भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर अनिश्चितता बढ़ी, रुपया पहली बार 90.33 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर बंद

रुपये की चाल को लेकर बाजार में भारी चर्चा है, क्योंकि वैश्विक संकेत, विदेशी फंड मूवमेंट और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं के बीच निवेशकों की धारणा तेजी से बदल रही है. मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है और विशेषज्ञ आने वाले दिनों को लेकर सतर्क नजर आ रहे हैं.

रिकॉर्ड लो तक फिसला रुपया Image Credit: Money9 Live

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर जारी अनिश्चितता ने गुरुवार को भारतीय रुपये को रिकॉर्ड निचले स्तर तक धकेल दिया. अमेरिकी अधिकारियों की टीम दिल्ली में बातचीत के लिए मौजूद होने के बावजूद, डील को लेकर स्पष्टता नहीं बनने से बाजार में चिंता बढ़ी और रुपया 39 पैसे टूटकर 90.33 प्रति डॉलर (प्रोविजनल) पर बंद हुआ. यह अब तक का सबसे कमजोर स्तर है.

रुपया क्यों टूटा?

फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के लगातार टलते रहने से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है. चीफ इकनॉमिक एडवाइजर वी. अनंथा नागेस्वरन के इस बयान से उम्मीद जगी थी कि मार्च तक भारत और अमेरिका की डील हो सकती है, लेकिन यह डील अभी अधर में ही है.

उधर, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और ग्लोबल मार्केट में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति ने रुपये पर और दबाव बनाया. गुरुवार को इंटरबैंक बाजार में रुपया 89.95 पर खुला, लेकिन तेजी से फिसलते हुए 90.48 के रिकॉर्ड इंट्रा-डे लो तक पहुंच गया.

विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?

MiraeAsset ShareKhan के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा, “भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता के चलते रुपया दबाव में है. हालांकि घरेलू बाजार की मजबूती और कमजोर अमेरिकी डॉलर ने गिरावट को कुछ हद तक सीमित किया.”

उन्होंने आगे कहा कि रुपया निकट अवधि में नकारात्मक झुकाव के साथ ट्रेड कर सकता है. अगर RBI हस्तक्षेप करता है, तो निचले स्तर पर रुपये को सपोर्ट मिल सकता है. USDINR स्पॉट 90.10 से 90.75 के दायरे में रह सकता है.

व्यापार वार्ता में क्या हुआ?

इस बीच, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) जेमीसन ग्रियर ने कहा है कि प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर भारत ने “अब तक का सबसे बेहतर ऑफर” दिया है. हालांकि भारत में कुछ रो क्रॉप्स और मांस उत्पादों को लेकर प्रतिरोध बना हुआ है. Row क्रॉप्स में मक्का, सोयाबीन, गेहूं और कपास शामिल हैं.

ग्लोबल मार्केट का माहौल

डॉलर इंडेक्स गुरुवार को 0.18 प्रतिशत कमजोर होकर 98.61 पर था. फेडरल रिजर्व की हालिया ब्याज दर कटौती और नरम रुख ने डॉलर पर दबाव बनाया. ब्रेंट क्रूड भी 1.25 प्रतिशत गिरकर 61.43 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड हुआ, जिससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को कुछ समर्थन मिला.

घरेलू बाजार में तेजी लेकिन FII की बिकवाली जारी

बीएसई सेंसेक्स 426.86 अंक चढ़कर 84,818.13 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 140.55 अंक बढ़कर 25,898.55 पर पहुंच गया. इसके बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बुधवार को 1,651 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जिसने रुपये पर दबाव बनाए रखा.

यह भी पढ़ें:  गोल्ड बॉन्ड ने किया निवेशकों को मालामाल, 2017-18 XI सीरीज के फाइनल रिडेम्पशन पर मिल रहा 341% रिटर्न

कुल मिलाकर, व्यापार समझौते की अनिश्चितता, विदेशी फंड आउटफ्लो और जोखिम से बचाव की वैश्विक धारणा ने रुपये को ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा दिया है. आने वाले दिनों में रुपये की चाल काफी हद तक अमेरिका के साथ बातचीत के नतीजों और आरबीआई की मुद्रा नीति पर निर्भर करेगी.

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