ट्रंप की चेतावनी का नहीं होगा असर, रूस से तेल खरीद जारी रखेगा भारत; UAE दिरहम में होगा पेमेंट
भारत की सरकारी तेल कंपनियां रूस से तेल की खरीद यूएई के माध्यम से dirham में पेमेंट करके जारी रखेंगी. यूरोपीय यूनियन की सख्त कीमत सीमा और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की चेतावनियों के बावजूद भारत ने एनर्जी सिक्यूरिटी को प्राथमिकता दी है. अमेरिकी डॉलर और रुपये जैसे विकल्पों को छोड़कर अब केवल dirham में ही लेनदेन हो रहा है
Russian oil Imports: भारत की सरकारी तेल कंपनियां रूस से तेल की खरीद यूएई के दिरहम में जारी रखेंगी. यूरोपीय यूनियन ने हाल ही में रूसी तेल की प्राइस घटाने और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत को चेतावनी के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.सरकार ने साफ कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हित और एनर्जी सिक्यूरिटी को प्राथमिकता देगी. भारत फिलहाल यूएई के व्यापारियों के जरिये तेल खरीद कर रहा है जिससे यूरोपीय प्रतिबंधों का सीधा असर नहीं होता.
यूएई के रास्ते हो रही है खरीद
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय तेल कंपनियां रूस से सीधे तेल नहीं खरीद रहीं. वे यह खरीद यूएई स्थित ट्रेडिंग कंपनियों के माध्यम से कर रही हैं. इस प्रक्रिया में पेमेंट यूएई की करेंसी दिरहम में किया जाता है. इससे यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों का असर भारत पर नहीं होता और लेनदेन सुचारु रूप से चलता है.
अब सिर्फ दिरहम में हो रहा है पेमेंट
पहले कुछ हद तक अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल होता था लेकिन अब सभी पेमेंट सिर्फ दिरहम में हो रहे हैं. भारत और रूस के बीच रूपया और रूबल में पेमेंट की कोशिश असफल रही है. इसी कारण भारत ने बाकी करेंसी को छोड़कर दिरहम को प्राथमिकता दी है.
ट्रंप की चेतावनी का असर नहीं
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को व्यापार शुल्क बढ़ाने और रूस से तेल खरीदने पर फिर से चेतावनी दी है. बावजूद इसके भारत ने अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया. विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत की ऊर्जा नीति किसी राजनीतिक दबाव से नहीं बल्कि देश के हितों से तय होती है.
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रूसी तेल पर अब बढ़ती निर्भरता
यूक्रेन युद्ध से पहले भारत बहुत कम मात्रा में रूसी तेल खरीदता था लेकिन अब इसकी हिस्सेदारी 35 से 40 फीसदी तक पहुंच गई है. जुलाई में खरीद में 24 फीसदी गिरावट आई थी जो मौसम और रिफाइनरी रखरखाव की वजह से हुई थी न कि किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से. रूसी तेल खास तौर पर Urals ग्रेड तकनीकी रूप से भारतीय रिफाइनरियों के लिए फायदेमंद है. इससे कंपनियों को अच्छे मार्जिन मिलते हैं. जब तक सरकार से कोई ठोस निर्देश नहीं आता तब तक रिफाइनर रूसी तेल की खरीद जारी रख सकते हैं.