GST में कटौती के बावजूद क्यों सस्ता नहीं मिल रहा किराना का सामान, क्या गड़बड़ी कर रही हैं कंपनियां?

GST 2.0: कंपनियां और डिस्ट्रीब्यूटर्स कुछ चैनल्स पर चुनिंदा पैक्स से जुड़ी समस्याओं के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि सरकार दोषी कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स पार्टनर्स के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है. अधिकारियों ने बताया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट आगामी सप्ताह की शुरुआत में इस पर चर्चा कर सकता है.

कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू. Image Credit: Getty image

GST 2.0: फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) प्रोडक्ट्स में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बेनिफिट्स ग्राहकों तक पहुंचाने में कुछ खामियां सामने आई हैं. कंपनियां और डिस्ट्रीब्यूटर्स कुछ चैनल्स पर चुनिंदा पैक्स से जुड़ी समस्याओं के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि सरकार दोषी कंपनियों और डिस्ट्रीब्यूटर्स पार्टनर्स के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है. जहां कुछ कंपनियों ने कहा कि चूक और देरी डिस्ट्रीब्यूटर्स की ओर से है, वहीं वितरकों ने आरोप लगाया है कि कुछ कंपनियों ने चुनिंदा पैक्स के बेस प्राइस बढ़ा दिए हैं.

बढ़ा दिया गया बेस प्राइस

ईटी की रिपोर्ट अनुसार, एक बड़ी डिस्ट्रीब्यूटर्स संस्था के प्रमुख ने बताया वितरक केवल वही दे सकते हैं जो कंपनियों की ओर से सिस्टम में दिखाई देता है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘कुछ बड़े ब्रांड्स ने अपने कुछ पैक्स के बेस प्राइस बढ़ा दिए हैं, जिसका असर कीमतों में कमी के रूप में नहीं दिख रहा है.

कहां सामने आ रही हैं खामियां?

उद्योग और व्यापार जगत के अधिकारियों ने बताया कि ये खामियां खासकर 20 रुपये और उससे कम कीमत वाले पैक में सामने आ रही हैं. सरकारी अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय इन-डायरेक्ट टैक्स और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) उन ब्रांड्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जिन्होंने जीएसटी दरों में कटौती के बाद बेस प्राइस बढ़ा दिए थे. उन्होंने आगे कहा कि कानून में कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं.

दिग्गज कंपनियों का क्या है कहना?

एचयूएल, कोलगेट-पामोलिव, हिमालय वेलनेस और परफेटी वैन मेले जैसी एफएमसीजी कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि सभी लाभ उपभोक्ताओं को दिए जा रहे हैं और नए पैक और मूल्य निर्धारण के संबंध में कोई भी गैप अस्थायी है. लगभग सभी बड़ी एफएमसीजी कंपनियों ने कम कीमतों पर मैन्युफैक्चरिंग स्टॉक की नई कीमतों की घोषणा करते हुए विज्ञापन जारी किए हैं. सीमित अवधि के लिए, पुराने और नए दोनों एमआरपी वाले प्रोडक्ट्स बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं. उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे खरीदारी से पहले बदली हुई एमआरपी के बारे में पूछें.

उपभोक्ता शिकायतों की निगरानी कर रहे केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सीबीआईसी को लगभग 2,000 शिकायतें भेजी हैं.

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर नजर

अधिकारियों ने बताया कि रेवेन्यू डिपार्टमेंट आगामी सप्ताह की शुरुआत में इस पर चर्चा कर सकता है. सीबीआईसी की एक अलग टीम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होने वाले ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है, जहां उपभोक्ताओं द्वारा सबसे अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. कई लोगों का कहना है कि जीएसटी में कटौती से रोजमर्रा की जरूरतों और किराना सामान की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है.

800 ब्रांड्स को भेजा गया लेटर

केंद्र सरकार ने लगभग 800 ब्रांड्स और कंपनियों को 20 अक्टूबर से पहले खामियों को दूर करने के लिए पत्र भेजा है, जिनमें तकनीकी गड़बड़ियों और सिस्टम अपग्रेड को दोषी ठहराया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में क्षेत्रीय FMCG ब्रांड्स नई GST दरों के अनुरूप ढलने में अधिक समय ले रहे हैं.

‘ग्राहकों के साथ धोखा’

30 सितंबर को, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि जीएसटी में कटौती के बाद मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) कम किए बिना मात्रा बढ़ाना ‘धोखा’ है, क्योंकि टैक्स कटौती का उद्देश्य उत्पादों और सेवाओं को उपभोक्ताओं के लिए अधिक लागत प्रभावी बनाना है. अदालत के फैसले में कहा गया, ‘यदि कीमत वही रखी जाती है और प्रोडक्ट में कुछ अज्ञात मात्रा बढ़ा दी जाती है, भले ही उपभोक्ता ने बढ़ी हुई मात्रा के लिए अनुरोध न किया हो, तो उक्त उद्देश्य असफल हो जाएगा.’

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