नोएल टाटा का बढ़ा दबदबा! सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में नेविल टाटा की एंट्री, मेहली मिस्त्री हुए आउट
टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा ने अपने बेटे नेविल टाटा को Sir Dorabji Tata Trust का ट्रस्टी नियुक्त किया गया है. यह कदम टाटा समूह पर नोएल टाटा की पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही ग्रुप की कंपनी टाइटन से जुड़े भास्कर भट को भी दोराबजी ट्रस्ट के बोर्ड में जगह दी गई है.
टाटा ग्रुप के सबसे प्रभावशाली ट्रस्टों में से एक सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में बड़ा फेरबदल हुआ है. नोएल टाटा ने अपने बेटे नेविल टाटा की एंट्री कराकर न सिर्फ परिवार की नई पीढ़ी को ट्रस्ट की कमान में शामिल किया है, बल्कि अपने गुट की पकड़ भी मजबूत कर ली है. यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब मेहली मिस्त्री को ट्रस्ट से बाहर किया गया है, जो अब तक रतन टाटा के करीबी और ट्रस्ट मैनेजमेंट में अहम भूमिका निभाते रहे हैं. इस बदलाव के साथ टाटा ट्रस्ट्स में पावर बैलेंस साफ तौर पर नोएल खेमे के पक्ष में झुकता दिख रहा है. टाटा समूह को कंट्रोल करने वाली टाटा सन्स में यह ट्रस्ट 27.98% हिस्सेदारी रखता है और समूह का सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है.
नोएल गुट हुआ मजबूत
यह नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है जब रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री और नोएल टाटा के बीच टाटा समूह को कंट्रोल करने वाले ट्रस्टों पर अपना वर्चस्व बनाने के लिए चल रहे लंबे विवाद का पटाक्षेप हुआ है. मेहली मिस्त्री ने पिछले सप्ताह ही खुद को टाटा समूह से दूर करने का ऐलान किया. वहीं, टाटा समूह ने भी उनको प्रमुख ट्रस्टों से बाहर कर दिया गया. हालांकि, मिस्त्री के पास कानूनी चुनौती देने रास्ता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया. इससे अब टाटा समूह में नोएल खेमे की स्थिति निर्णायक तौर पर मजबूत मानी जा रही है.
अभी क्या कर रहे हैं नेविल?
32 वर्षीय नेविल टाटा ने 2016 में अपने पिता की कंपनी ट्रेंट में काम शुरू किया था और बाद में कंपनी के सफल फैशन ब्रांड जूडियो का नेतृत्व किया. बोर्ड के मुताबिक नेविल की नियुक्ति सर्वसम्मति से की गई है और उनका कार्यकाल तीन साल का होगा.
अन्य नियुक्तियां भी हुईं
ट्रस्ट बोर्ड ने टाटा ग्रुप की कंपनी टाइटन में डायरेक्टर भास्कर भट को भी ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के तौर पर नियुक्त किया है. भट टाइटन के पूर्व MD और टाटा ग्रुप के ब्रांड कस्टोडियन रहे हैं. इसके अलावा, वेणु श्रीनिवासन को भी तीन वर्ष के लिए ट्रस्टी बनाया गया है.
महाराष्ट्र सरकार के हालिया नियम संशोधन के तहत अब किसी भी ट्रस्टी को आजीवन नियुक्ति नहीं दी जा सकती. इसी कारण श्रीनिवासन का कार्यकाल भी सीमित किया गया है. इसके साथ ही उन्हें टाटा ट्रस्ट्स का वाइस चेयरमैन का दायित्व भी सौंपा गया है. श्रीनिवासन को नोएल टाटा का करीबी माना जाता है, जिससे यह कदम नोएल के प्रभाव को और मजबूत करने वाला समझा जा रहा है.