गिग वर्कर्स के बदलेंगे दिन, कर्नाटक ने लगाया अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों पर 5% सेस, कस्टमर्स पर पड़ेगा भारी!
अमेजन, ओला समेत दूसरे कई एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स में काम करने वाले गिग वर्कस की जिंदगी को बेहतर बनाने के मकसद से कर्नाटक सरकार ने ऐसी कंपनियों पर 5 फीसदी सेस लगाया है. इससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी. तो क्या इसका असर ऐसी सर्विस यूज करने वाले कस्टमर्स को भी पड़ेगा, जानें पूरी डिटेल.

Karnataka to collect 5% cess with companies: गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा जैसे- स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवर और दूसरी सुविधाएं मुहैया कराने के मकसद से कर्नाटक सरकार एक नया बिल लाने वाली है. इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा. मगर बिल लाने से पहले ही कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 3 अप्रैल 2025 को अमेजन, फ्लिपकार्ट, ओला और उबर जैसी बड़ी कंपनियों से 5% सेस लगाए जाने की घोषणा की. सेस के जरिए वसूला जाने वाला पैसा सीधे गिग वर्कर्स के कल्याण कोष में जाएगा. यानी इसका फायदा उन गिग वर्कर्स को मिलेगा जो ऐसी ऐप बेस्ड प्लेटफॉर्म्स पर डिलीवरी या टैक्सी कंपनियों आदि में सेवाएं देते हैं. इससे उनकी जिंदगी में सुधार आएगा.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ किया कि कंपनियों को गिग वर्कर्स को दिए जाने वाले कुल भुगतान का 5% सेस देना होगा. बाकी जरूरी फंड राज्य सरकार खुद देगी, ताकि इन वर्कर्स के लिए कल्याण योजनाएं चलाई जा सकें. मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि ये 5% सेस पूरी ट्रांजैक्शन वैल्यू पर नहीं, बल्कि सिर्फ गिग वर्कर्स को मिलने वाले पैसे पर लगेगा. यानी ग्राहक की जेब पर सीधा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि सरकार के इस फैसले से कंपनियां इसकी भरपाई के लिए अप्रत्यक्ष तौर ग्राहकों पर बोझ बढ़ा सकती है.
बिल का रास्ता हुआ साफ
कर्नाटक सरकार ने ये फैसला तब लिया गया,जब सीएम सिद्धारमैया ने दिल्ली में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की. इस बैठक में गिग वर्कर्स बिल पर चर्चा हुई. राज्य के मंत्रियों के बीच इस बिल को लेकर पहले कुछ मतभेद थे, लेकिन बैठक के बाद इसका रास्ता साफ हो गया है. बता दें ये बिल पिछले साल पेश होने वाला था, लेकिन मंत्रियों के बीच असहमति के चलते टल गया था. अब नया बिल तैयार किया जाएगा, जिसमें गिग वर्कर्स की हर जरूरत को ध्यान में रखा जाएगा. इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा.
गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड का गठन
कर्नाटक सरकार अब एक “गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड” बनाएगी. ये बोर्ड अमेजन, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर जैसी कंपनियों में काम करने वाले वर्कर्स की भलाई सुनिश्चित करेगा. मनीकंट्रोल ने संतोष लाड के हवाले से बताया कि कर्नाटक प्लेटफॉर्म-बेस्ड गिग वर्कर्स (सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर) बिल में हर ट्रांजैक्शन पर 1-2% सेस का प्रस्ताव था, लेकिन सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 के तहत 5% तक सेस की छूट है, इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट लेगा.
क्या कहते हैं नियम?
सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 के मुताबिक, कंपनियों को अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% या गिग वर्कर्स को दिए पैसे का 5% तक सोशल सिक्योरिटी फंड में देना होगा. ये फंड उनके जीवन और अक्षमता बीमा, दुर्घटना कवर और स्वास्थ्य लाभ के लिए इस्तेमाल होगा. कर्नाटक ने इसी नियम को आधार बनाकर 5% सेस का रास्ता चुना है.
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इंडस्ट्री की चिंता
NASSCOM और IAMAI जैसी संस्थाओं ने इस बिल के कुछ हिस्सों पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इससे कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ सकता है और कर्नाटक में बिजनेस करना मुश्किल हो सकता है. लेकिन सरकार इसे गिग वर्कर्स के हक में जरूरी कदम मान रही है.
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