Provogue India के साथ हुई 90 करोड़ की धोखाधड़ी, EOW ने पूर्व डायरेक्टर समेत चार पर दर्ज किया केस

Provogue India में 90 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का बड़ा खुलासा हुआ है. मुंबई पुलिस की EOW ने पूर्व डायरेक्टर, एक पूर्व कर्मचारी, रेज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल और नए खरीदार समेत कई लोगों पर cheating, breach of trust और conspiracy के आरोप में केस दर्ज किया है. 2018–2023 के बीच एसेट्स को undervalue करने और नीलामी में देरी का आरोप

धोखाधड़ी मामला Image Credit: money9live.com

मुंबई की इकोनॉमिक ऑफेन्सेस विंग (EOW) ने फैशन ब्रांड प्रोवॉग इंडिया से जुड़े 90 करोड़ रुपये के कथित फ्रॉड का पर्दाफाश किया है. मामले में कंपनी के पूर्व डायरेक्टर, एक एक्स-एम्प्लॉयी, एक रेज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल और नए खरीदार समेत कई लोगों पर केस दर्ज किया गया है. शिकायत प्रोवॉग के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर निखिल चतुर्वेदी ने दर्ज कराई है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि पूरे मामले में सुनियोजित तरीके से कंपनी की एसेट्स का अवमूल्यन किया गया और नीलामी प्रक्रिया को सालों तक रोककर कंपनी के हितों को नुकसान पहुंचाया गया.

एसेट्स को कम आंकने का आरोप

प्रोवॉग अपैरल, एक्सेसरीज और लगेज कैटेगरी में देशभर में उपस्थित एक स्थापित ब्रांड रहा है, पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट में था. आरोप है कि पूर्व डायरेक्टर राकेश रावत, पूर्व कर्मचारी समीर खंडेलवाल, रेजोल्यूशन प्रोफेशनल अमित गुप्ता, नए खरीदार अर्पित खंडेलवाल और Plutus Investments & Holding Ltd ने मिलकर कंपनी की संपत्तियों को उनकी वास्तविक वैल्यू से काफी कम दिखाने की साजिश रची. इससे न केवल कंपनी का मार्केट वैल्यू प्रभावित हुआ, बल्कि इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के दौरान संभावित खरीदारों को भी गलत संकेत मिला.

नीलामी में देरी से गिरी कंपनी की वैल्यू

शिकायत के मुताबिक आरोपियों ने जानबूझकर नीलामी प्रक्रिया को करीब दो साल तक रोककर रखा, जिसके कारण कंपनी की वैल्यू तेजी से गिरती गई. इसके बाद एसेट्स को बेहद कम कीमत पर खरीदने की प्लानिंग की गई. इस दौरान कंपनी के कई महत्वपूर्ण क्लाइंट्स से मिलने वाली रकम भी समय पर कलेक्ट नहीं की गईं, जिससे प्रोवॉग को और आर्थिक नुकसान हुआ. EOW अधिकारियों के मुताबिक, कुछ रकम को कथित तौर पर व्यक्तिगत लाभ के लिए डायवर्ट किए जाने के भी संकेत मिले हैं.

2018 से 2023 के बीच हुआ घोटाला

शिकायतकर्ता का दावा है कि यह पूरा फ्रॉड 2018 से 2023 के बीच अंजाम दिया गया. इस अवधि में कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई, वहीं आरोपियों ने अपने निजी फायदे के लिए कंपनी की दिवालियापन प्रक्रिया को प्रभावित किया. EOW ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है.

कई खुलासों की उम्मीद

अधिकारियों का कहना है कि जांच शुरुआती चरण में है और आने वाले दिनों में फ्रॉड की राशि और बढ़ सकती है. EOW कंपनी के पूर्व अधिकारियों, नए खरीदारों और रेज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल के बीच हुए लेनदेन की पूरी चैन को खंगाल रही है. यह मामला कॉरपोरेट फ्रॉड और इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया के दुरुपयोग को लेकर एक और बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है.