एक तवायफ की वजह से चला गया ‘कोहिनूर’, आज 3500 करोड़ रुपए कीमत, इस सीक्रेट जगह छुपाकर रखते थे मुगल
डायमंड्स एक नायाब और बेशकीमती रत्न है और यह बेशकीमती रत्न सबसे पहले भारत में पाया गया. इस बात का प्रूफ फोर्थ सेंचुरी की ट्रेड में मिलते हैं. 13वीं सेंचुरी में एक ऐसे हीरे की खोज हुई जिसकी चमक के आगे बड़े-बड़े राजाओं की आंखें चौंदी आ गई थी. ऐसे में आइए जानते है कि भारत की कोख से निकला कोहिनूर कैसे ब्रिटेन की धरोहर बना हुआ है. कैसे एक तवायफ की वजह से भारत के हाथ से कोहिनूर चला गया.
Untold Story of Kohinoor: डायमंड्स एक नायाब और बेशकीमती रत्न है और यह बेशकीमती रत्न सबसे पहले भारत में पाया गया. इस बात का प्रूफ फोर्थ सेंचुरी की ट्रेड में मिलते हैं. जब पूरी दुनिया में डायमंड्स मिलना लगभग नामुमकिन था तब 13वीं सेंचुरी में एक ऐसे हीरे की खोज हुई जिसकी चमक के आगे बड़े-बड़े राजाओं की आंखें चौंदी आ गई थी. यह हीरा बेहद ही अनोखा था. राजाओं में इसे हासिल करने की होड़ बढ़ गई. ऐसे में आइए जानते है कि भारत की कोख से निकला कोहिनूर कैसे ब्रिटेन की धरोहर बना हुआ है. कैसे एक तवायफ की वजह से भारत के हाथ से कोहिनूर चला गया. आखिर कैसे रजवाड़े की सैर करते हुए यह हीरा ब्रिटिश क्राउन मुगल सल्तनत के ताजो तख्त से क्वीन विक्टोरिया के सर का ताज बन गया.
मौजूदा समय में कितनी है कीमत
बेल्जियम बेस्ड हीरा कारोबार फर्म बौनट के मुताबिक कोहिनूर हीरे की सही कीमत पता नहीं, लेकिन इसे 140 से 400 मिलियन यूरो (लगभग 1200 से 3500 करोड़ रुपये)का माना जाता है. यह दुनिया के सबसे खास हीरो में से एक है और ब्रिटेन के शाही ताज का हिस्सा है. कोहिनूर का वजन 109 कैरेट है. पहले कोहिनूर का वजन 186 कैरेट था. लेकिन रानी को इसकी चमक पसंद नहीं आई. इसलिए साल 1852 में एम्स्टर्डम की मशहूर कंपनी कोस्टर डायमंड्स ने इसे दोबारा तराशा. अब यह लंदन के टावर ऑफ लंदन में ब्रिटिश शाही ताज के साथ रखा है.
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इस सीक्रेट जगह छुपा कर रखते थे मुगल बादशाह
कहानी की शुरुआत एक तवायफ नूर बाई से होती है. इनकी वजह से ही कोहिनूर खो गया. साल 1739 में ईरान के आक्रमणकारी नादिर शाह ने भारत पर हमला किया. नूर बाई खूबसूरत और चालाक थी. उसने नादिर शाह को अपने इश्क में फंसाया और कोहिनूर का राज बताया. उसने कहा कि मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला कोहिनूर को अपनी पगड़ी में छुपाता है. नूर बाई को इसके लिए 4000 मुद्राएं मिले.
मुहम्मद शाह का दरबार शानदार था. वहां नाच-गाना और शराब का दौर चलता था. नूर बाई और कुड़सिया बेगम बाद में मुहम्मद शाह की बेगम बनी. वो एक-दूसरे से जलती थीं. नूर बाई को डर था कि बादशाह उसे भी रानी बना सकता है. लेकिन उसने चालाकी से कोहिनूर का भेद नादिर शाह को दे दिया. नादिर शाह ने मुहम्मद शाह से पगड़ी बदलकर कोहिनूर हथिया लिया.
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नादिर शाह कोहिनूर के साथ-साथ कई हीरे ले गया
नूर बाई ने नादिर शाह को भी धोखा दिया. जब नादिर शाह भारत छोड़कर जा रहा था.तब नूर बाई अपने पुराने प्रेमी के घर लाल कुआं में छुप गई. नादिर शाह उसे नहीं ढूंढ सका. कुछ लोग कहते हैं कि नूर बाई नादिर शाह के साथ काबुल जाना चाहती थी, लेकिन नादिर को डर था कि नूर बाई उसे भी धोखा देगी. इसलिए उसने नूर बाई को छोड़ दिया. नूर बाई साल 1729 में चांदनी चौक में हुए दंगे में जूता लगने से घायल हो चुकी थी. नादिर शाह कोहिनूर के साथ-साथ और कई हीरे ले गया.
कोहिनूर की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. बाद में इसे अफगान बादशाह शाह शुजा ने महाराजा रणजीत सिंह को दे दिया. रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे दलीप सिंह को अंग्रेजों ने इसे रानी विक्टोरिया को देने के लिए मजबूर किया. आज कोहिनूर ब्रिटिश ताज में जड़ा है. अगर नूर बाई ने कोहिनूर का राज न बताया होता, तो शायद यह हीरा भारत में ही रहता.
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