के रूप में काम करता है. लेकिन बढ़ती रेगुलेटरी स्क्रूटनी और रूस से जुड़ी फ्यूल ट्रैकिंग की जटिलताओं के चलते कंपनियां अब सीधे एंड-मार्केट जैसे स्पेन की ओर रुख कर रही हैं.
ईयू को कुल पेट्रोलियम निर्यात में मामूली गिरावट
भारत से स्पेन को एक्सपोर्ट में जहां विस्फोटक उछाल देखने को मिला है. वहीं, यूरोपीय संघ को कुल पेट्रोलियम निर्यात 3.6% घटकर 1.42 अरब डॉलर का रहा. हालांकि, भारत के वैश्विक पेट्रोलियम निर्यात सितंबर में 14.8% बढ़कर नई ऊंचाई पर पहुंच गया है.
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