कैश के ढेर पर बैठी कंपनियां, निवेश के लिए किस ट्रिगर का इंतजार?

डिमांड सुधार में अनियमितता और वैश्विक अनिश्चितता के कारण, भारतीय कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष यानी FY25 में नकदी जमा करना जारी रखा. भारतीय कंपनियां नए निवेश के बजाय वित्तीय बफर चुन रही हैं. कॉर्पोरेट इंडिया के पास वर्तमान में कितनी नकदी है? कंपनियाँ नकदी जमा क्यों कर रही हैं और नए निवेश क्यों नहीं कर रही हैं? कंपनियां इस नकदी के ढेर के साथ क्या करना पसंद करती हैं? हम कब तक कॉरपोरेट द्वारा नए निवेश में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं? संदीप ग्रोवर और रोहित कौशिक के साथ इस वीडियो में जानें…

बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा कंपनियों को छोड़कर 285 बीएसई-सूचीबद्ध फर्मों की नकदी होल्डिंग्स के मिंट विश्लेषण से पता चला है कि वित्त वर्ष 25 में यह 12% की सालाना वृद्धि के साथ 5.09 ट्रिलियन रुपये हो गई. कंपनियां अब अपनी कुल संपत्ति का लगभग 12% नकद और नकद समकक्ष पर बैठी हैं. उच्च नकद अनुपात वाली फर्मों की बढ़ती संख्या भी भविष्य की व्यावसायिक संभावनाओं में कम विश्वास की ओर इशारा करती है. विश्लेषण से पता चला कि FY24 और FY25 के बीच, अधिक कंपनियों ने खुद को रक्षात्मक रूप से रखा, अपनी संपत्ति का 25-50% अत्यधिक लिक्विडिटी के रूप में रखा.