अब भारत में होगा फाइटर जेट के चिप का निर्माण, उत्तर प्रदेश के जेवर में लगेगी कंपनी

प्लांट में एक परीक्षण केंद्र, एक सेंटर फॉर एक्सीलेंस, एक डिजाइन केंद्र और दो फैब्रिकेशन यूनिट्स होंगी. फैब्रिकेशन यूनिट्स में विजन डिवाइस, मिसाइल सीकर, स्पेस सेंसर, ड्रोन, फाइटर जेट, इलेक्ट्रिक वाहन, मिलिट्री कम्युनिकेशन, रडार और जैमर के लिए चिप्स का निर्माण किया जाएगा.

विदेशी निवेशकों ने इन सेमीकंडक्टर कंपनीयों में दिखाई रुची Image Credit: Narumon Bowonkitwanchai/Moment/Getty Images

अमेरिकी सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दुनिया की पहली मल्टी-मटेरियल फैब्रिकेशन यूनिट स्थापित करने के लिए भारत के साथ नई टेक्नोलॉजी साझेदारी पर सहमति व्यक्त की है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने एक नया सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हाई टेक्नोलॉजी वॉरफेयर प्लेटफार्म, एडवांस सेंसिंग, एडवांस कम्युनिकेशन और हाई वोल्टेज पावर इलेक्ट्रॉनिक्स सहित हाई टेक्नोलॉजी युद्ध प्लेटफार्मों में उपयोग होने वाले चिप बनाएगा. नई फैब्रिकेशन यूनिट उत्तर प्रदेश के जेवर में बनेगी और नए आने वाले जेवर एयरपोर्ट के पास होगी.

भारत हर साल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अकेले 1 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर्स का आयात करता है. सूत्रों का कहना है कि इस मल्टी-चिप मिलिट्री फैब से नॉलेज और टेक ट्रांसफर को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारत के लिए करीब 6000 करोड़ रुपये के इम्पोर्ट को रोकने में मदद मिलेगी.

इस टेक्नोलॉजी साझेदारी के बाद भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास इस तरह के चिप बनाने की क्षमता है. यह ICET के तहत सेमीकंडक्टर्स पर भारत-अमेरिका के बढ़ते सहयोग और CHIPS अधिनियम के तहत भारत में निर्माण की संभावनाओं को तलाशने के लिए हाल ही में हस्ताक्षर किए गए समझौते का परिणाम है.

चिप फैब्रिकेशन यूनिट की स्थापना को यूएस स्पेस फोर्स, इंडियन सेमीकंडक्टर मिशन और भारतीय चिप निर्माण कंपनियों भारत सेमीकंडक्टर्स और 3ediTech का समर्थन प्राप्त होगा. इस नए फैब को “शक्ति” कहा जा सकता है, जिसमें डिजाइन और निर्माण दोनों की क्षमता होगी.

समझौते से परिचित सूत्रों ने बताया कि प्लांट में एक परीक्षण केंद्र, एक सेंटर फॉर एक्सीलेंस, एक डिजाइन केंद्र और दो फैब्रिकेशन यूनिट्स होंगी. फैब्रिकेशन यूनिट्स में विजन डिवाइस, मिसाइल सीकर, स्पेस सेंसर, ड्रोन, फाइटर जेट, इलेक्ट्रिक वाहन, मिलिट्री कम्युनिकेशन, रडार और जैमर के लिए चिप का निर्माण किया जाएगा.

भारत और अमेरिका भविष्य में क्वाड देशों, एशिया प्रशांत और यहां तक ​​कि अफ्रीका को भी चिप के निर्यात पर विचार कर सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बिडेन के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि फैब की स्थापना इंफ्रारेड, गैलियम नाइट्राइड और सिलिकॉन कार्बाइड सेमीकंडक्टर के निर्माण के उद्देश्य से की जाएगी.

भारत और अमेरिका दोनों सेमीकंडक्टर के लिए एक सप्लाई चेन स्थापित करने पर सहमत हुए हैं, और यह पहली बार है जब अमेरिकी सेना और अमेरिकी अंतरिक्ष बल इस तरह के सहयोग पर सहमत हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि चीन को छोड़कर कोई अन्य इंडो-पैसिफिक देश इस तरह के अत्याधुनिक चिप्स का निर्माण नहीं कर सकता. न्यूयॉर्क में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आप जल्द ही अमेरिका में भी भारत में बनी चिप देखेंगे.”