इंश्योरेंस में 100% FDI पर शुक्रवार को लग सकती है कैबिनेट की मुहर, कैसे बदल जाएगा सेक्टर का खेल?
सरकार बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश (FDI) सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने की तैयारी में है. बजट 2025 में किए गए ऐलान के बाद अब कैबिनेट शुक्रवार को मंजूरी दे सकती है. फैसले से बीमा कंपनियों को विदेशी पूंजी, तकनीक और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलेगी. इंश्योरेंस एक्ट में संशोधन भी जरूरी होगा.
बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश का रास्ता और आसान होने जा रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ बजट में पेश किए गए इस प्रस्ताव पर शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में मुहर लग सकती है. इसके बाद बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% की जा सकती है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार इसे बीमा उद्योग की ग्रोथ, टेक्नोलॉजी इनफ्लो और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के बड़े कदम के रूप में देख रही है.
बजट घोषणा कैबिनेट मंजूरी की दहलीज पर
1 फरवरी को वित्त मंत्री ने लोकसभा में बताया था कि भारत बीमा उद्योग में विदेशी निवेश की सीमा को पूरी तरह खोलने जा रहा है. इसके बाद से वित्त मंत्रालय और अन्य विभागों के बीच कई दौर की समीक्षा बैठकों के बाद अब यह प्रस्ताव शुक्रवार को कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. मंजूरी मिलते ही इंश्योरेंस एक्ट, 1938 में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो इस बदलाव को कानूनी आधार देगा.
100% FDI की शर्तें
सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि FDI सीमा उन बीमा कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी, जो अपने द्वारा जुटाए गए प्रीमियम को पूरी तरह भारत के भीतर निवेश करेंगी. मौजूदा विदेशी निवेश शर्तों को सरल बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है, ताकि विदेशी कंपनियों को भारत में बीमा कारोबार शुरू करने या उसका विस्तार करने में आसानी हो.
रफ्तार के लिए जरूरी सुधार
भारतीय बीमा उद्योग अगले पांच वर्षों में 7.1% की औसत वार्षिक वृद्धि हासिल करने की क्षमता रखता है. यह रफ्तार वैश्विक और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज है. सरकार का आकलन है कि 100% FDI लागू होने से दीर्घकालिक विदेशी पूंजी आएगी, नई तकनीक और उत्पाद नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित होगी. इससे प्रीमियम की पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ता को ज्यादा विकल्प मिलेंगे.
भारतीय पार्टनर की अनिवार्यता खत्म
अब तक किसी विदेशी बीमा कंपनी को भारत में प्रवेश करने के लिए 26% हिस्सेदारी किसी भारतीय पार्टनर को देनी पड़ती थी. नई व्यवस्था में यह बाध्यता खत्म हो जाएगी. निर्मला सीतारमण के अनुसार, यह एक एनेबलिंग प्रोविजन है, जो विदेशी खिलाड़ियों को भारत में स्वतंत्र रूप से निवेश करने और संचालन बढ़ाने की सुविधा देगा. इससे बाजार में नए बीमाकर्ताओं की संख्या बढ़ने की संभावना है, जिससे इंश्योरेंस कवरेज सुधारने में मदद मिलेगी.
इसलिए बड़ा कदम जरूरी
भारत में 57 बीमा कंपनियां सक्रिय हैं. इनमें 24 लाइफ और 34 नॉन-लाइफ इंश्योरेंस कवर देती हैं. हालांकि, इसके बावजूद इंश्योरेंस कवरजे 3.7% है. FY24 में लाइफ इंश्योरेंस कवरेज 2.8% और नॉन-लाइफ मात्र 0.9% है. सरकार का मानना है कि बीमा बाजार की कमी को दूर करने के लिए विदेशी पूंजी और तकनीकी विशेषज्ञता को भारतीय बाजार में अवसर देना बेहद अहम है.
वर्तमान विदेशी हिस्सेदारी का परिदृश्य
2024 के अंत तक विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों में 47.82%, निजी क्षेत्र के जनरल इंश्योरर्स में 40.8% और स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरर्स में 29.46% पर थी. सरकार को उम्मीद है कि 100% FDI लागू होते ही यह निवेश न केवल बढ़ेगा बल्कि स्थिर व दीर्घकालिक भी होगा.
कानूनी संशोधनों की प्रक्रिया जारी
वित्त मंत्रालय इंडियन इंश्योरेंस कंपनीज (फॉरेन इन्वेस्टमेंट) अमेंडमेंट रूल्स, 2025 का ड्राफ्ट पहले ही जारी कर चुका है. हालांकि, इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल, 2024 को अभी संसद में पेश किया जाना बाकी है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी.
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