Reliance Ethane Strategy: भारत-अमेरिका की नई गैस डील की पूरी कहानी

रिलायंस इंडस्ट्रीज की एथेन रणनीति भारत-अमेरिका के बीच एक अहम व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी का रूप ले चुकी है. गुजरात के दहेज में स्थित रिलायंस का एथेन क्रैकर यूनिट एथेन को एथिलीन में बदलता है, जो प्लास्टिक, कपड़ा, दवा जैसे कई जरूरी उत्पादों के लिए कच्चा माल है. पहले भारत में नैफ्था से एथिलीन बनता था, जो महंगा और कम उत्पादक था. लेकिन एथेन से तीन गुना ज्यादा एथिलीन आधी कीमत में बनता है. रिलायंस ने 2017 में अमेरिका से एथेन मंगवाने की शुरुआत की, और अब ONGC और GAIL जैसी सरकारी कंपनियां भी उसी रास्ते पर चल रही हैं.

अमेरिका, जो पहले चीन को एथेन बेचता था, अब भारत को बड़ा खरीदार मान रहा है. इसके बदले भारत अमेरिका से एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स पर टैक्स कम करने की बात कर सकता है. हालांकि, इस बदलाव से सरकारी तेल कंपनियों को घाटा हो सकता है क्योंकि उनकी नैफ्था आधारित रिफाइनरियां अप्रासंगिक हो सकती हैं. रिलायंस ने 100 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बनाकर इस व्यापार को सुदृढ़ किया है.