GST 3.0 के तहत रिफंड प्रोसेस को ऑटोमेटेड करने की तैयारी में सरकार, पेपरवर्क की नहीं पड़ेगी जरूरत
सरकार GST 3.0 के तहत रिफंड प्रोसेस को बहुत आसान और फुली ऑटोमेटेड करने की प्लानिंग कर रही है. इसका मतलब है कि रिफंड जल्दी मिलेगा और ज्यादा पेपरवर्क की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे इनकम टैक्स रिफंड मिलता है. GST 2.0 में पहले ही कुछ इम्प्रूवमेंट्स हो चुके हैं. अब 1 अक्टूबर, 2025 के बाद फाइल किए गए 90 फीसदी रिफंड क्लेम्स को टेम्पररिली अप्रूव किया जा सकता है. ये तब लागू होता है जब रिफंड इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत मांगा जाता है.

GST 3.0: सरकार GST 3.0 के तहत रिफंड प्रोसेस को बहुत आसान और फुली ऑटोमेटेड करने की प्लानिंग कर रही है. इसका मतलब है कि रिफंड जल्दी मिलेगा और ज्यादा पेपरवर्क की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसे इनकम टैक्स रिफंड मिलता है. ये बात सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स की मेंबर प्रिया शशांक ने कही.उन्होंने ये टीकेएफ नॉलेज फाउंडेशन के एक इवेंट में बताया. गवर्नमेंट का टारगेट है कि GST को और सिम्पल बनाया जाए ताकि हर कोई इसे आसानी से यूज कर सके.
कब स्टार्ट होगा इसकी जानकारी नहीं
GST 2.0 में पहले ही कुछ इम्प्रूवमेंट्स हो चुके हैं. अब 1 अक्टूबर, 2025 के बाद फाइल किए गए 90 फीसदी रिफंड क्लेम्स को टेम्पररिली अप्रूव किया जा सकता है. ये तब लागू होता है जब रिफंड इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत मांगा जाता है. इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का मतलब है जब रॉ मटेरियल पर टैक्स ज्यादा होता है और फाइनल प्रोडक्ट पर टैक्स कम होता है.
बीएस की रिपोर्ट के मुताबिक प्रिया ने ये नहीं बताया कि ये ऑटोमेटेड सिस्टम कब स्टार्ट होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत सारे स्टेकहोल्डर्स से डिस्कशन करना होगा और सिक्योरिटी के सॉलिड इंतजाम भी चाहिए होंगे. गवर्नमेंट चाहती है कि जीएसटी यूज करना इतना आसान हो कि किसी को प्रॉब्लम न हो.
रिफंड प्रोसेस को और ट्रांसपेरेंट करना चाहिए
अभिषेक रस्तोगी ने बिजनेस स्टैंडर्ड के हवाले से कहा कि रिफंड प्रोसेस को और ट्रांसपेरेंट करना चाहिए. टैक्सपेयर्स और ऑफिसर्स के बीच मिनिमम इंटरैक्शन होना चाहिए. सारे जरूरी डॉक्यूमेंट्स और इन्फॉर्मेशन डिजिटली मांगे जाने चाहिए. कई बार ऑफिसर्स वही डॉक्यूमेंट्स बार-बार मांगते हैं, जो पहले ही सबमिट हो चुके हैं. इससे रिफंड में डिले होता है. अगर पूरी प्रोसेस ऑनलाइन और डिजिटल हो जाए, तो ये प्रॉब्लम खत्म हो सकती है.
इन एरियाज पर फोकस कर रही सरकार
प्रिया ने ये भी कहा कि गवर्नमेंट उन एरियाज पर फोकस कर रही है जहां डिस्प्यूट्स ज्यादा होते हैं जैसे शेड्यूल 1 ट्रांजैक्शन्स से जुड़े मामले. शेड्यूल 1 में कुछ स्पेशल तरह के ट्रांजैक्शन्स आते हैं, जैसे बिना पैसे के ट्रांजैक्शन्स या रिलेटिव्स के बीच माल की सप्लाई. गवर्नमेंट का मकसद है कि जीएसटी को इतना सिम्पल, फास्ट और ट्रांसपेरेंट बनाया जाए कि बिजनेसमैन को कोई दिक्कत न हो. ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम से टाइम और मेहनत दोनों की बचत होगी. टैक्सपेयर्स को उनका रिफंड जल्दी मिलेगा. ये जीएसटी 3.0 की दिशा में एक बड़ा स्टेप होगा.
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